ऐसा क्यों है? क्यों व्यक्ति चाहते हुये भी अपनी इच्छा से जीवन नहीं जी पाता और उसका निर्माण अभिलाषित ढंग से नहीं कर पाता? ऐसा क्यों है, कि वह बार-बार असफल हो जाता है? भर्तृहरि ने किसी भी व्यक्ति को जीवन में सफल होने के लिये निम्न बिन्दुओं का आवश्यक बताया है-
1 उसका व्यक्तित्व आकर्षक एवं सबको लुभाने वाला होना चाहिये।
2 वह श्रेष्ठ वाक्शक्ति से युक्त हो, सामने वाले को हर तरह से आश्वस्त करने का गुण उसमें होना चाहिये एवं वह आत्म विश्वास से भरपूर हो।
3 उसमें अद्भुत जीवटशक्ति हो, 20-20 घंटे काम करने की क्षमता हो तथा वह आलस्य, प्रमाद, द्वेष आदि से रहित हो।
4 उसकी मेधाशक्ति अनिर्वचनीय हो, जो बात वह एक बार सुन ले, उसे कभी विस्मृत न करे और समस्त प्रकार का ज्ञान उसके अन्दर समाहित हो।
5 उसकी पूर्वाभासशक्ति पूर्ण रूप से विकसित हो, जिससे वह पहले से ही आकलन कर सके, कि आने वाले समय में क्या घटनायें घटित होगी, जिससे वह उसी के अनुसार अपने सारे कार्यों को क्रियान्वित करे।
सही ही तो है, सामान्य व्यक्तित्व, कमजोर वाक्शक्ति, आत्म विश्वास की कमी, आलस्य, कमजोर स्मरणशक्ति एवं पूर्वाभास की कमी ही तो वे कुछ बंधन है, जो व्यक्ति को अपने पाश से जकड़े रहते हैं और वह सफलता प्राप्त करने के लिए हाथ पैर मारते हुए भी असफल ही रहता है।
ये सारे ही उपरोक्त गुण, जो भर्तृहरि ने कहे हैं, व्यक्ति के जीवन में पग-पग पर सहायक होते हैं। साक्षात्कार आदि में, जहां व्यक्तित्व का आकलन होता है, उसका आत्म विश्वास, उसका बात करने का तरीका और दूसरों को प्रभावित करने का ढंग देखा जाता है, वहीं साथ ही साथ इस बात का अंदाजा भी लगाया जाता है, कि सामने वाला व्यक्ति किस-किस क्षेत्र में पारंगत है और नवीनतम जानकारियों से वाकिफ है या नहीं। यदि व्यक्ति की मेधाशक्ति उन्नत हो, तो यह सब कितना आसान हो सकता है।
व्यापार के क्षेत्र में भी व्यक्ति को बाजार सम्बन्धी सभी नवीनतम जानकारीयां होनी चाहिये, दूसरों को आश्वस्त कर अपना कार्य बनाने की कला और वाक् चातुर्य के साथ-साथ उसका व्यक्तित्व भी प्रभावशाली होना आवश्यक है। कई लोग साक्षात्कार या व्यापारिक वार्ताओं के दौरान हकलाने लग जाते हैं, नर्वस हो जाते हैं और हाथ में आई सफलता खो देते हैं।
यदि व्यक्ति में पूर्णाभासशक्ति हो, तो वह जीवन के किसी भी क्षेत्र में मात नहीं खा सकता, वह पहले से ही भांप लेता है, कि अमुक साझेदारी उसके लिये उपयोगी रहेगी या नहीं, कहीं सामने वाला धोखा तो नहीं देगा, भविष्य में कौन-कौन सी घटनाएं किस-किस प्रकार से घटित हो सकती हैं आदि। यदि व्यक्ति पहले से ही यह जान जाये, तो वह समय रहते ही उपयुक्त कदम उठा कर अभीष्ट सफलता प्राप्त कर सकता है।
राजनीति के क्षेत्र में भी व्यक्ति का प्रभावशाली होना अत्यन्त आवश्यक है, साथ ही स्थिति को तुरंत भांप कर तदनुसार कदम उठाने का गुण उसके अन्दर होना चाहिये। इससे भी बढ़कर उसमें वाक् चातुर्य होना चाहिये, लोगों को प्रभावित करने की अद्भुत क्षमता उसके अन्दर होनी चाहिये और उसे प्रबल आत्म विश्वास होना चाहिये। यदि इनमें से किसी एक की भी कमी होती है, तो व्यक्ति श्रेष्ठ राजनीतिज्ञ नहीं बन सकता और वह प्रायः असफल ही देखा जाता है।
फिल्म जगत, कला, संगीत आदि क्षेत्रें में ही इन्हीं गुणों का समावेश व्यक्ति को शीर्षस्थ स्थान पर पहुँचाने के लिये सहायक हो पाता है, अन्यथा वह एक सामान्य जीवन जीने के लिये बाध्य हो अपनी किस्मत को ही कोसता रह जाता है।
इसके अलावा व्यक्ति में इतनी अधिक जीवटशक्ति होनी चाहिये कि वह अधिक से अधिक श्रम कर अपनी उन्नति के मार्ग को प्रशस्त कर सके और जीवन में स्थायी सफलता प्राप्त कर सके। धन, वैभव, लक्ष्मी आदि केवल पुरूषार्थ एवं परिश्रम से ही प्राप्त की जा सकती है।
और यह आप स्वयं भी प्राप्त कर सकते हैं— हो सकता है, कि आप में आत्म विश्वास की कमी हो, आपकी वाक्शक्ति या मेधाशक्ति कमजोर हो, आपका व्यक्तित्व आकर्षणहीन हो, आप में जीवट शक्ति की कमी हो तो आप स्थिति को सही तरीके से नहीं भांप सकते— और इन बाधाओं की वजह से आपको असफलता ही प्राप्त होती रहती है।
…..परन्तु इसके लिए आपको हताश होने की आवश्यकता नहीं, क्योंकि जन्म से ही कोई व्यक्ति महान नहीं होता, जन्म से ही कोई युग पुरूष नहीं होता, यह तो एक सतत प्रक्रिया है, जिसमें एक खुरदरा, तेजहीन पदार्थ आग में तप कर स्वर्ण बन जाता है। विंस्टन चर्चिल 25 साल की उम्र तक अत्यन्त ही सामान्य व्यक्ति थे, उनमें आत्म विश्वास की कमी थी, वाक्शक्ति भी न्यून थी, परन्तु आज इतिहास में उनका नाम सर्वश्रेष्ठ स्टेट्समैन के रूप में अंकित है।
जार्ज वाशिंगटन बचपन में हकलाते थे और इस कारण अत्यधिक शर्मीले थे, परन्तु अपनी लगन और दृढ़ निश्चय से वे अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति बन सके और अपना नाम अमर कर सके।
महात्मा गांधी देखने में अत्यन्त सामान्य, मात्र 48 किलो के अनाकर्षक व्यक्ति थे, परन्तु उनकी अद्भुत जीवनशक्ति तथा बौद्धिक क्षमता के फलस्वरूप आज उन्हें सम्मान से राष्ट्रपिता के नाम से सम्बोधित किया जाता है।
ऐसे कितने ही नाम उदाहरण स्वरूप लिये जा सकते हैं। इसलिये वह निश्चित है, कि युग पुरूष पैदा नहीं होते, अपितु बनते हैं, और आप यदि चाहें तो स्वयं को ही इस स्थिति तक ले जा सकते हैं और हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
अब प्रश्न उठता है, कि ऐसी सफलता किस प्रकार से प्राप्त की जा सकती है?
भर्तृहरि का जीवन प्रारम्भ में अत्यन्त ही भौतिकता और विलासिता पूर्ण था, परन्तु बाद में नाथ परम्परा में दीक्षित होकर वे अत्यन्त उच्चकोटि के योगी भी बने। उन्होंने ही आगे कहा है, कि यदि व्यक्ति में ये गुण नहीं हैं, तो वह हताश न हो, क्योंकि सभी गुण मात्र एक ही साधना की तेजस्विता के माध्यम से सहजता से प्राप्त किये जा सकते हैं— और यह साधना है- रक्षेश्वर प्रयोग। वह प्रयोग, जो व्यक्ति की कमियों के बंधनों को काटकर उसमें अद्वितीय चेतना, तेजस्विता एवं नवीन व्यक्तित्व का समावेश कर देता है, जिससे वह आसानी से किसी भी क्षेत्र में पूर्ण सफलता प्राप्त कर मान, सम्मान, यश, वैभव, धन, लक्ष्मी आदि का अधिकारी हो जाता है। यह साधना नाथ परम्परा की एक अद्वितीय साधना पद्धति है, अतः उन्नति की आकांक्षा रखने वाले व्यक्ति को यह साधना सम्पन्न करनी ही चाहिये।
साधना विधान
इस प्रयोग को रक्षा बंधन 11 अगस्त 2022 के दिन ही सम्पन्न करने का विधान बताया गया है, किसी कारणवश ऐसा सम्भव न होने पर किसी भी सोमवार से प्रारम्भ किया जा सकता है। यह प्रातः कालीन साधना है और उसमें रक्षेश्वर यंत्र एवं रक्षेश्वर माला की आवश्यकता होती है।
साधक ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि नित्य कर्म से निवृत हो कर शुद्ध, श्वेत वस्त्र धारण कर, पूर्वाभिमुख हो श्वेत आसन ग्रहण करे।
अपने सामने बाजोट पर श्वेत वस्त्र बिछाकर उस पर रक्षेश्वर यंत्र एवं गुरू चित्र को स्थापित कर उनका पंचोपचार पूजन करें। गुरू चित्र पर एक रक्षा सूत्र अर्पित करें, जिसका अर्थ है, कि हे गुरूदेव! आप मेरी रक्षा का भार अपने ऊपर लेकर मुझको अभय प्रदान करें और जीवन की समस्त बाधाओं, शत्रुओं, रोग आदि से मेरी रक्षा करें।
फिर दूसरा रक्षा सूत्र रक्षेश्वर यंत्र पर अर्पित करें, जिससे कि आपके न्यूनता रूपी बंधन समाप्त हो सके और आप तीव्रता से सफलता की ओर अग्रसर हो सकें। इसके उपरान्त रक्षेश्वर माला से निम्न मंत्र का 5 माला मंत्र 11 दिन तक प्रातः मंत्र जप करें-
यह अद्भुत तेजस्विता युक्त मंत्र है और इस मंत्र का जप करने पर इसमें निहित क्लीं बीज सभी दोषों, न्यूनताओं का विध्वंस कर व्यक्ति में तेजस्विता स्थापित करता है, ऐं बीज उसे वाक् चतुरता, मेधाशक्ति एवं पूर्वाभास शक्ति से परिपूर्ण करता है, ह्रीं बीज उसको आकर्षक एवं मनोहर व्यक्तित्व के साथ अद्भुत जीवट शक्ति देनें में सहायक होता है तथा गुं बीज सम्पूर्ण रूप से गुरू कृपा व आशीर्वाद प्राप्त करने में सहायक होता है।
इतने अद्वितीय मंत्र को प्राप्त कर यदि व्यक्ति साधना न सम्पन्न कर सके, तो यह उसका दुर्भाग्य ही कहा जायेगा। साधना समाप्ति के उपरान्त यंत्र व माला को किसी नदी, तालाब या जलाशय में विसर्जित कर दें। ऐसा करने पर यह साधना पूर्ण होती है।
इस साधना को सम्पन्न करने के बाद कुछ ही दिनों में व्यक्ति स्वयं में होने वाले परिवर्तनों को अनुभव करने लगता है, उसमें ऊपर वर्णित गुणों का स्वतः ही विकास होने लगता है और वह सबका प्रिय होकर तीव्रता के साथ अपने इच्छित क्षेत्र में उच्चतम स्थिति प्राप्त करने हेतु अग्रसर होने लगता है।
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