मोरिंगा की पत्तियाँ विटामिन सी का एक समृद्ध स्रोत हैं, जिसमें संतरे की तुलना में 7 गुना अधिक विटामिन सी होता है। मोरिंगा की पत्तियाँ आयरन से भरपूर होती हैं, जो पालक की तुलना में 3 गुना अधिक आयरन प्रदान करती हैं। मोरिंगा की पत्तियो में उच्च स्तर का कैल्शियम होता है, जो दूध से 4 गुना अधिक होता है। मोरिंगा की पत्तियों में न्यूराप्रोटेक्टिव प्रभाव पाए गए हैं, जो संभावित रूप से मस्तिष्क स्वास्थ्य को लाभ पहुँचाते हैं। मोरिंगा की पत्तियाँ अस्थमा के लक्षणों को कम करने और फेफड़ों की कार्यप्रणाली में सुधार करने में मदद करती हैं।
मोरिंगा की पत्तियाँ विटामिन ए, सी, बी1, बी2, बी3, बी6 और फोलेट से भरपूर होती हैं। एक कप मोरिंगा की पत्तियों में 2 ग्राम प्रोटीन, मैग्नीशियम, विटामिन बी6, आयरन, राइबोफलेविन होता है।
मोरिंगा की पत्तियाँ अमीनो एसिड से भरपूर होती हैं, जो प्रोटीन के निर्माण खंड हैं। इनमें 18 प्रकार के अमीनो एसिड पाए जाते हैं और उनमें से प्रत्येक हमारी भलाई में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है।
सूजन कई बीमारियों जैसे कैंसर, गठिया, संधिशोथ और कई एंटीइम्यून बीमारियों का मूल कारण है। जब हमें कोई चोट या संक्रमण होता है तो शरीर में सूजन बढ़ जाती है। गलत जीवनशैली और अस्वास्थ्यकर आहार के कारण शरीर में सूजन बढ़ सकती है। लंबे समय तक सूजन दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देती है। मोरिंगा की पत्तियाँ खाने से सूजन कम करने में मदद मिलती है।
मोरिंगा की पत्तियों में एंटी-आक्सीडेटिव गुण होते हैं और यह पर्यावरण में मौजूद मुक्त कणों के हानिकारक प्रभावों से बचाते हैं। मुक्त कणों से होने वाली क्षति टाइप 2 मधुमेह, हृदय समस्याओं और पुरानी बीमारियों के लिए जिम्मेदार है।
निरंतर उच्च रक्त शर्करा के स्तर से व्यक्तियों में मधुमेह का विकास होता है। मधुमेह, बदले में, हृदय की समस्याओं और शरीर में अंग क्षति का कारण बन सकता है। इससे बचने के लिए ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखना अच्छा है। मोरिंगा की पत्तियां इसके लिए एक आदर्श संसाधन हैं क्योंकि वे रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर करती हैं।
लीवर रक्त विषहरण, वसा चयापचय और पोषक तत्वों के अवशोषण का स्थल है और यह तभी ठीक से काम करता है जब लीवर एंजाइम सामान्य हों। मोरिंगा की पत्तियाँ इन लिवर एंजाइमों को स्थिर करती हैं। मोरिंगा की पत्तियाँ पाचन संबंधी विकारों के खिलाफ फायदेमंद होती हैं। पत्तियों में एंटीबायोटिक और रोगाणुरोधी गुण होते हैं जो उन्हें पाचन विकारों के खिलाफ एक आदर्श उपाय बनाते हैं। यहाँ तक कि पत्तियों में विटामिन बी की उच्च मात्रा भी पाचन में सुधार करने में मदद करती है।
मोरिंगा की जड़ के रस में बराबर मात्रा में गुड़ मिला लें। इसे छानकर 1-1 बूंद नाक में डालने से सिर दर्द में लाभ होता है। मोरिंगा के पत्तों को पानी के साथ पीस लें। इसका लेप करने से सर्दी की वजह से होने वाला सिर का दर्द ठीक होता है। मोरिंगा की छाल को जल में घिस लें, इसकी एक दो बूंद नाक में डालने से तथा सेवन करने से मस्तिष्क ज्वर यानी दिमागी बुखार ठीक होने में लाभ होता है। कफ के कारण आँख से पानी बहने की समस्या में मोरिंगा के पत्तों को पीसकर टिकिया बनाकर आँखों पर बांधने से लाभ होता है। मोरिंगा के पत्तों के रस में समान मात्रा में मधु मिला ले। इसे 2-2 बूंद आँख में डालने से आँखों का दर्द कम होता है तथा लाभ होता है। मोरिंगा की छाल और राई को पीसकर लेप करें। इससे कान की जड़ में सूजन की परेशानी ठीक हो जाती है।
मोरिंगा के गोंद को पानी में घोलकर गरारा करने से दातों की बीमारियां दूर होती हैं। मोरिंगा और अदरक के रस को बराबर मात्रा में मिला लें, इसे 10-15 मि.ली. की मात्रा में रोज सुबह और शाम पिलाने से सांसों के रोग में लाभ होता है। मोरिंगा की गोंद का लेप करने से गठिया की बीमारी ठीक होती है। मोरिंगा के पत्तों को तेल के साथ महीन पीस लें। इसे गुनगुना कर लेप करने से घुटनों का पुराना दर्द ठीक होता है। मोरिंगा के बीज के तेल की मालिश करने से जोड़ों के दर्द और गठियां में लाभ होता है।
कुष्ठ रोगी को मोरिंगा तथा आम की गुठली का तेल लगाने से लाभ होता है। मोरिंगा छाल के पेस्ट को गुनगुना कर लेप करने से ग्रन्थियों को लाभ होता है। मोरिंगा की पत्तियाँ कैल्शियम और फास्फोरस का समृद्ध स्रोत हैं। हड्डियों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए ये दोनों तत्व आवश्यक हैं। मोरिंगा की पत्तियाँ एंटीसेप्टिक होती हैं, वे घाव भरने की दिशा में भी फायदेमंद हैं और चोट, मामूली कट और जलन को जल्दी ठीक करने में मदद करते हैं। मोरिंगा भोजन की लालसा को कम करते हैं और चयापचय को बढ़ावा देते हैं। ये कोलेस्ट्रॉल भी कम करते हैं।
एंटीआँक्सिडेंट और पोषक तत्वों की प्रचुर मात्रा के कारण, मोरिंगा की पत्तियाँ त्वचा और बालों के स्वास्थ्य और उपस्थिति में सुधार करती हैं। वे त्वचा में कोमलता लाते हैं और बालों में चमक लाते हैं। मोरिंगा त्वचा की रंगत में सुधार करते हैं और अपनी शुद्धिकरण प्रकृति और चिकित्सीय गुणों के कारण त्वचा में चमक लाते हैं। कई तंत्रिका विकारों में मोरिंगा की पत्तियों के उपयोग से सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। वे मस्तिष्क स्वास्थ्य का समर्थन करते हैं और न्युरो-वर्धक के रूप में काम करते हैं।
लीवर की समस्या, प्लीहा रोग, रक्तवाहिनी नसों की समस्या, स्नायु की कमजोरी, किसी अंग का सूनापन, पीड़युक्त फुन्सी और कुष्ठ रोग में मोरिंगा की फलियों की सब्जी का सेवन करना बहुत लाभकारी है।
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,