क्यों सभी नेतृत्व नहीं कर पाते? क्योंकि उनमें श्री जगन्नाथ तत्व नहीं है, उनमें तो केवल आँख मूंदकर एक निश्चित मार्ग पर चलने की भावना ही नहीं है, तो फिर जीवन घिसटता ही रहेगा। जीवन की इस दौड़ में लक्ष्य की ओर कोई नहीं देखता बस दाएं बाएं अवश्य देखते हैं, कि बगल वाला व्यक्ति प्रतिद्वन्दी क्या कर रहे हैं। इसी प्रतिस्पर्द्धा में जीवन में उलटे सीधे कर्म करते हुए, भागते जाते हैं। अपने स्वयं के बारे में विचार करने की क्षमता बहुत कम व्यक्तियों में होती है, अपनी क्षमता का आंकलन कर अपना जीवन लक्ष्य निर्धारित कर अपने बल, बुद्धि, विवेक का प्रयोग कर कार्य करना बहुत कम लोगों को आता है! अपनी गलतियाँ, अपने दोषों पर विचार करना और उन दोषों का निराकरण करना जो नहीं सीखता उसे सफलता कैसे मिलेगी।
यह दीक्षा एक ऐसी दीक्षा है जो साधक के शरीर ही नहीं, मन के ऊपर आए दोषों का भी निराकरण कर उसमें तेज, कर्मशीलता का उद्भव कर, उसकी शक्ति को जागृत कर, शक्ति का विकास कर, साधक को अनन्त की ओर अर्थात विशालता की ओर, उठने की ओर ले जाती है, सूक्ष्म से विराट की ओर, धरती से आकाश की ओर उठने की दीक्षा ही तो है ‘वैकुण्ठनाथरमणी सर्व संताप हारिणी अनन्त सुख-सौभाग्य प्रदारक जगन्नाथ दीक्षा’। जिस एक स्वरूप की आराधना करने से अनन्त पापों का नाश तथा अनन्त देवों के आशीर्वाद का फल मिलता हो -वही हैं जगत के नाथ श्री जगन्नाथ।
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,