धन, वैभव, मान, प्रतिष्ठा, व्यापार आदि सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने के लिये व्यक्ति हर क्षण प्रयासरत रहता है, किन्तु सफलता उसके हाथ नहीं लगती। साधारणतः आम जीवन में तो प्रत्येक व्यक्ति ऐसी ही समस्याओं व बाधाओं से ग्रस्त रहता है, किन्तु इन सभी कष्टों से, इन सभी बाधाओं से उसे छुटकारा मिल सकता है, यदि उसे उस क्षण विशेष में उस दुर्लभ साधना का ज्ञान हो, जिसे ‘विजया एकादशी प्रयोग’ कहते हैं।
यह जीवन के सभी क्षेत्रों में विजय प्राप्त करने का एकमात्र उपाय है, यदि व्यक्ति को इस प्रयोग का ज्ञान हो, तो वह अपने अभावयुक्त जीवन से शीघ्र ही निजात पा सकता है। यह एक दुर्लभ एवं महत्वपूर्ण प्रयोग है, जिसे प्रत्येक व्यक्ति को सम्पन्न करना ही चाहिये।
जीवन का मतलब सुख और शांति के साथ समय व्यतीत करना होता है, हम अपने जीवन में जितना परिश्रम करें उतना फल हमें प्राप्त हो जाये, पर अधिकतर ऐसा नहीं होता, हम अपने जीवन में देखते है कि बहुत अधिक परिश्रम करने पर भी उतनी अधिक सफलता हमें प्राप्त नहीं हो पाती।
व्यापार में हम दिन-रात मेहनत करते रहते हैं और समय आने पर उसका जो कुछ लाभ प्राप्त होना चाहिये, वह प्राप्त नहीं हो पाता, हम अपनी तरफ से परिवार में कोई कलह या मन-मुटाव नहीं चाहते, परन्तु प्रयत्न करने के बावजूद भी परिवार में जो सुख, शांति और आनन्द होना चाहिये, वह नहीं हो पाता।
विजय एकादशी प्रयोग को सम्पन्न कर व्यक्ति अपने जीवन के समस्त मनोरथों को पूर्ण करने में सक्षम एवं समर्थ हो पाता है। ग्रंथों के अनुसार यदि व्यक्ति विजया एकादशी के दिन इस प्रयोग को सम्पन्न कर लेता है, तो उसे सफलता मिलती ही है, क्योंकि विजया एकादशी अपने आप में ऐसा ही श्रेष्ठ क्षण है, जिसका लाभ कोई भी व्यक्ति या साधक पूर्णतः उठा सकता है।
आज मानव कई छोटी-बड़ी परेशानियों में उलझकर अपने महत्वपूर्ण क्षणों को व्यर्थ गंवा बैठता है, जिस कारण वह निराशावादी, नीरस व अभाव युक्त जीवन जीने पर मजबूर हो जाता है, जैसे-
इस प्रकार की समस्त बाधाओं, अड़चनों का निराकरण इस विजया एकादशी प्रयोग से सम्भव है, जो धन, यश, मान, पुत्र-पौत्र, व्यापार, नौकरी, विवाह आदि समस्याओं को दूर करने में सक्षम है।
वास्तव में ही यह एक अद्वितीय एवं अचूक प्रयोग है, जिसे सम्पन्न कर व्यक्ति शीघ्र ही लाभ प्राप्त कर सकता है। यह प्रयोग पूर्णतः प्रामाणिक है, क्योंकि पूज्य गुरूदेव द्वारा अपने कुछ शिष्यों को दिया गया यह अद्वितीय प्रयोग अपनी प्रामाणिकता को सिद्ध करता है, जिसे सम्पन्न कर उन शिष्यों या साधकों ने महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की और आज भी जीवन के प्रत्येक पक्ष, प्रत्येक क्षेत्र में विजय प्राप्त कर वे सुख-वैभव, पद-प्रतिष्ठा, पुत्र-पौत्र सभी कुछ प्राप्त कर एक श्रेष्ठ व पूर्ण सम्पन्नता युक्त जीवन का निर्माण करने में सक्षम हो सके हैं।
विजया एकादशी तो समस्त कार्यों में विजय प्रदान करने वाली एकादशी है। यह सौभाग्यदायक दिवस 16-02-2023 को एक विशेष पर्व के रूप में आपके सामने उपस्थित हो रहा है, यदि उसका साधनात्मक दृष्टि से उचित प्रयोग किया जाये, तो यह प्रयोग विशेष उन्नतिदायक एवं सफलतादायक है।
इस प्रयोग को कोई भी व्यक्ति अपने घर पर बैठ कर सम्पन्न कर सकता है। यह एक सहज सफलतादायक प्रयोग है, जिससे साधक जीवन के प्रत्येक पक्ष, प्रत्येक समस्या पर विजय प्राप्त कर एक सुखी जीवन का निर्माण कर सकता है।
इस प्रयोग को सम्पन्न करने के लिये श्रेष्ठ तिथि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी है। यह रात्रिकालीन साधना है, इसमें साधक या साधिका स्नान कर, शुद्ध पीले वस्त्र धारण कर, पीले आसन पर पश्चिम की ओर मुंह कर बैठ जायें, इसके पश्चात् बाजोट के ऊपर पीला वस्त्र बिछाकर, उस पर कुंकुम से अष्टदल कमल अंकित कर विजया यंत्र को उस पर रख दें, फिर उस यंत्र पर अष्टदल से 11 बिन्दियां लगाये तथा 11 घुंघचियों को अर्द्धचन्द्रकार रूप में यंत्र के सामने रख दें, इसके बाद कुंकुम, अक्षत व 11 पीले पुष्प उस यंत्र व घुंघचियों के समक्ष अर्पित कर दें, तथा एक घी का दीपक यंत्र के सामने प्रज्वलित कर दें, ध्यान रखें की दीपक पूरे साधनाकाल में जलता रहे, फिर इसके पश्चात् बेसन से बने भोग को नैवेद्य के रूप में समर्पित करें।
इस प्रयोग को सम्पन्न करने के लिये किसी भी प्रकार की माला की कोई आवश्यकता नहीं है, केवल 30 मिनट तक शांतचित्त होकर निम्न मंत्र का जप करें-
मंत्र जप करने के पश्चात् गुरू आरती सम्पन्न करें तथा बेसन से बना प्रसाद वितरित करें।
इस प्रकार पूर्ण विधि-विधान पूर्वक साधना सम्पन्न कर, पूरे परिवार के साथ प्रसाद ग्रहण कर भोजन कर लें। अगले दिन प्रातः काल उठकर साधक उस यंत्र का पुनः संक्षिप्त पूजन करे, जिस वस्त्र पर यंत्र स्थापित किया है, उसी में यंत्र और घुंघचों को लपेटकर उसे मौली से बांध दें, फिर किसी नदी में या किसी पवित्र सरोवर में उस पोटली को विसर्जित कर दें।
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