ईश्वर-ईश्वरी, महेश्वर-महेश्वरी, ब्रह्म-शक्ति सब कुछ शक्ति में ही निहित है। वही शक्ति आदि पुरूष के रूप में मुमुक्षुओं को तारती है और दूसरी ओर आद्या शक्ति रूप में भक्तों के दुःखों का निवारण करती है। महेश्वरी, जगदीशवरी, परमेश्वरी, सरस्वती, दुर्गा, पार्वती, सीता, गौरी, महामाया, मूल प्रकृति, विद्या, अविद्या इत्यादि सभी उसी शक्ति के स्वरूप हैं। महामाया नवदुर्गा शक्ति की चेतना पाकर व्यक्ति जीवन में विकास, उन्नति, पोषण, और वृद्धि करने में सफलता प्राप्त करता है और उसके भीतर और बाहर जो भी न्यूनतायें हैं, उनका शमन होता है।
नवरात्रि की ये नौ रात्रिया अपने आप में नवदुर्गा शक्तियों को शक्ति साधना के द्वारा जीवन में अनुकूल करने की रात्रिया है। इन्हीं नवदुर्गा शक्तियों से ही जगत की समस्त शक्तियों का उद्भव या संचरण हुआ है। भौतिक जीवन के लिये सबसे पहले यही महत्वपूर्ण होता है कि उसके जीवन में कोई बाधा, रोग, हीनता ना हो उसके पश्चात् उसके जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति होती रहे अर्थात सभी सुख-सुविधा, साधन उसके जीवन में उपलब्ध हो, इसके साथ ही वह ज्ञान, बुद्धि, विवेक, सम्मोहन, आकर्षण से युक्त भी हो। यह प्रत्येक सांसारिक व्यक्ति की इच्छा होती है।
इस शारदीय नवरात्रि के चेतनामय दिवस पर जीवन को सुखद रंगों से युक्त करने हेतु महामाया नवदुर्गा शक्ति दीक्षा के माध्यम से साधक विशिष्ट तेजस्वी चेतना को आत्मसात कर जीवन की दुःखद स्थितियों, धनहीनता, शत्रु बाधा, तांत्रोक्त पीड़ा, पितृ दोष जैसी विषम न्यूनताओं को महामाया नवदुर्गा की चेतना से भस्म कर सकेंगे और जीवन में सौभाग्य प्राप्ति, धन-लक्ष्मी, कार्य व्यापार वृद्धि, संतान सुख, सर्वकामना पूर्ति युक्त बन सकेंगे व जीवन श्रेष्ठ रंगों व रस युक्त होगा। यह दीक्षा साधक के सर्वांगीण विकास में सहायक और उच्चता प्रदायी है।
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,