चालीस की उम्र पार करते ही अनेक लोग कुछ खास तरह की व्याधियों से घिरने लगते हैं, इनमें दृष्टि कमजोर होना, बाल गिरना या उनका सफेद होना, कमजोरी महसूस करना आदि के अलावा घुटनों में दर्द होने जैसी व्याधियां प्रमुख हैं।
सभी तरह के जोड़ों का दर्द जटिल और पीड़ादायक रोग है, जो रोगी को हर तरह से कमजोर और लुंज-पुंज तक बना डालते हैं। जोड़ो के दर्द में शुरू-शुरू में सूजन और दर्द होता है, फिर उनमें अकड़न सी आने लगती है जिसकी वजह से उनकी गतिशीलता कम होने लगती है। आखिर इस तरह के पीड़ादायक रोग को कैसे दूर किया जाये, तो इसके लिये हमें कुछ खास उपायो पर ध्यान देना होगा जैसे-
स्वस्थ आहार-विहार और जीवनचर्या का पालन करना।
शरीर की सभी अस्थियों और मांसपेशियों को उचित व्यायाम द्वारा क्रियाशील रखना।
शरीर में जमा हो गये विजातीय द्रव्यों को प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा बाहर निकाल देना। इन उपायों को अपना लेने से शरीर में क्रियाशीलता बढ़ती है और लचीलापन आता है।
ताड़ासन- पैरो में हल्की सी दूरी रखते हुये दोनों हाथों को श्वास भरते हुये ऊपर से जाकर पूरे शरीर को ताड़ के वृक्ष की भांति तानकर श्वास छोड़ते हुये पूर्व स्थिति में आना है।
पंजों का व्यायाम- पैरों को सीधे करके बैठ जाये और दोनों पंजों को मिलाकर क्लॉक वाइज व एन्टीक्लॉक वाइज घुमायें है। इन अभ्यासों को 20-20 बार करें।
तितली आसन- दोनों घुटनें को मोड़कर साइड़ में फैलाकर पंजों को हाथों से पकड़ कर घुटने ऊपर-नीचे करने हैं। 50-60 बार करें।
वक्रासन- दोनों पैर सामने फैलाकर दाँये पैर को घुटने पर मोड़कर पंजे को बाँये घुटने के बगल में रखिये। कमर को दांयी ओर मोड़कर बाँये हाथ से दायें पैर का अंगूठा पकड़ना है। दायां हाथ फर्श पर टिकाकर कुछ देर इसी स्थिति में रूककर विपरीत दिशा में दोहराना है। 30 से 60 सेकण्ड तक करें।
शलभासन- पेट के बल लेटकर दोनों हाथों को जंघाओं के नीचे रखते हुये आगे ठुड़ी टिकाकर बांया पैर ऊपर उठाना है, कुछ क्षण रोककर पूर्व स्थिति में आना है। इस प्रकार दूसरे पैर पर भी यही क्रिया 6 बार दोहरानी है।
घुटनों का व्यायाम- पीठ के बल लेटकर दोनों पैर मिलाकर दोनों घुटनों को एक साथ तानना है तथा कुछ देर रूककर पूर्व स्थिति में ही ढीला छोड़ देना है। 10-20 बार ऐसा करें
साईकिलिंग- पीठ के बल लेटकर दोनों पैरों को मोड़कर हाथ सिर के ऊपर रखते हुये पैरों से साईकिल चलानी हैं। इसी प्रकार विपरीत दिशा से उल्टी साइकिल चलानी है। 25-50 बार।
उत्तानपादासन- पेट के बल सीधा लेटकर दोनों हाथों को जमीन पर दबाते हुये श्वास भरते हुये दायें पैर ऊपर उठाना है, कुछ क्षण इसी प्रकार रोककर पूर्व स्थिति में आना है। इसी क्रिया को दूसरे पैर से भी 5-10 बार करें।
पवनमुक्तासन- सर्वप्रथम पैरों को मोड़कर पेट दबाकर दोनों हाथों से पैरों को पकड़कर नाक को घुटने पर लगाना है। यह आसन कब्ज, गैस, कमर दर्द रोगों में भी विशेष लाभकारी है। 2-5 क्रम करें।
सेतु-बंध आसन- यह आसन घुटनों की मांसपेशियों को मजबूत करता है तथा ऑस्टियोपोरोसिस अस्थि सुषिरता रोग में भी लाभकारी है। यह मस्तिष्क को शांत करता है। रोगी को चिन्ता से मुक्त कर शरीर के तनाव को कम करता है।
उस्ट्रासन- यह कंधो व पीठ को मजबूती प्रदान करने वाला एक प्रभावशाली आसन है। यह रीढ़ की हड्ड़ी को लचीला बनाये रखने में मदद करता है। इससे कमर के अधोभाग का दर्द कम होता है।
त्रिकोणासन- त्रिकोणासन हमारी टांगों, घुटनों व टखनों को मजबूत करने में लाभकारी है। यह सायटिका व कमर-दर्द में भी राहत प्रदान करता है। यह घुटनों की नस, कमर, जंघा की संधि व नितम्ब में खिंचाव उत्पन्न कर उनको गतिशीलता प्रदान करता है।
निधि श्रीमाली
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