24 जून 2022
यदि आप अपने मानस में किसी लक्ष्य को लेकर चल रहे हैं और अभी तक उसे साकार रूप नहीं दे सके हैं कारण कोई भी हो सकता है- साधनों का अभाव, मार्ग दर्शन का अभाव, आत्म विश्वास की कमी, प्रतिद्वन्द्विता या स्वयं के ही पूर्व व इह जन्मकृत दोष, कार्य में सैकड़ों प्रकार की बाधायें उपस्थित होनी स्वाभाविक है।…
सर्व कार्यसिद्धि षोड़स योगिनी दीक्षा के माध्यम से साधक अपने समस्त प्रकार के 16 भावों युक्त इच्छाओं व कार्यों को पूर्णता देते हुये भौतिक और आध्यात्मिक उपलब्धियों को प्राप्त कर सकते हैं। यह दीक्षा तत्काल फल प्रदान करने वाली है, समस्त प्रकार की अतृप्त इच्छाओं व अपूर्ण कार्यों को पूर्ण करने वाली होती हैं और शीघ्र लक्ष्य प्राप्त करने में परिपूर्ण होती है। जिसने भी यह अद्भूत और अद्वितीय दीक्षा ग्रहण करता है, उसके जीवन के शब्दकोश में फिर असम्भव जैसा कोई शब्द रह ही नहीं सकता। जिस साधक को योगिनी की सिद्धि प्राप्त हो जाती है उसके लिये भूत, भविष्य, वर्तमान का ज्ञान तो अत्यंत मामूली सी बात होती है, क्योंकि ऐसे सिद्ध साधक को योगिनी स्वयं अदृश्य रहते हुये भी दूसरे व्यक्ति से संबंधित विवरण और गोपनीय रहस्य स्पष्ट बता जाती है।
इस दीक्षा के फलस्वरूप साधक दैहिक सौन्दर्य के साथ-साथ आन्तरिक गुणों से भी सम्पन्न होता हैं और स्वयं में खेचरी विद्या, रस (पारद) सिद्धि, भूगर्भ सिद्धि, वशीकरण, शत्रु स्तम्भन, यौवन और बल की प्राप्ति, मनोकामना पूर्ति, दिव्य रसों की सिद्धि आदि अनेक सिद्धियों के साथ-साथ प्रखर और तेजस्वी व्यक्तित्व का स्वामी बन जाता है और साधक का सोचा हुआ कार्य पूरा होता है, यदि साधक पूर्ण विश्वास के साथ दीक्षा प्राप्त करें।
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