सूर्य की ही वजह से मनुष्य जीवित है, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे इत्यादि समूची प्रकृति विकसित एवं चलायमान हैं।
-और यदि सूर्य को ग्रहण लग जाय, तो हवा में कार्बनडाईऑक्साइड गैस की अधिकता हो जाती है, पेड़-पौधे कुम्हलाने लगते है, सभी चीजें ग्रहण के दुष्प्रभाव से ग्रसित होने लगती है, इसीलिये ग्रहण काल मनुष्य और प्रकृति दोनों के लिये ही हानिकारक एवं अशुभ माना जाता है।
किन्तु इस समय को मांत्रिक-तांत्रिक क्रियाओं द्वारा अपने अनुकूल बनाकर उससे हजार गुना लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
इस दिन की गई छोटी-सी साधना भी सवा लाख मंत्र-जप वाले अनुष्ठान के बराबर होती है, क्योंकि जो फल सवा लाख मंत्र जप करने से प्राप्त होता है, वही ग्रहण काल में 5 माला या 11 माला मंत्र जप करने पर ही प्राप्त हो सकता है।
जो ज्ञानी होते है, जो विद्वान होते है, जो उच्चकोटि के योगी, सन्यासी होते है, वे ऐसे क्षणों को चूकते नहीं है, वरन् ऐसे क्षणों के लिए प्रतीक्षारत रहते है, जिससे कि अल्पकाल में ही वे अपने मनोरथों को पूर्ण साकार रूप प्रदान करने में सक्षम हो सकें।
बडे से बड़ा तांत्रिक भी इन क्षणों का उपयोग करने से नहीं चूकता, क्योंकि यही क्षण होते है-विशिष्ट तंत्र क्रियाओं में सफलता एवं सिद्धि प्राप्त करने के, यही क्षण होते है-अभावों से मुक्ति प्राप्त करने के…. और अद्वितीय व्यक्तित्व प्राप्त कर लेने के।
ग्रहण काल अज्ञानियों के लिये अशुभ और ज्ञानियों के लिये शुभ होता है, क्योंकि वे ऐसे स्वर्णिम क्षणों को हाथ से नहीं जाने देते, जब पूर्णता स्वयं प्राप्त होने के लिये साधक का द्वार खटखटा रही हो, ऐसे व्यक्ति उसका स्वागत कर पूर्ण हो जाते है, क्योंकि यह क्षण ही भौतिक और आध्यात्मिक दोनों पक्षों में पूर्णता प्राप्त कर लेने का है, इसीलिये ऐसे व्यक्ति, ऐसे साधक या योगी इस क्षण का लाभ उठाने के लिये बहुत पहले से ही तैयारी शुरू कर देते है, जिससे कि वे निश्चित समय पर साधना, मंत्र-जप द्वारा अपने जीवन में सफलता एवं सम्पन्नता प्राप्त कर श्रेष्ठ मानव बन सकें।
इस बार शास्त्रों आदि के आधार पर साधनात्मक दृष्टि से यह विशिष्ट दिवस, विशिष्ट क्षण सोमवार 08 अप्रैल 2024 को है। सूर्य ग्रहण के समय यदि साधक ‘मुण्डकाली प्रयोग’ को सम्पन्न कर लेता है, तो उसके चेहरे पर व्याप्त दुःख, निराशा, अपने आप ही समाप्त हो जाती हे, क्योंकि यह प्रयोग समस्त मनोरथों की पूर्ति करने वाला जो है। अलग-अलग प्रयोग विधानों की अपेक्षा, यदि इस प्रयोग को सम्पन्न कर लिया जाये, तो जीवन से रोग-शोक, चिन्ता, बाधा सब कुछ समाप्त होता ही है, इसमें कोई दो राय नहीं है। यह प्रयोग गोपनीय, दुर्लभ और तीक्ष्ण प्रभावकारी है…… खुद ही आजमा कर देख लीजिए-
ग्रहण काल में इस प्रयोग को निम्नलिखित कार्यो की पूर्ति हेतु सम्पन्न किया जा सकता है-
वस्तुत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिये ही इस प्रयोग को इन विशिष्ट क्षणों में सम्पन्न करने पर निश्चित लाभ प्राप्त होता ही है।
मंत्र
यह प्रयोग अपने आप में दिव्य और शीघ्र फलदायी है, इसे ग्रहण काल में जिस मनोकामना की पूर्ति के लिये साधना की जाती है, वह अवश्य पूर्ण होती है।
यह सूर्य ग्रहण इस वर्ष में पहली बार आया है, इसलिये इस क्षण को चूकना, व्यक्ति के दुर्भाग्य का ही सूचक होगा, जो इतने बहुमूल्य क्षण को यों ही गंवा दें।
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