किसी भी क्रिया अथवा भाव-चिंतन को सुभाव से ग्रहण करते हैं तो निश्चिन्त रूप से सुफल की प्राप्ति होती ही है। सुखद रूप में इस माह मे तीन ग्रहण सम्पन्न होगें। दिव्यतम सूर्य ग्रहण पर्व 21 जून रविवार को होगा, यह सूर्य ग्रहण ज्येष्ठ पूर्णिमा चन्द्र ग्रहण व आषाढ़ी गुरू पूर्णिमा चन्द्र ग्रहण के मध्य निर्मित हो रहा है इन विशेष दिवसो के क्षणों में गुरूदेव कैलाश श्रीमाली जी के सानिध्य में पूजन, साधना, ध्यान, मंत्र जाप, दीक्षा, हवन की क्रिया सूर्य ग्रहण में करने से साधक के जीवन की विषमतायें व अंधकारमय स्थितियां समाप्त होकर पूर्णता से सूर्य शक्ति चौसठ कला पूर्ण चेतनाओ से आप्लावित हो सकेंगे। भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध में अर्जुन को बताया कि ग्रहण काल में जीवन के दुःखो, संतापों, रोग-कष्ट, अवसाद व निरन्तर आ रहीं बाधाओं को समाप्त करने के लिये सूर्य ग्रहण के समय में पूजा, पाठ, साधना, मंत्र जाप, हवन की क्रिया सम्पन्न करने से सर्व सुखद स्थितियॉ प्राप्त होती ही है। वर्ष का सबसे बड़ा दिवस पर दिव्यतम सुयोग स्वरूप में सूर्य ग्रहण के साधनात्मक काल IST प्रातः 09:15 से दोपहर 15:04 (5 घंटे 49 मिनिट) निर्मित हो रहा है।
सद्गुरुदेव कैलाश श्रीमाली जी के सानिध्य में योग दिवस पर उक्त सभी साधनात्मक क्रियायें प्रातः 10:15 से प्रारम्म करेंगे। जिससे सांसारिक गृहस्थ जीवन में धन, श्रेष्ठ पद, यश, सम्मान, ऐश्वर्य, कुण्डलिनी जागरण, पूर्णता, श्रेष्ठता, तेजस्विता युक्त कृष्णमय चौसठ कला पूर्ण व्यक्तित्व निर्मित हो सकेगा। ठीक वहीं योगी, यति व संन्यासी भी अपनी मनोवांछित साधनाओं को पूर्ण मंत्र चैतन्य सिद्धमय करते है।
अतः उक्त दिव्य सूर्य ग्रहण पर्व पर साधना हेतु-साधना सामग्री-चौकी, पीला कपड़ा, सूर्य ग्रहण ताम्रयंत्र, माला, लक्ष्मी चेतन्य सुपारी, चौसठ कला त्रिवेणी जीवट, यज्ञोपवित,गोमती चक्र,अष्टगन्ध,कुंकुंम, कमलबीज, पंच पात्र व हवन पूजन सामग्री व्यवस्थित करें।
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