अध्यात्म की देवी भगवती छिन्नमस्ता जो सभी कष्टों को हर कर साधक को श्रेष्ठता प्रदान करती है। दस महाविद्या में भगवती छिन्नमस्ता ही ऐसी देवी है जो भौतिक और आध्यात्मिक दोनों पक्षों को अपने में समेटे हुयी है। भगवती छिन्नमस्ता साधक के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को दूर करने और शत्रुओं को मार्ग से हटाने तथा स्वयं का मार्ग निर्विघ्न बनाने में सहायता प्रदान करती है, जिससे साधक सभी दृष्टियों से सम्पन्न होकर सुखी रहता है, वह स्वयं में इतना प्रभावी और सक्षम बन जाता है, कि शत्रु उसके सामने खड़े नहीं हो पाते, वह शत्रुओं पर सदैव हावी रहता है।
प्रचण्ड चण्डिका-छिन्नमस्तिका शक्तिपात दीक्षा से जीवन में आने वाली छोटी-बड़ी सभी बाधाओं का शमन होता है, शत्रु पक्ष निस्तेज, ऊर्जा हीन हो जाते हैं। किसी प्रकार का षड़यंत्र हमारे विरूद्ध बनने से पहले ही निष्फल हो जाता है और जिस भी रूप में हमारे विरोधी हो, चाहे वे पैशाचिक शक्ति, कर्म दोष, भाग्य दोष अथवा ग्रहो का प्रकोप इन सभी स्थितियों में अनुकूलता प्राप्त होती है। यह दीक्षा आठों सिद्धियों और ऋद्धियों को देने में समर्थ है, जो इस दीक्षा को ग्रहण करता है, उसके जीवन में धन, धान्य, विलासमय भवन, कीर्ति, दीर्घायु, ख्याति, यश, वाहन, पुत्र-पौत्र और अन्य सभी भौतिक सुख स्वतः ही प्राप्त होते रहते हैं, तथा जीवन में किसी प्रकार का अभाव देखने को नहीं मिलता।
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