मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम का जन्मोत्सव राम नवमी पर्व सम्पूर्ण हिन्दू समाज के लिये गर्व का विषय है। भगवान श्रीराम का जीवन करूणा, दया और बिना किसी भेद-भाव के प्राणी मात्र के महत्त्व और कल्याण का मार्ग है। उनका प्रकटोत्सव दिवस राम नवमी धर्म और कर्त्तव्य का निर्धारण दिवस कहलाता है। शिलारूपी अहिल्या को अपने चरणकमल की धूल से अभिशाप मुक्त किया। उन्होंने शबरी के जूठे बेर खाने में जहाँ संकोच नहीं किया वही निषाद को गले लगाकर दलित उद्धार का संदेश दिया।
उस युग में राम को वशिष्ठ, विश्वामित्र, जनक, परशुराम, सीता और वाल्मिकी ने जाना कि राम परब्रह्म है। जन्म के समय स्वयं राम ने अपना चतुर्भुज स्वरूप कौशल्या को दिखा दिया। ऐसी ही जीवन में चतुर्वग रूप में पूर्णता प्राप्ति हेतु इस चैत्रीय नवरात्रि में विशेष रूप से रामनवमी पर्व पर साधनायें करने से पुरूषोत्तममय बनने की स्थितियाँ निर्मित होती है।
जीवन में कई बार ऐसी घटनाये भी घटती हैं, जिनसे व्यक्ति विचलित हो जाता है। उन परिस्थितियों में अविचलित भाव से खड़े रहने का उचित और अनुचित निर्णय लेने का सामर्थ्य प्राप्त हो सकता है।
10 अप्रैल अथवा किसी भी मंगलवार को प्रातः 6 से 9 के मध्य अपने पूजा स्थान में भयमुक्ति स्वरूप दुर्गा यंत्र को स्थापित कर संक्षिप्त पूजन करें निम्न मंत्र की 5 माला 6 दिन तक हनुमान शक्ति माला से जप करें।
आप प्रत्यक्ष रोग से परेशान है और इलाज करवा कर थक चुके है। फिर भी आपका रोग किसी को समझ नहीं आ रहा है तो आप ‘ललिताम्बा यंत्र’ को किसी वस्त्र में बांध कर बायें हाथ में रखकर मूट्ठी बंद कर उत्तर दिशा की ओर मुंह कर निम्न मंत्र की 3 माला 7 दिन तक आरोग्यता माला से जप करें।
जहां जीवन में प्रेम वर्षा नहीं होती, वह जीवन अधूरा होता है। प्रणय और प्रेम की अधिष्ठात्री देवी गौरी को माना गया है। गौरी का स्वरूप ही यौवनमय, कान्तिमय तथा प्रणय से ओत-प्रोत है। प्रेम जीवन का आधारभूत सत्य है।
साधक किसी भी सोमवार को पूर्व की ओर मुख करके बैठ जाये। गुरू और गणपति पूजन कर। एक ताम्रपात्र में चावल ढ़ेरी पर ‘सौन्दर्य गुटिका’ को स्थापित कर संक्षिप्त पूजन करें। इसके पश्चात् निम्न मंत्र का 9 दिन तक 7 माला ‘प्रेमाल्य माला’ जप करें।
जीवन है तो बाधाये आती रहती हैं। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को दैवीय शक्तियों का उपयोग करना चाहिये। जीवन में प्रत्येक बाधा को सरलता पूर्वक पार कर लेता है।
रामनवमी या किसी भी रविवार को दक्षिण दिशा की ओर मुँह कर लाल आसन पर बैठें। सामने किसी पात्र में इन्द्राक्षी यंत्र को स्थापित करके स्नान, तिलक, धूप, दीप एवं पुष्प से पूजन करें। इसके बाद ‘शत्रु माला’ से मंत्र की 5 माला जप करें।
आनन्द रस इस जीवन में निरन्तर बरसता रहे। गृहस्थ जीवन में कामदेव शक्ति से ही सृजन का कार्य होता है, काम के द्वारा ही व्यक्ति सांसारिक जीवन का विकास सही स्वरूप में कर पाता है।
यह साधना किसी भी रविवार को सम्पन्न करे। सामने बाजोट पर पीला वस्त्र बिछाकर चावलों की ढ़ेरी पर ‘कामाया शक्ति जीवट’ स्थापित कर गुटिका का संक्षिप्त पूजन सम्पन्न करें। पूजन क्रम के पश्चात् ‘मंजरी माला’ से 5 माला मंत्र जप 21 दिन तक करें।
नित्य मंत्र जप के पश्चात् माला और गुटिका को गले में धारण करें।
बल, बुद्धि, पराक्रमी, संकटो का नाश करने वाले और दुःखों को दूर करने वाले महावीर हैं। मन के साथ-साथ शरीर भी ऐसा तेजस्वी, बलवान और निरोगी हो कि आत्मविश्वास से युक्त शक्ति का सौन्दर्य, ज्ञान की गंगा, धैर्य का सागर, सरस्वती की सिद्धि प्राप्त करता है। वही पूर्ण सफल होता हैं।
साधक किसी भी बुधवार को उत्तर दिशा की ओर मुंह करके लाल आसन पर प्रातः 6 से 8 बजे किसी पात्र में क्लीं यंत्र को स्थापित कर संक्षिप्त पूजन करें। इसके बाद महावीर माला से निम्न मंत्र की 5 माला 7 दिनों तक जप करें।
सौभाग्य के क्षण जीवन में बहुत कम आते हैं और जो व्यक्ति इन महत्वपूर्ण क्षणों को पकड़ ले तो अपने जीवन की दिशा को बदल सकता है जीवन के अभिशाप दुर्भाग्य समाप्ति हेतु काल शक्ति यंत्र को स्थापित कर निम्न मंत्र की 6 माला 3 दिन तक सौभाग्य वृद्धि माला से जप करें।
षोडश कला पूर्ण का तात्पर्य है कि साधक में वो सोलह कलाये जाग्रत हो जो भगवान श्रीकृष्ण में थी। वही धैर्य, सहनशीलता, वीरता, प्रेम, सम्मोहन, नीति, मर्यादा, आचरण, सद् चरित्र साधक के जीवन में भी स्थापित हो और उसका जीवन भी पूर्ण हो सके।
किसी भी सोमवार को साधना प्रारम्भ करें और गुलाबी रंग के वस्त्रें का उपयोग करें। ताम्रपात्र में अहंब्रह्मास्मी शक्ति यंत्र स्थापित कर संक्षिप्त पूजन करें। निम्न मंत्र की 5 माला 16 दिन तक षोडश माला से मंत्र जप करें।
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