मनुष्य के अथक प्रयास करने के बाद भी वह अपनी इच्छाओं को प्राप्त कर नहीं पाता, तब वह क्या करें? यदि व्यक्ति अपने मानस में अपने इच्छाओं को लेकर चल रहा है, उसे पूर्णता देने के लिये नित्य प्रयासरत है और अभी तक उसे साकार रूप नहीं दे पा रहा है, तो इसका कारण कोई भी हो सकता है – साधनों का अभाव, मार्गदर्शन का अभाव, आत्म विश्वास की कमी, प्रतिद्वन्द्वित या स्वयं के ही पूर्व जन्माकृत दोष, हमारे पाप, कार्य में सैकड़ों प्रकार की बाधाये उपस्थित होनी स्वाभाविक है। यह बात तो प्रत्येक मनुष्य जानता है कि जीवन की जटिल, विषम स्थितियों की निवृत्ति केवल इष्ट गुरू, देवी-देवतीओं की कृपा व मार्गदर्शन से ही संभव है।
भगवान विष्णु सकल जगत को चलाने वाले आदिदेव हैं। उनकी साधना, उपासना करने से साधक को हर कार्य में पूर्ण सहायता मिलती है, क्योंकि समस्त कार्य मात्र भगवान विष्णु की शक्ति से ही गतिशील हैं। किसी भी मनोकामना को लेकर सम्पन्न की गई भगवान विष्णु की उपासना के माध्यम से साधक के संकल्पित कार्य पूर्ण होते ही हैं।
इस दीक्षा को प्राप्त करने से साधक का व्यक्तित्व भी आकर्षक हो जाता है, जिसके कारण उसे अनेकों लाभ प्राप्त होते हैं। भगवान विष्णु यदि प्रसन्न हो जायें, तो उनकी सहचरी भगवती लक्ष्मी तो स्वतः ही सिद्ध हो जाती हैं और इस प्रकार साधक के जीवन में दरिद्रता का तो समापन होता ही है। यदि व्यापार है तो उसमें बरकत होती है, यदि नौकरी पेशा हैं तो तरक्की होती है। यह दीक्षा जहां पूर्ण भौतिक उन्नति का साधन है, बेरोजगार के लिये व्यवसाय का उपाय है, वहीं इस दीक्षा से जीवन की सर्व इच्छाओं के पूर्ण होने का मार्ग भी प्रशस्त होता है।
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