गुरु अपने शिष्य को तीन प्रकार की शक्तिपात प्रक्रियाओं से गुजारते हैं – 1. तीव्र, 2. मध्यम और 3. मन्द। इसमें भी प्रत्येक के तीन-तीन भेद हैं। जैसे-जैसे शिष्य अपनी श्रद्धा व समर्पण में आगे बढ़ता है, उसी अनुसार गुरु उसे क्रमबद्ध रूप से तीव्र की ओर शक्तिपात प्रदान करते हैं। शक्तिपात वस्तुतः शक्ति का विलक्षण अन्तर्प्रवाह है। दीक्षा के क्षणों में समर्थ गुरु शिष्य के अन्तर्प्रान्तर में परामानसिक शक्ति की धारा प्रवाहित कर देता है। इस दीक्षा में मंत्र शक्ति का विलक्षण चमत्कार देखा जाता है। मंत्र चैतन्य होने के कारण सम्बन्धित देवता का आशीर्वाद त्वरित गति से अवतरित होता है और शिष्य प्रबुद्ध हो जाता है। यह सम्पूर्ण प्रक्रिया अत्यन्त दिव्य मानी गई है।
कालखण्ड जीवन का महत्वपूर्ण भाग है, यदि समय अनुकूल किसी कार्य को किया जाये, तो उसका प्रभाव अनुकूल ही मिलता है, यह सर्वविदित है। होलिका दहन का पर्व अपने समस्त विकारों को तिलांजलि देने का महत्त्वपूर्ण अवसर है। जिसकी प्रतीक्षा में बड़े-बड़े संन्यासी, योगी भी खड़े रहते हैं, कि कब वह दिन आयेगा, जब हम कुछ विशेष कर अपने मनोवांछित कार्यों को पूर्ण कर सकेंगे और अपने प्रयोजन को सार्थक कर सकेंगे।
होलिका दहन दिवस यह ‘‘तांत्रोक सौन्दर्य आकर्षण इन्द्राणी राज योग भाग्योदय दीक्षा’’ ग्रहण करने का महत्त्वपूर्ण अवसर है। यह दीक्षा प्रत्येक गृहस्थ व्यक्ति के जीवन को श्रेष्ठता प्रदान करने की दीक्षा है, यदि इसे सही अर्थों में समझा और ग्रहण किया जाय तो साधक भौतिक और आध्यात्मिक दोनों ही लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है।
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