जब हम मिठास की बात करते हैं, विशेषकर भोजन में मिठास की, तो हमारा ध्यान बरबस गन्ने की ओर जाता है। उससे हम अनेक रूपों में मिठास प्रदान करने वाले पदार्थ प्राप्त करते हैं, जैसे-गुड़, राब, शक्कर, खांड, बूरा, मिश्री, चीनी आदि। चीनी या उसकी शाखा-प्रशाखाओं को प्राप्त करने का सबसे प्रमुख स्रोत गन्ना ही है। कहते हैं, विश्व में जितने क्षेत्र में गन्ने की खेती की जाती है, उसका लगभग आधा हमारे देश में है। कोई आश्चर्य नहीं कि गन्ने की फसल हमारे देश की सबसे महत्त्वपूर्ण व्यावसायिक फसलों में से एक है और चीनी उद्योग हमारे देश के प्रमुख उद्योगों में है। हालांकि इस उद्योग को बहुत पुराना नहीं कहा जा सकता चूंकि चौथे दशक के बाद, या दूसरे महायुद्ध के दौरान ही इसका तेजी से विकास हुआ है।
भारत में आयुर्वेद के जनक समझे जाने वाले चरक और सुश्रुत को गन्ने की विभिन्न जातियों, उससे बनने वाले विभिन्न पदार्थों और उनके औषधीय गुणों का ज्ञान था। चरक कनिष्क के समकालीन समझे जाते हैं। कनिष्क का काल ई सन के प्रारम्भ से पहले का समझा जाता है, अर्थात् लगभग दो हजार वर्ष पूर्व। इक्षु, दीर्घच्छद, भूमिरस, गुड़मूल, असिपत्र, मधुतृण-संस्कृत में गन्ने के अनेक नाम हैं। सुश्रुत ने भोजन के 6 प्रकार गिनाए हैंः चूष्म, पेय, लेह्य, भोज्य, भक्ष्य और चर्व्यपावन की दृष्टि से चूष्य पदार्थ सबसे अधिक सुपाच्य बताए गए हैं। फिर क्रम से उनकी सुपाच्यता कम होती जाती है और चर्व्य सबसे कम सुपाच्य होते हैं। गन्ने को जो मिठास का प्रमुख स्रोत है, पहले वर्ग में रखा गया है, गन्ने का रस, शरबत, फलों के रस पेय पदार्थों में हैं।
चार प्रकार के गन्ने वातकर्त्ता, कफ पित्तनाशक, कसैले और दाहकर्ता हैं। मनोतृप्ता नामक गन्ना वातनाशक, तृषारोग नाशक, शीतल, अत्यंत मधुर और रक्तपित्त निवारक माना गया है। अवस्थानुसार भी गन्ने के गुणों में अंतर आ जाता है। बाल्यावस्था का गन्ना कफ बढ़ाने वाला, मेदा बढ़ाने वाला और प्रमेह रोग को नष्ट करने वाला होता है। युवा गन्ना वायुनाशक, स्वादु, कुछ-कुछ तीखा और पित्तनाशक होता है। पकने पर वह रक्तपित्त का नाश करता है, घावों को भरता है और बल में वृद्धि करता है। गन्ने के जड़ की ओर का नीच का भाग अत्यंत मधुर, रसयुक्त और मध्य भरंथि या पंगोली में खारा रस रहता है।
शरीर में लंबे समय तक ऊर्जा बनाए रखने के लिए और मसल्स में ताकत बनाए रखने के लिए कार्बोहाइडेªट्स की जरूरत होती है। एक तरीके से इन्हें ऊर्जा के लिए ईंधन माना जाता है। गन्ने का रस कार्बोहाइडेªट्स से समृद्ध होता है, जिस कारण इसका सेवन लंबे समय तक ऊर्जावान बनाए रखने में सहायक होता है। शोध के अनुसार गन्ने का रस स्पोटर्स ड्रिंक की तुलना में अधिक प्रभावशाली होता है।
गन्ने का रस लिवर से संबंधित पीलिया बीमारी के लिए फायदेमंद होता है। यूनानी चिकित्सा के अनुसार गन्ने के जूस के फायदे पीलिया से तुरंत आराम पाने में मदद करते हैं। लिवर की कार्यप्रणाली में रूकावट आने पर पीलिया होता है। इस स्थिति पर काबू पाने के लिए रोजाना एक गिलास ताजा गन्ने का रस पीया जाता है।
कैंसर से बचाने में भी गन्ने का जूस पीने के फायदे देखे गए हैं। इस रस में ट्रायसिन नामक एक फ्लेवोन पाया जाता है, जो ऐंटीआँक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है। साथ ही अपने एंटी-प्रोलाइफरेटिव गतिविधि के कारण गन्ने का जूस कई तरह की कैंसर की कोशिकाओं को पनपने से रोक सकता है।
गन्ना खाने के फायदे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मिलते हैं। प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम शरीर को कई तरह के संक्रमण और बीमारियों से बचाने में सहायक होता है। गन्ने का अर्क कई तरह के बैक्टीरियल व वायरल संक्रमण से बचाने के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी मदद करता है।
बुखार तब आता है जब हमारा शरीर किसी बीमारी से लड़ने की कोशिश कर रहा हो। ज्यादातर बुखार किसी न किसी संक्रमण के कारण आते है। इस दौरान शरीर संक्रमण का कारण बनने वाले बैक्टीरिया या वायरस को खत्म करने की कोशिश करता है। ऐसे में गन्ने का जूस पीने के फायदे बुखार को कम करने में सहायक होते हैं।
गन्ने के रस का सेवन गले के दर्द के लिए भी किया जाता है। जब कोई गले से जुड़ी समस्या जैसे टाँन्सिल्स से परेशान हो, तो उन्हें गन्ने के जूस का सेवन करने से फायदा मिलता है। जब गले में सूजन आ जाती है, तो वो दर्द और तकलीफ का कारण बनते हैं। वहीं गन्ने का जूस गला खराब, जुकाम जैसी समस्याओं को ठीक करने में भी मदद करता है।
गन्ने का रस पीने के फायदे कई तरह के घावों को भरने में भी देखे गए हैं। गन्ने के जूस का सेवन घाव भरने में सहायक होता है। घाव को ठीक करने के लिए गन्ने से बनी शक्कर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। शक्कर में एंटीमाइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं, जो घाव को ठीक करने में सहायक होता है।
कई बार यूरिन करते समय दर्द, जलन या असहजता महसूस होती है। इस समस्या को डिसयूरिया कहा जाता है। यह मूत्रमार्ग में हुए किसी न किसी संक्रमण के कारण होता है। यूरिन से जुड़ी इस समस्या से आराम पाने में गन्ने का रस पिया जाता है। बताया जाता है कि यह डिसयूरिया के साथ-साथ अनयूरिया और यूरिन से संबंधित अन्य समस्याओं से आराम पाने में भी मदद करता है।
स्वस्थ और खूबसूरत नाखून कौन नहीं चाहता। इन्हें स्वस्थ बनाए रखने में कैल्शियम जरूरी मिनरल होता है। ऐसे में नाखून को मजबूत और सेहतमंद बनाए रखने के लिए गन्ने के जूस का सेवन किया जाता है। इसमें कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है, जिससे नाखूनों को मजबूत बनाए रखने में मदद मिलती है।
त्वचा पर यूवी किरणों और फ्री रेडिकल्स के प्रभाव के कारण समय से पहले बुढ़ापे के लक्षण दिख सकते हैं। इन लक्षणों में झुर्रियां व पिगमेंटेशन आदि शामिल हैं। इनसे आराम पाने के लिए प्रभावी एंटीआँक्सीडेंट का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। गन्ने के जूस में समृद्ध मात्रा में एंटी आँक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो फ्री रडिकल्स का प्रभाव कम करने में सहायक होते हैं। गन्ने के जूस का सेवन स्किन कैंसर से बचाने में भी सहायक होता है।
गन्ने के जूस का आनंद लेने के लिए इसका सही चुनाव भी जरूरी है। हमेशा पीले हो चुके गन्ने का ही चुनाव करें, जिनकी पत्तियां सूखी हों। गन्ने पर उंगली से हल्की चोट मारकर देखें, अगर आवाज किसी धातु से टकराने जैसी आती है, तो इसका मतलब है कि गन्ना पूरी तरह से पक्क चुका है।
जब भी आप बड़ा गन्ना खरीदें, तो उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें, ताकि आप उसे अच्छी तरह फ्रिज में स्टोक कर सकें। गन्ने को रेफ्रिजरेटर में रखने से पहले उसके छिल्के उतारना न भूलें। आप गन्ने के टुकडों को प्लास्टिक से कवर भी कर सकते हैं, ताकि बाहरी नमी से ये बचे रहें। इस प्रक्रिया से गन्ने को दो सप्ताह तक फ्रिज में स्टोर किया जा सकता है।
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