GADGETS से हमारे कार्य सरल हो जाते है-जीवन नही
हमारी निर्भरता (DEPENDENCY) निरंतर ऐसे GADGETS पर बढ़ रही है जो बिल्कुल भी हमारे शारीरिक (PHYSICAL) और मानसिक (Mental) विकास के लिये अनिवार्य नहीं हैं। किशोर अवस्था (TEEN AGE) में अत्यधिक GADGETS का उपयोग व हर छोटे कार्य में इनको प्रयोग करना उचित नहीं है, अधिक समय तक इनके प्रयोग से हमारी सेहत, शैक्षिक (ACADEMIC) सामाजिक (SOCIAL), पारिवारिक जीवन पर बहुत कुप्रभाव पड़ता है और अगर इन पर नियंत्रण न किया गया तो आगे चलकर हम DEPRESSION, NEGATIVE MOOD आक्रामकता (AGGRESSIVENESS), मोटापा- STRESS, कंधा, गर्दन दर्द जैसे कई बिमारियों के शिकार हो सकते है, साथ ही साथ CONFIDENCE की कमी, किसी से कुछ बोलने या कहने में झिझक (DIFFIDENCE) होने लगेगी। साथ ही बच्चो को ये चीज का ज्ञान नहीं कि MOBILE/INTERNET पर क्या (CONTENT) उनके लायक है या नहीं? व इस पर कोई नियंत्रण भी नहीं है। पर इसका ये निष्कर्ष नहीं है कि बच्चो को इन सभी GADGETS से पूर्ण रूप से दूर रखे, मुख्यकर सामाजिक दबाव, हम उम्र के बच्चो को देख बच्चो को GADGETS देने ही पड़ते है व आज कल COVID के कारण कुछ SCHOOL में पढ़ाई GADGETS के माध्यम से ही हो रही है।
बच्चो व हमे तो GADGETS के प्रयोग का समय व हमारे जीवन में इनके हस्तक्षेप की सीमा तय करनी है। साथ हि ये निश्चय कर ले कि सोने के कमरो में किसी भी प्रकार का कोई GADGETS न हो जैसे MOBILE, TABLET या TV ।
GADGETS से हमारे काम सरल हो सकते है व हम कई नयी चीजे सीख व जान सकते है, परन्तु इनका न होना भी कोई हमारे विकास का अवरोध नही है। आप अपने कौशल, बुद्धि TALENT को हर जगह अपने साथ ले जा सकते हो क्योंकि ये आपके स्वयं के भीतर ही है और इसे CHARGE भी करने की आवश्यकता नहीं होती है।
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