न केवल जानवर हमसे प्यार करते हैं बल्कि उनमें भावनाएँ रखने और एक-दूसरे के प्रति अपना स्नेह व्यक्त करने की क्षमता भी होती है। हालाँकि वे इसे अलग-अलग तरीकों से व्यक्त कर सकते हैं, लेकिन जब आप उन्हें देखते हैं तो प्यार का पहलू बहुत स्पष्ट होता है। वे जो बंधन बनाते हैं, वह इस बात का सबूत है कि वे मनुष्यों की तरह ही कई भावनाओं का अनुभव कर सकते हैं। ईश्वर ने मनुष्य को वाक् शक्ति जैसा वरदान देकर उसे धरती के सभी प्राणियों में श्रेष्ठ बनाया है। इस वाक् शक्ति का सहारा लेकर वह अपने मन के भावों और विचारों को बोलकर व्यक्त करता है, लेकिन जानवरों के साथ ऐसा नहीं हैं। भले ही वो आपस में अपनी भाषा में बात करते हों पर उसे हम समझ नहीं पाते। लेकिन उनके प्रति प्यार और आदर उन्हें खूब समझ आता है। आप भी यदि जानवरों को प्यार करेंगे तो उसके बदले में वे भी बेहद प्यार करते हैं। ऐसा कहा और माना भी जाता है कि घोड़े और श्वान जैसे कुछ जानवर मनुष्य से भी अधिक भरोसेमंद और स्वामिभक्त होते हैं। परंपरा का हिस्सा है पशु प्रेम पशु-पक्षियों का साहचर्य प्राप्त करना तो हमारी परंपरा का अटूट हिस्सा रहा है। चाहे वो पक्षियों को दाना चुगाना हो, चींटियों व मछलियों को दाना डालना हो अथवा गाय या श्वान को रोटी खिलाना। यह आचरण पशु-पक्षियों के प्रति हमारे कोमल व संवेदनशील व्यवहार को दर्शाते हैं। यही नहीं, हममें से बहुत से लोग इन जानवरों को पालने का भी शौक रखते हैं। इन्हें पालना भी कम रोमांचक नहीं होता। धीरे-धीरे ये बेजुबान जानवर भी अपने पालक से प्यार करने लगते हैं। भले ही ये बोल न पाएं, किंतु हमारे प्रति उनका व्यवहार ही सब कुछ बता देता है। ये हमारे परिवार का महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन हमारे आनंद को और बढ़ा देते हैं। कई मायनों में तो यह हमारे सच्चे मित्र व सहायक भी सिद्ध होते हैं। यहाँ तक कि हमारे तनाव को भी कम करने में सहायक होते हैं।
कम हो रही संवेदनशीलता अब ऐसा दिख रहा है कि इन जानवरों के प्रति हमारी सहानुभूति व संवेदनशीलता में कमी आती जा रही है। जब की इन जानवरों के प्रति संवेदना रखना ही सबसे बड़ी इंसानियत है। इन्हें भी तो हमारी तरह भूख व प्यास लगती है, तकलीफ होती है, जिसे इनके शारीरिक हाव-भाव से आसानी से समझा जा सकता है। अतः इन निरीह, बेजुबान जानवरों की सेवा व रक्षा करना हमारा कर्तव्य होना चाहिये। तो सोचो कैसा होता हमारा जीवन जरा सोचिए यदि गाय, बैल, भैंस, घोड़ा, ऊँट, कुत्ता, बकरी जैसे जानवर न होते तो क्या हमारा जीवन इतना आसान होता। कतई नहीं, किंतु फिर भी कुछ लोग इतने स्वार्थी हैं कि जब तक ये जानवर उनके काम आते हैं तब तक वो इन्हें पालते हैं और बाद में इनके अक्षम होने पर इनकी देखभाल तो दूर, इन्हें यूहीं सड़क पर भूखा-प्यासा छोड़ देते हैं। अतः अपने स्वार्थ के लिए पशुओं के साथ ज्यादती न करें। इनके प्रति प्रेम भाव तो हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है। महापुरुषों ने भी बताया महत्त्व गौतमबुद्ध से लेकर महात्मा गाँधी जी तक का संदेश प्राणी जगत के प्रति स्नेह व करुणा भाव बनाए रखने का ही रहा है। लेकिन आज उन्नति व तरक्की की दौड़ में शामिल होकर, हरे-भरे जंगलों को काटकर, उनके स्थान पर कंक्रीट का जंगल खड़ाकर हम जानवरों से उनके प्राकृतिक घर छीन रहे हैं। बढ़ते टावरों ने भले ही दुनिया हमारी मुट्ठी मे कर दी हो पर इन टावरों से न जाने कितने पक्षियों की प्रजातियाँ ही खत्म-सी हो गई हैं। यद्यपि आज बहुत सी स्वयंसेवी संस्थाएं व संगठन, पशु-पक्षियों के प्रेमी इन बेसहारा, बीमार जानवरों की देखभाल में अपना सहयोग देते हैं। समय-समय पर इन जानवरों की रक्षा व सुरक्षा के लिये सख्त कानून भी बने हैं, लेकिन यह तब तक अपर्याप्त हैं जब तक प्रत्येक व्यक्ति अपने मन में इनके प्रति संवेदनशील भाव उत्पन्न नहीं करेगा।
हर साल 4 अक्टूबर को विश्व पशु दिवस (World Animal Day) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य है पशुओं के कल्याण और संरक्षण को बढ़ावा देना। कई लोग बेजुबानों के प्रति बहुत बुरा व्यवहार करते हैं इसलिये लोगों को यह बताना काफी जरूरी है कि हमारा जीवन काफी हद तक पशु-पक्षियों पर निर्भर करता है। इस दिन पशुओं के कल्याण और उनके अधिकारों को लेकर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाती है ताकि लोगों में पशुओं के कल्याण के लिये जागरूकता बढ़े। इस दिन कई जगहों पर कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं, जिसमें पशुओं की विभिन्न प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने और उनके संरक्षण के बारे में विचार किये जाते हैं।
असीसी के सेंट फ्रांसिस के जन्मदिवस पर विश्व पशु कल्याण दिवस मनाया जाता है। यह दिवस उनकी याद में मनाया जाता है। सेंट फ्रांसिस पशु प्रेमी और जानवरों के महान संरक्षक थे। जर्मनी के बर्लिन में सिनोलॉजिस्ट हेनरिक जिमर्मन की पहल पर पहली बार 24 मार्च, 1925 को विश्व पशु दिवस मनाया गया था, जिसका उद्देश्य पशु कल्याण के बारे में जागरूकता फैलाना था। इस अवसर पर 5,000 से अधिक लोग शामिल हुए थे। इसके बाद 1929 में 4 अक्टूबर का दिन विश्व पशु कल्याण दिवस मनाने के लिए चुना गया।
दुनियाभर में हर जगह पशु प्रेमी इस दिन को जोरों-शोरों से मना रहे हैं। यह दिन जानवरों से संबंधित मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य है, पशुओं के कल्याण और उनके अधिकारों को प्रोत्साहित करना। हर व्यक्ति को पशुओं के प्रति दया-भाव और सम्मान पूर्वक व्यवहार करना चाहिये।
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