यदि हमें मानव जीवन मिला है, तो इसका पूर्ण रूप से सदुपयोग कर अपने जीवन को चुनौती के साथ जीयें, न कि डर कर, भीड़ में खोकर अस्तित्व विहिन होकर।
ऐसे जीवन से तो मृत्यु अच्छी है। जिनके जीवन में जोश नहीं है, पौरूषता नहीं है, साहस नहीं है, अडिगता नहीं है, क्योंकि किसी ने फटकार दिया, तो सुन लिया, कोई अपमान कर गया, तो सह लिया, किसी ने चुनौती दी, तो उसे स्वीकार नहीं कर सकें, तो ऐसे व्यक्तियों को यह प्रयोग अवश्य करना चाहिये, जिससे वे अपने जीवन को शेर की तरह जी सके। यह प्रयोग सम्पन्न करने से कमजोर से कमजोर व्यक्ति में भी चुनौती का सामना करने का साहस आ जाता है।
व्यक्ति इतना अधिक तनाव में जीता है, कि वह अनेक मानसिक और शारीरिक रोगों से ग्रस्त होने लगता है, यह साधना उसमें सामर्थ्य उत्पन्न करती है, जिससे वह शारीरिक और मानसिक रोगों का निरोध कर पाता है, क्योंकि इस प्रयोग को सम्पन्न करने से उसकी शारीरिक और मानसिक व्याधियां भी ठीक होने लगती हैं।
जीवन में सर्वोच्चता पाने के लिये मानसिक और शारीरिक रूप से रोग मुक्त होना ही पड़ेगा, क्योंकि बिना रोग मुक्त हुये जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल नहीं हुआ जा सकता —— और यही कारण है, कि व्यक्ति अनेकों प्रयास करता है अपने आपको रोग मुक्त रखने के लिये, अनेकों प्रकार की चिकित्सा विधियों का सहारा लेता है, किन्तु कभी-कभी जब वह इनसे ठीक नहीं हो पाता है, तो अपने आप पुकार उठता है-हे भगवान! रक्षा करो!
भगवान तो समय-समय पर विविध रूप, विविध उपायों द्वारा सभी के लिये सहायक बनते ही है। ऐसे ही भक्त वत्सल व पूर्ण सहायक है ‘श्री हनुमान’ तभी तो कहा गया है-
श्री हनुमान तो अपने भक्तों को उनके जीवन में सफलता प्रदान करते ही है और साधक को सर्वोच्चता-सफलता तक पहुँचाने के लिये प्रयत्नशील रहते है।
भक्त वत्सल श्री हनुमान के बजरंग स्वरूप पर आधारित यह प्रयोग साधक के जीवन में आश्चर्यजनक रूप से उसके व्यक्तित्व में, उसके जीवन में परिवर्तन ला देता है। इस प्रयोग को सम्पन्न करने के पश्चात् वह अपने जीवन में समस्त मानसिक और शारीरिक रोगों से पूर्ण रूप से मुक्ति पाता ही है तथा उसके जीवन में सफलता के, सर्वोच्चता के रास्ते खुलते जाते है और शनैः-शनैः वह जीवन में अत्यन्त बलशाली होकर इच्छित कामना पूरी कर लेता है।
इस साधना को सम्पन्न करने से साधक के अन्दर श्री हनुमान के समान बल, साहस, अदम्य तेज, तीव्र बुद्धि उत्पन्न होने लगती है। वह हर प्रकार की परिस्थितियों में अडिग भाव से खड़ा रह सकता है तथा उनका दृढ़ता से सामना करता है।
‘बजरंग बली’ जिनमें अदम्य साहस है, अतुलनीय बल, भक्ति है जो अत्यन्त विनम्र, सेवाभावी है तथा इष्ट भक्ति में सर्वोच्च है, इनका प्रयोग सम्पन्न करने से तो जीवन में किसी प्रकार की न्यूनता रह ही नहीं सकती है, वे अपने भक्तों को तो कष्ट में देख ही नहीं सकते हैं।
यह प्रयोग आप 06-04-2023 को हनुमान जयंती के अवसर पर या किसी भी शनिवार को सम्पन्न कर सकते हैं।
यह एक दिवसीय साधना है, प्रातः काल करें, तो ज्यादा अनुकूल होगा।
इनकी साधना में आवश्यक सामग्री है ‘बजरंग यंत्र’।
यंत्र का चंदन, पुष्प, धूप आदि से पूजन करें।
दोनों हाथ जोड़कर ध्यान करें-
वीरासन में बैठकर 101 बार निम्न मंत्र पढ़ते हुये लाल रंग के पुष्प यंत्र चढ़ायें-
तत्पश्चात् एक बार बजरंग बाण का पाठ करें।
गेहूं की रोटी तथा गुड़, घी से बने चूरमें का भोग लगायें।
अगले दिन यंत्र को नदी या पवित्र स्थान पर विसर्जित कर दें।
यह प्रयोग सम्पन्न करने से व्यक्ति में आश्चर्यजनक परिवर्तन आता है तथा वह पूर्ण रूप से रोग मुक्त होकर सामर्थ्यवान बनकर अपने कार्य क्षेत्र में सर्वोच्चता प्राप्त करता है। यदि साधक पूर्ण एकाग्र भाव से तथा विश्वास से यह प्रयोग सम्पन्न करे, तो सफलता मिलना संदिग्ध नहीं रहता है।
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