भारतीय तंत्र-मंत्र साहित्य अपने आप में अद्भुत, आश्चर्यजनक एवं रहस्यमय रहा है। ज्यों-ज्यों हम इसके रहस्य के मूल में जाते हैं, त्यों-त्यों हमें विलक्षण अनुभव होते हैं। ऐसे ही कुछ तंत्र-मंत्र तो इतने समर्थ, बलशाली एवं शीघ्र फलदायी हैं, कि देखकर चकित रह जाना पड़ता है।
ऐसे ही तंत्र विद्याओं में बगलामुखी तंत्र विद्या है, जो प्रचण्ड तूफान से भी टक्कर लेने में ही नहीं जबकि समूल रूप से नष्ट करने में समर्थ है। भारत के लगभग सभी तांत्रिकों ने एक स्वर में स्वीकार किया है कि बगलामुखी विद्या के समान और कोई अन्य विधान नहीं है, जो कि इतने वेग से तुरन्त प्रभाव दिखा सके। एक तरफ जहां यह शीघ्र सफलतादायक है, वहीं दूसरी ओर विशेष अनुष्ठान एवं मंत्र जप के द्वारा तुरन्त कार्य सिद्धि होती है।
प्राचीन काल से आधुनिक काल तक कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं, जिसका कोई शत्रु न हो। मानव जीवन में पग-पग पर शत्रु पैदा होते हैं और जिनके बीच खड़े रहकर अपनी मंजिल की ओर बढ़ना, साधारण मनुष्य के लिये कठिन और दुष्कर होता है, क्योंकि कौन सा शत्रु कब उस पर प्रहार कर दे, कहा नहीं जा सकता, इसीलिये वह दुविधा ग्रस्त होने के कारण अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में असमर्थ रहता है, और इन्हीं सब कारणों से उसे अपने जीवन में दुःख, तकलीफ, परेशानी, पीड़ा सहन करनी पड़ती है, वह अपने जीवन में हताश, निराश हो जाता है।
इस वैमनस्यता के युग में आज हर कोई शक्तिशाली बनने का प्रयास करता है। पौराणिक काल से अब तक यही होता आ रहा है, कि जो साधारण, कमजोर, अस्वस्थ, निर्बल प्राणी होते हैं, उन पर हर कोई प्रहार करने की कोशिश करता है, और किया भी है, अगर मानव इसी प्रकार का भय ग्रस्त जीवन जीयेगा, तो वह जीवन में कभी भी उन्नति की ओर अग्रसर नहीं हो सकता, उसके मन में प्रश्न उठते ही रहते हैं, कि कोई उसके विरूद्ध उन्नति के मार्ग में बाधायें उत्पन्न करने का षड़यंत्र तो नहीं रच रहा है? उसे किसी मुकदमें में फंसा न दे, कहीं वह घर में अशांति उत्पन्न करने की कोशिश न कर रहा हो या व्यापार में हानि न पहुंचा रहा हो अथवा कोई तुम्हारे मान-सम्मान को ठेस पहुंचाने की कोशिश न कर रहा हो? जीवन के विभिन्न पक्षों में शत्रु भिन्न-भिन्न रूप धारण कर मानव के सामने खड़े हो जाते हैं, केवल वही मनुष्य उन शत्रुओं से मुक्ति पा सकते हैं, जिनमें परास्त करने की क्षमता होती है, किन्तु कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हैं, जो उन परेशानियों व बाधाओं से जितना निकलने का प्रयास करते हैं उतना ही उलझते ही चले जाते हैं।
आज का जीवन अत्यधिक असुरक्षित और भयप्रद बन गया है समाज में जरूरत से ज्यादा द्वेष, छल, हिंसा और शत्रुता का वातावरण बन गया है फलस्वरूप यदि व्यक्ति शांति पूर्वक रहना चाहे भी तब भी सम्भव नहीं होता।
यह साधना शत्रुओं पर ब्रह्मास्त्र की तरह प्रहार कर परास्त करने, उन्हें समाप्त करने तथा लड़ाई-झगड़े, मुकदमें आदि में पूर्ण सफलता देने में विशेष रूप से सहायक है, यही नहीं अपितु यदि अचानक कोई संकट आ गया है तब भी यह साधना सम्पन्न करने पर वह संकट समाप्त हो जाता है।
जीवन की सुरक्षा और शत्रुओं पर निर्मम प्रहार करने और उन्हें समाप्त करने की दृष्टि से यह अपने आप में अद्वितीय साधना है प्रत्येक साधक को यह साधना अपने जीवन में अवश्य सम्पन्न करना चाहिये। इससे जहां एक ओर महाविद्या तो सिद्ध होती है, वहीं दूसरी ओर व्यक्ति शत्रुओं की तरफ से निश्चिन्त हो जाता है, यदि कोई व्यापार में बाधक बन रहा हो या बॉस अथवा ऑफिसर नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा हो या किसी ने आप पर मुकदमा कर दिया हो अथवा आपके प्राणों का भय हो या आप किसी भी दृष्टि से असुरक्षित अनुभव कर रहे हों तो यह साधना सर्वश्रेष्ठ साधना है, यदि निष्ठापूर्वक इस साधना को सम्पन्न की जाय जो हाथो हाथ फल प्राप्त होता है, तथा जीवन में पूर्ण अभयता प्राप्त होती है।
साधना रहस्य
बगलमुखी जयंती व किसी भी महीने के मंगलवार से रात्रि को यह साधना प्रारम्भ की जा सकती है, इसमें निम्न उपकरण होने चाहिये-
1 जलपात्र, 2 कुंकुंम (रोली), 3 चावल, 4 आधामीटर चौकोर पीला वस्त्र, 5 मन्त्रसिद्ध प्राण-प्रतिष्ठा युक्त ‘बगलामुखी यंत्र व चित्र’, ‘हिरद्रा हंसराज’।
साधना विधि
बगलामुखी जयंती की रात्रि को स्नान कर दक्षिण दिशा की ओर मुंह कर आसन पर बैठ जाये, साधक पीली धोती ही पहनें और यज्ञोपवीत को पीले रंग में रंग कर गले में धारण कर लें फिर सामने पीले वस्त्र पर ‘बगलामुखी यंत्र-चित्र’ स्थापित कर दें और उसके समाने ही ‘हरिद्र हंसराज’ स्थापित कर दें, तत्पश्चात् अगरबत्ती और दीपक लगा लें, इसमें शुद्ध घी का ही दीपक लगाया जाना चाहिये, साधना में यदि ‘हल्दी की माला’ का प्रयोग करे तो ज्यादा उचित रहता है।
सर्वप्रथम जल से यंत्र चित्र को धोकर केसर लगावें और फिर हरिद्रा हंसराज के आगे कागज पर निम्न मंत्र दिया-सलाई की शलाका से या किसी तिनके से केसर के द्वारा अंकित करें-
फिर मंत्र जप प्रारम्भ करें, इसमें ग्यारह दिनों में सवा लाख मंत्र जप करने होते है, इस प्रकार 125 मालायें नित्य मंत्र जप करनी चाहिये।
यह मंत्र छोटा सा है पर अपने आप में अत्यधिक महत्वपूर्ण है, निष्ठापूर्वक इस साधना को सम्पन्न करना चाहिये और साथ ही साथ ग्यारह दिनों तक पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिये, इस मंत्र में अमुक शब्द के स्थान पर शत्रु के नाम का उल्लेख करना चाहिये।
जब ग्यारह दिन में मंत्र जप पूरा हो जाये तो उस हरिद्रा हंसराज को जंगल में जाकर लकड़ियां जला कर उसमें उसे जला देना चाहिये।
इस प्रकार करने पर तुरन्त मनोवांछित कार्य सिद्ध हो जाता है और जीवन में हम जो कुछ चाहते हैं वैसा हो जाता है, वास्तव में ही यह साधना अपने आप में अत्यन्त महत्वपूर्ण और शीघ्र सिद्धिदायक है।
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,