विभिन्न फायदों के कारण यह ड्राई फ्रूट्स में एक खास स्थान रखता है। पिस्ता पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसका सेवन वजन को संतुलित करने से लेकर, रक्तचाप व इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित रखने तक किया जा सकता है। इसका वैज्ञानिक नाम पिस्टेसिया वेरा (PISTACIA VERA) है। यह ईरान, अफगानिस्तान, सयुंक्त राज्य अमेरिका और सीरिया में बड़े स्तर पर पाया जाता है। दुनिया में सबसे ज्यादा पिस्ते की पैदावार ईरान में होती है।
पिस्ता कई तरह के स्वास्थ्यवर्धक पोषक तत्वों से समृद्ध होता है। इसमें सैचुरेटेड फैटी एसिड, पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड, मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड, ओलिक व लिनोलिक एसिड, प्रोटीन, विटामिन और फाइबर होता है। यह स्वास्थ्य स्थिति में सुधार करने के साथ ही कई गंभीर समस्याओं को दूर रखने का भी काम करता है। यह कहा जा सकता है कि पिस्ता खाने से कई बीमारियों से बचना आसान हो सकता है।
पिस्ता पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है। पिस्ता के सेवन से प्लामा टोटल कोलेस्ट्रॉल में सुधार होता है। पिस्ता के सेवन से लो- डेंसिटी लिपोप्रोटीन (नुकसानदायक कोलेस्ट्रॉल) कम होता है। वहीं, पिस्ता हाई-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (लाभकारी कोलेस्ट्रॉल) को बढ़ाने का काम करता है। लो- डेंसिटी लिपोप्रोटीन के कम होने पर कोरोनरी हार्ट डिजीज और इस्केमिक हार्ट डिजीज का खतरा कम हो सकता है।
आंखें पूरे शरीर का सबसे अहम हिस्सा होती हैं। पिस्ता के गुण में ल्यूटिन और जेक्सैंथिन जैसे कैरोटीनॉयड शामिल है, जो आंखों के रेटिना के लिये लाभकारी होते हैं। आहार में ल्यूटिन और जेक्सैंथिन की कमी के कारण बढ़ते उम्र के साथ होने वाले ऐज रिलेटेड मैकुलर डिजनरेशन (एएमडी) की समस्या उत्पन्न हो सकती है, जिसमें ठीक तरह से दिखाई देना कम होता है। ऐसे में पिस्ता के सेवन कर ल्यूटिन और जेक्सैंथिन की पूर्ति होती है, जो एएमडी की समस्या को दूर रखने का काम करते हैं।
पिस्ता खाने की विधि पर आधारित एक वैज्ञानिक रिपोर्ट के मुताबिक, पिस्ता टाइप 2 मधुमेह के रोगियों में रक्त शर्करा और इंसुलिन प्रतिरोध पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। इससे मधुमेह की स्थिति में कुछ हद तक सुधार हो सकता है। वैज्ञानिक शोध के अनुसार, पिस्ता में एंटी-डायबिटिक गतिविधि भी होती है, जो मधुमेह की समस्या को दूर रखने का काम करती है।
पिस्ता में फेनोलिक कंपाउंड होता है, जिसमें एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं, जो एड्रेनाजिक (तांत्रिक कोशिकाओं से संबंधित) और नॉरएड्रेनाजिक (मस्तिष्क संबंधी हार्मोन) रिसेप्टर फंक्शन में उम्र से संबंधित परिवर्तन को प्रभावित करते हैं। इससे मस्तिष्क को स्वस्थ रखा जा सकता है। पिस्ता में फ्लेवोनॉएड भी होता है, जो याददाश्त और न्यूरोकॉग्निटिव को बेहतर करता है।
पिस्ता केमो प्रिवेंटिव (CHEMOPREVENTIVE) गुणों से समृद्ध होता है। इस प्रभाव के कारण यह कैंसर सेल को पनपने से रोकने में मदद करता है। पिस्ता में मौजूद पी-टोकोफेरोल (विटामिन-ई का एक रूप) और एंटीऑक्सीडेंट कैंसर के खिलाफ सुरक्षा प्रदान कर कैंसर के जोखिम को कम करता है। वहीं, किसी को कैंसर होने की अवस्था में घरेलू उपचार की जगह डॉक्टर से इलाज करवाना चाहिये।
पिस्ता में मैग्नीशियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है। मैग्नीशियम प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करने वाली बीमारियों को रोकने में मदद करता है। साथ ही पिस्ते में मौजूद टोकोफेरॉल प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर करता है । इस प्रकार पिस्ता का सेवन करने से इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाये रखने में मदद मिलती है।
सही से खान-पान न करने के कारण खून में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हीमोग्लोबिन के लिये भी पिस्ता के गुण मददगार होते हैं। हीमोग्लोबिन की कमी आयरन की कमी के कारण होती है। वहीं, पिस्ता के सेवन से शरीर में आयरन की पर्याप्त मात्रा पहुंचती है, जिससे हीमोग्लोबिन बढ़ता है।
एक शोध में दिया हुआ है कि पिस्ता में स्ट्रोन्शियम होता है, जो एक तरह का ट्रेस मिनरल होता है। स्ट्रोन्शियम को कैल्शियम के स्थान पर लिया जा सकता है। यह मिनरल हड्डियों और दांतों के बनावट में सुधार करता है। साथ ही यह हड्डी के विकास और घनत्व को भी बढ़ावा देने का काम करता है। स्ट्रोन्शियम ओस्टियोब्लास्ट (हड्डियों की कोशिकाओं का निर्माण) और ओस्टियोक्लास्ट (हड्डियों का निर्माण) की भूमिका निभाता है।
गर्भवती को कई पोषक तत्वों की जरूरत होती है, जिनमें से एक ओमेगा फैटी एसिड भी है। इससे होने वाले शिशु को स्वस्थ रखा जा सकता है। पिस्ता में ओमेगा-3 फैटी एसिड की भरपूर मात्रा पाई जाती है।
पिस्ता कुल कोलेस्ट्रॉल में सुधार करने का काम करता है। पिस्ता के एक महीने की नियमित रूप से सेवन से सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (SBP) में काफी कमी आती है।
यह तो स्पष्ट है कि पिस्ता गुणों का खजाना है। अगर इसे सीमित मात्रा में खाया जाये, तो यह कई शारीरिक समस्याओं में रामबाण इलाज साबित हो सकता है। इसलिये, इस ड्राई फ्रूट् को अपने आहार में जरूर शामिल करें। फिर चाहे इसे ऐसे ही खायें या फिर पकवान में डालें। बेशक, पिस्ता गुणकारी है, लेकिन जरूरत से ज्यादा खाने पर नुकसान भी पहुँच सकता है।
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