दरिद्रता का अंधकार ही नहीं, अज्ञानता का अंधकार भी तारा से ही समाप्त होता है। जीवन की कान्ति बढ़ती है और क्षुद्र ज्ञाता भी बृहस्पति के समान हो जाता है। यही मोक्ष दात्री भी है और साधकों के जीवन का कल्याण करने वाली भी है। तारा महाविद्या दस महाविद्याओं में एक श्रेष्ठ महाविद्या है।
तारा महाविद्या की उपासना प्रत्येक रूप में व्यक्ति के जीवन में ऋद्धि-सिद्धि दायक है। भगवती लक्ष्मी की नौ कलायें- विभूति, नम्रता, कान्ति, तुष्टि, कीर्ति, सिद्धि, पुष्टि, सृष्टि एवं ऋद्धि की प्राप्ति केवल तारा महाविद्या की अभ्यर्थना के द्वारा ही तो संभव कही गई है। इन्ही नौ कलाओं में छुपी है जीवन की समपूर्णता। भगवती तारा नित्य ही अपने साधक को स्वार्णाभूषणों का उपहार देती है। महातारा के सिद्ध साधक को तो भैरव के समान बल प्राप्त होता है और यक्षिणियां उसकी दासी बन जाती है जिनके माध्यम से वह संसार का कोई भी कार्य करने में असमर्थ रहता ही नही।
यह विशिष्ट दीक्षा ग्रहण करने वाला व्यक्ति आर्थिक उन्नति एवं अन्य बाधाओं का निराकरण करने में पूर्ण रूप से सक्षम होता है साथ ही उसकी आय के नये स्रोत खुलने लगते है और वह पूर्ण ऐश्वर्यशाली जीवन व्यतीत करता है। व्यक्ति में आलस्य व प्रमाद समाप्त होता है।
जिस भी व्यक्ति में आलस्य या प्रमाद की अधिकता होने लगी हो, साधना सम्पन्न करने में व्यवधान उत्पन्न होता हो। जिसके घर में निरन्तर कलह की स्थिति हो और परिवार में कोई रोग से ग्रसित हो, तो यह दीक्षा उसे अवश्य ही ग्रहण करनी चाहिये। कार्यालय में परिस्थितियां आपके अनुकूल नहीं हो या विरोध निरन्तर आपसी विरोध का वातावरण हों, ऐसे में महातारा की उपासना ही निवृति प्रदान कर सकती है। स्त्री वर्ग स्वयं में प्रत्येक दृष्टि से श्रेष्ठता, सम्पन्नता प्राप्त करना चाहती हों, तो उनके लिये यह दीक्षा महत्वपूर्ण है।
तारा दीक्षा को प्राप्त करने के बाद साधक के जीवन में अर्थ का अभाव समाप्त हो जाता है। तारा दीक्षा प्राप्त करने के बाद साधक को जहाँ आकस्मिक धन प्राप्ति के योग बनने लगते हैं। आर्थिक उन्नति एवं अन्य बाधाओं का निराकरण होता है और आय के नये स्रोत खुलने लगते हैं। इस दीक्षा से काव्य व लेखन प्रेमी की प्रतिभा में निखार आता है। वहीं उसके अन्दर ज्ञान के बीज का भी प्रस्फुटन होने लगता है, जिसके फलस्वरूप उसके सामने भूत-भविष्य के अनेकों रहस्य यदा-कदा प्रकट होने लगते हैं। तारा दीक्षा प्राप्त करने के बाद साधक का सिद्धाश्रम प्राप्ति का लक्ष्य भी प्रशस्त होता है।
तीन पत्रिका सदस्य बनाने पर यह दीक्षा उपहार स्वरूप प्रदान की जायेगी।
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,