गिलोय एक बेल है, जो मुख्य रूप से जंगलों, खेतों की मेड़ों और पहाड़ों की चट्टानों पर पाई जाती है। इसकी तासीर गर्म होती है। इसके फल मटर के बीज जैसे दिखते हैं। इसका तना हरा और देखने में किसी रस्सी-सा लगता है। गर्मी के दिनों में इस पर छोटे पीले फूल लगते हैं, जो नर पौधे में गुच्छे के रूप में और मादा में अकेले मौजूद होते हैं। यही कारण है कि नर और मादा के रूप में गिलोय की पहचान इसके फूलों को देखकर की जाती है। गिलोय की पत्तियां प्रोटीन, कैलशियम व फास्फोरस से भरपूर होती हैं, इसलिये गिलोय के पत्ते के फायदे भी कई हैं। गिलोय का वैज्ञानिक नाम टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया है। इसकी बेल कई बीमारियों को अकेले ही ठीक करने की अद्भुत क्षमता रखती है, इसलिये इसे अमृता (जीवन दाता) के नाम से भी जाना जाता है। इसकी सबसे खास बात यह है कि यह जिस भी पेड़ से लिपटकर बढ़ती है, उस पेड़ के कई औषधीय गुण गिलोय के औषधीय गुण में समाहित हो जाते हैं। इसी कारण नीम के पेड़ पर मौजूद गिलोय की बेल को लाभकारी और सबसे बेहतर माना जाता है।
प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से व्यक्ति बीमारी की चपेट में जल्दी आ जाता है। ऐसे में गिलोय का सेवन लाभकारी साबित होता है। बताया जाता है कि गिलोय के औषधीय गुण में से एक इम्यूनोमाँड्लेटरी प्रभाव भी है, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। इस आधार पर माना जाता है कि गिलोय के लाभ प्रतिरोधक क्षमता के लिये भी हैं। प्रतिरोधक क्षमता को बढाने में गिलोय जूस के फायदे ज्यादा देखे जाते हैं। पुराने बुखार में भी गिलोय के लाभ होते हैं। इसके लिये गिलोय के तने और पत्तियों को इस्तेमाल में लायें। गिलोय जूस के फायदे पुरानी खांसी को ठीक करने में भी देखे जा सकते हैं। लाभ पाने के लिये गिलोय की पत्तियों का रस या काढ़ा बनाकर उसे शहद के साथ बुखार होने पर ले सकते हैं। गिलोय के फायदे पाचन शक्ति को दुरुस्त रखने में देखे जाते हैं। गिलोय के औषधीय गुण में से एक यह भी है कि इससे पाचन संबंधी कई समस्याओं जैसे कि डायरिया और दस्त से उबरने में मदद मिल सकती है। इस आधार पर यह माना जा सकता है कि पाचन तंत्र को मजबूत करने में भी गिलोय का उपयोग सहायक साबित होता है। पाचन शक्ति को सुदृढ़ रखने में सबसे अधिक गिलोय जूस के फायदे देखे जाते हैं। डायबिटीज की समस्या में भी गिलोय के फायदे होते हैं। इसके लिये गिलोय में मौजूद एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक यानी ब्लड शुगर को कम करने वाले प्रभाव को फायदेमंद माना जाता है। यही कारण है कि यह शरीर में इंसुलिन की सक्रियता को बढ़ाकर ब्लड शुगर का नियंत्रण करता है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि गिलोय जूस के फायदे डायबिटीज में भी होते है।
गिलोय को औषधीय गुणों का भंडार माना जाता है। इसमें कई ऐसे रसायन होते हैं, जिनके कारण यह इम्यूनोमाँड्यूलेटरी प्रभाव प्रदर्शित करता है। यह प्रभाव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर कई बीमारियों से लड़ने की क्षमता देता है। इन बीमारियों में मलेरिया और डेंगू जैसे वायरल इंफेक्शन भी शामिल हैं। इस कारण डेंगू की समस्या से राहत पाने में गिलोय के फायदे बताये जाते हैं। माना जाता है कि इसमें शरीर को श्वास संबंधी समस्याओं जैसे अस्थमा के लक्षणों को कम करने की भी प्रबल क्षमता मौजूद होती है। इसके लिये गिलोय के तने के जूस को शहद के साथ मिलाकर इस्तेमाल में लाते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो गिलोय के गुण में एंटी-इंफ्लेमेटरी यानी सूजन को कम करने वाला प्रभाव होता है। इसमें गठिया की समस्या को दूर करने की क्षमता रहती है।
आंखों से संबंधित विकारों से छुटकारा पाने के लिए भी गिलोय को इस्तेमाल में लाते हैं। गिलोय के उपयोग से बढ़ती उम्र के प्रभाव को घटाया जा सकता है। कई रासायनिक तत्वों की उपलब्धता के कारण गिलोय में एंटी-एजिंग प्रभाव भी मौजूद होते हैं। इस कारण यह सेहत संबंधी कई समस्याओं को दूर करने के साथ-साथ बढ़ती उम्र के प्रभाव को भी कम करता है। इस कारण यह कहा जा सकता है कि संतुलित मात्रा में गिलोय का नियमित सेवन त्वचा को जवां बनाये रखने में भी अहम भूमिका निभाता है। अत्यधिक तनाव की स्थिति से आराम पाने के लिए भी गिलोय के जूस का सेवन सहायक होता है। विशेषज्ञों के मुताबिक इसकी जड़ के साथ ही संपूर्ण गिलोय बेल में एंटीस्टेस प्रभाव होता है। इस आधार पर तनाव मुक्ति के लिये गिलोय जूस उपयोगी माना जाता है। गिलोय जूस पीलिया की समस्या में भी सकारात्मक प्रभाव प्रदर्शित करते हैं। गिलोय के औषधीय गुण से संबंधित एक शोध से यह बात प्रमाणित होती है। शोध में माना गया कि गिलोय की बेल में लिवर को सुरक्षा देने वाला गुण मौजूद होता है। इस कारण यह लिवर की बिगड़ी प्रक्रिया को ठीक कर पीलिया की समस्या से राहत पाने में मदद करता है। इयर वैक्स यानि कि कान के खूंट को साफ करने के लिये भी गिलोय के अर्क को इस्तेमाल में लाया जाता है। गिलोय का अर्क बालों पर भी इस्तेमाल किया जाता है। गिलोय के तने की छाल का उपयोग तेल बनाने में किया जाता है। गिलोय के तने की छाल समय पूर्व बालों की सफेदी से बचाव करने में उपयोगी साबित होती है। ऐसे में तने से तैयार गिलोय के जूस को बालों के लिये भी उपयोगी माना जाता है।
करीब 15 मिली गिलोय के जूस का सेवन चिकनगुनिया के प्रभाव से बचाने में कारगर माना जाता है। इस तथ्य को देखते हुये यह माना जा सकता है कि गिलोय के लाभ हासिल करने के लिए 15 मिली गिलोय के जूस का सेवन सुबह के समय किया जा सकता है। हालांकि समस्या के अनुसार इसके सेवन की मात्रा में बदलाव होता है।
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