विज्ञान मस्तिष्क को तीक्ष्ण एवं तीव्र बनाने में उसी प्रकार कार्य करता है जैसे औजार को तीक्ष्ण बनाने में काम आने वाला पत्थर। विज्ञान के विभिन्न नियमों, सिद्धान्तों, सूत्रों, आदि में संदेह की संभावना नहीं रहती है। ये सर्वत्र एक समान नही रहते हैं।
आज का मानव प्राचीन युग के मानव से बिलकुल अलग बन गया है। आज के युग को विज्ञान के चमत्कारों का युग माना जाता है। विज्ञान दो शब्दों से मिलकर बना है- वि+ज्ञान। जिसका अर्थ होता है किसी वस्तु का विशेष ज्ञान। आज के युग के विज्ञान की उन्नति को देखकर संसार चकित हो गया है। विज्ञान को विवेक का द्वार माना जाता है। अपने भौतिक सुखों के लिये ही मानव विज्ञान की शरण में आया है और विज्ञान मानव के लिये कल्पवृक्ष सिद्ध हुआ है। विज्ञान की चकाचौंध से मनुष्य स्तब्ध रह गया है।
पिछले कुछ वर्षों में विज्ञान ने हमारे सम्पूर्ण अस्तित्व में ही परिवर्तन ला दिया है। इसने स्वास्थ्य, परिवहन तथा शक्ति को नियन्त्रित किया है, वैज्ञानिक आज भी हमारे सुखों में बढ़ोत्तरी के लिये दिन-रात प्रयासरत हैं। कुछ चीजें जैसे-एन्टीबायोटिक्स, परमाणु ऊर्जा, थर्मल पावर, मिसाइलें, नायलॉन, कृत्रिम अंग तथा दूसरी अन्य बहुत-सी वस्तुयें आने वाले दिनों में भविष्य में होने वाली खोजों की क्रान्ति के परिप्रेक्ष्य में धूमिल हो जायेगी। हर आने वाला दशक एक नई क्रान्ति के साथ हमारे समक्ष उपस्थित हो रहा है। आज की तकनीक कल पुरानी सिद्ध हो जाती है। वैज्ञानिक उपलब्धियाँ प्रगति के पथ पर पंख लगाकर दौड़ लगा रही है। विज्ञान ने हर क्षेत्र में उथल-पुथल मचा दी है चाहे वह चन्द्रमा या उपग्रहों की बातें हो, सेटेलाइट्स की बातें हों, या शिक्षा के किसी भी क्षेत्र में से जुड़ी बातें हो।
विज्ञान और जीवन का घनिष्ट संबंध होता है। विज्ञान ने ही मानव जीवन को सुखमय बनाया है। विज्ञान ने अंधों को आँखें और बहरों को सुनने के लिये कान दिये हैं। उसने जीवन को दीर्घ बनाया है और डर को कम कर दिया है। विज्ञान ने पागलपन को वश में कर लिया है और रोगों का नाश किया है। जहाँ पर मनुष्य को विज्ञान से इतने सुख मिले हैं वहीं पर दुःख भी प्राप्त हुये हैं। विज्ञान को मानव के लिये वरदान भी माना गया है और अभिशाप भी।
विज्ञान ने मनुष्य को अनेक सुख प्रदान किये हैं। जीवन के प्रत्येक क्रियाकलाप में विज्ञान का योगदान रहा है। विज्ञान ने मनुष्य की कल्पनाओं को सच कर दिखाया है। विज्ञान ने भाप, अणुशक्ति को अपने वश में करके मनुष्य के जीवन में चार-चाँद लगा दिये हैं। विज्ञान ने हेलिकोप्टर, हवाई जहाज जैसे यंत्रों का आविष्कार करके मनुष्य के सुख को चरम सीमा तक पहुँचा दिया है। विज्ञान ने मनुष्य के मनोरंजन के अनेक साधन प्रदान कियें हैं।
विज्ञान के आविष्कारों ने मनुष्य के जीवन को बहुत ही आनंदमय और रोचक बनाया है। लोग मशीनों के द्वारा ही पूरा काम खत्म कर लेते हैं। अन्न उगाने और कपड़ा बनाने के लिये मशीनों का प्रयोग किया जा रहा है। पहले लोग मिट्टी से बने दीपक जलाकर घरों में रोशनी किया करते थे लेकिन आज के लोग बटन दबाते हैं और घर जगमगाने लगते है।
किसलिये विज्ञान? उत्तर हमारी आंखों के सामने है। बिना तकनीक के दुनिया के बारे में सोचें। न कंप्युटर, न कार। बीमारियों के लिये कोई टीका या इलाज नहीं। जीवन हर्षित और अत्यंत मंगलमय होता। विज्ञान हमारे जीवन की अनुमति देता है और कार्यों को सूचित करता है। प्रत्येक सरल वस्तुयें विश्व विज्ञान से संबंधित हैं।
विज्ञान ने चिकित्सा में उन्नति करके एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एक्स-रे से शरीर के अंदर के चित्र ले लिये जाते हैं और दिल, गुर्दे, फेफड़े का ऑपरेशन किया जाता है। अँधों को दूसरों की आँखे दे कर देखने के योग्य बनाया जाता है। कैंसर जैसे रोगों को समाप्त करने के लिये कोबाल्ट किरणों का आविष्कार किया जाता है। लेकिन जब मनुष्य विज्ञान का गलत प्रयोग करने लगता है तो विज्ञान उसके लिये अभिशाप बन जाता है। जब मनुष्य को विज्ञान की भयानकता का पता चल जाता है तो मनुष्य का सारा उत्साह टूट जाता है। विज्ञान ने जिन आविष्कारों को मनुष्य के हित के लिये प्रयोग किया है वहीं पर उसके अहित के लिये भी प्रयोग किया है।
विज्ञान ने ऐटम बम और हाइड्रोजन बम बनाये हैं जिससे पूरा संसार एक ही पल में खत्म हो सकता है। जितना विनाश दूसरे विश्वयुद्ध में हुआ था उसकी पूर्ति विज्ञान सौ सालों में भी नही कर सकता है। हिरोशिमा और नागासाकी पर जो अणु बम गिरे थे उनके परिणाम आज हमारे सामने हैं। बम्ब गिरने की वजह से वहाँ की संताने आज तक विकलांग पैदा होती हैं।
जब हम तीसरे विश्वयुद्ध की कल्पना करते हैं तो हमारा हृदय काँप उठता है। विज्ञान के कारण ही प्रदुषण होता है। हवाई जहाजों से बम गिराकर लोगों के घरों को तबाह कर दिया जाता है। विज्ञान से सबसे बड़ा नुकसान यह हुआ है कि इसने मनुष्य को बेकार बना दिया है। मशीनी युग के आ जाने से बहुत से लोगों की रोजी रोटी छिन गई है। वैज्ञानिक प्रगति की वजह से ही मनुष्य की नैतिक धारणायें शिथिल हो गई हैं। हस्तकला में निपुण लोग मशीनों के अविष्कार से बेकार हो गये हैं। विज्ञान ने मनुष्य को शक्ति तो दी है पर शांति नहीं, सुविधायें तो दी हैं लेकिन सुख नहीं दिया है।
निस्त्रीकरण न केवल विश्व शांति, वरन मानव सभ्यता का भविष्य भी इसी पर निर्भर है। आधुनिक राष्ट्र विज्ञान के वरदान अथवा अभिशाप स्वरूप इस प्रकार के अस्त्र शस्त्रों से सज्ज्ति है कि यदि इस समस्या का सर्वसम्मत हल नहीं तलाशा गया तो हमारी सभ्यता का अस्तित्व इस धरा से निःशेष हो सकता है। अतएव यह स्मरणीय है कि संप्रति निस्त्रीकरण के लिये चल रह प्रयत्नों का उद्देश्य संसार में युद्ध की संभावनाओं को समाप्त कर देना ही नहीं है, क्योंकि युद्ध को मानव-मन से सदैव के लिये निकाल देना असंभव है, अपितु इन प्रत्यनों का मूल उद्देश्य मानव सभ्यता को महाविनाश से बचा लेना है।
विज्ञान तो बस एक शक्ति होती है। विज्ञान का मनुष्य सदुपयोग भी कर सकता है और दुरूपयोग भी। असल में जो विनाश हुआ था उसका जिम्मेदार हम विज्ञान को नहीं मान सकते वह तो निर्जीव होता है। विज्ञान का सदुपयोग करना है या दुरूपयोग यह बात मनुष्य पर ही निर्भर करती है। विज्ञान तो मनुष्य का दास होता है। मनुष्य उसे जैसी आज्ञा देता है विज्ञान वैसा ही करता है। विज्ञान एक तलवार की तरह होता है जिससे किसी को बचाया भी जा सकता है और मारा भी जा सकता है। विज्ञान के प्रयोग को मनुष्य जाति के कल्याण के लिये किया जाना चाहिये मनुष्य जाति के विनाश के लिये नहीं।