जो उच्चकोटि के साधक या गृहस्थ होते है, वे ऐसे क्षणों का लाभ प्राप्त करने के लिये योजनाबद्ध तरीके से तैयार होते हैं। जिससे वे ऐसे चैतन्य अवसर का अक्षुण्ण लाभ प्राप्त कर सकें और अल्पकाल में ही अपने मनोरथ, लक्ष्य इच्छाओं को पूर्णता से प्राप्त कर सकें। विशिष्ट साधनाओं में सफलता एवं सिद्धि प्राप्त करने का ग्रहण काल ऐसा स्वर्णिम अवसर होता है, जब पूर्णता स्वयं प्राप्त होने के लिये साधक का द्वार खटखटा रही होती है। क्योंकि यह क्षण ही भौतिक और आध्यात्मिक दोनों पक्षों में पूर्णता प्राप्त कर लेने का है।
साधक के जीवन में अनेक इच्छायें होती है- धन, पद, प्रतिष्ठा, यश, मान, ऐश्वर्य, कुण्डलिनी जागरण, संतान सुख, आयु वृद्धि, श्रेष्ठता, तेजस्विता युक्त जीवन। इन सभी सुस्थितियों की प्राप्ति सूर्य ग्रहण काल में करने से पूर्णरूपेण साधक का सद्गुरू व ग्रह-नक्षत्रें से जुडाव हो जाता है तब जीवन में अद्वितीयता प्राप्त होती है।
सद्गुरूदेव कैलाश श्रीमाली जी द्वारा गुवाहाटी आसाम में 30 अप्रैल व 01 मई को आयोजित साधनात्मक महोत्सव में तंत्र बाधा, काल सर्प दोष, पितृ दोष, पूर्व जन्मकृत पापदोष के फलस्वरूप जीवन में अभाव, न्यूनता, धनहीनता, असफलता से निवृति हेतु सर्व दुःख भंजन सूर्य ग्रहण, कामाख्या शक्ति साधना-दीक्षा प्रदान करेंगे। जिससे जीवन की सभी दुर्गतियों का नाश हो सकेगा।
यदि किसी कारणवश साधना शिविर में आना सम्भव नहीं हो तो परिवार के सभी सदस्यों का अलग-अलग फोटो भेज कर शक्तिपात दीक्षा से आपूरित होने पर सूर्य तेजस्विता का पूर्ण लाभ निश्चिंतता से प्राप्त हो सकेगा।
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