DIABETES मधुमेह क्या है?
हमारे शरीर की अग्न्याश्य (Pancreas) में इंसुलिन का ड्डाव कम हो जाने के कारण खून में ग्लूकोज का स्तर सामान्य से अधिक बढ़ जाता है तो उस स्थिति को डायबिटीज कहा जाता है। INSULIN एक हार्मोन है जो पाचक ग्रन्थि द्वारा बनता है और जिसकी जरूरत भोजन को एनर्जी में बदलने के लिये होती है। इस हार्मोन के बिना हमारा शरीर शुगर की मात्रा को कंट्रोल नहीं कर पाता है। इस स्थिति में हमारे शरीर को भोजन से ऊर्जा (ENERGY) लेने में काफी कठिनाई होती है। जब ग्लूकोज का बढ़ा हुआ लेवल हमारे रक्त में लगातार बना रहता है तो यह शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुँचाना शुरु कर देता है, जिसमें आँखे, मस्तिष्क, हृदय, धमनियाँ और गुर्दे प्रमुख हैं।
मधुमेह के प्रकार
प्रथम प्रकार-इस प्रकार की डायबिटीज ज्यादातर छोटे बच्चों या 20 साल से कम उम्र के लोगों में पायी जाती है। जब हमारी अग्न्याशय इंसुलिन नहीं बना पाती तब टाइप 1 डायबिटीज की शुरुआत होती है। इसमें रोगी को अपने खून में ग्लूकोज का लेवल नार्मल बनाये रखने के लिये समय-समय पर इंसुलिन के इंजेक्शन लेने पड़ते हैं।
द्वितीय प्रकार- इसमें इन्सुलिन का निर्माण तो होता है पर वह शरीर की आवश्यकता अनुसार नहीं हो पाता है। दुनिया भर में सबसे अधिक लोग इसी प्रकार के मधुमेह से पीडि़त हैं। यह अनुवांशिक भी हो सकता है या मोटापे के कारण भी।
मधुमेह के लक्षण
बार-बार पेशाब आना।
आंखों की रोशनी कम होना।
ज्यादा प्यास लगना।
कमजोरी महसूस होना।
कोई भी चोट या जख्म देरी से भरना।
रोगी के हाथों, पैरों और गुप्तांगों पर खुजली वाले जख्म।
भूख ज्यादा लगना और ज्यादा खाना खाने के बाद भी रोगी का भार कम होना।
चक्कर आना और हृदय गति अनियमित होने का खतरा।
किडनी खराब होना।
मधुमेह के कारण
अनुवांशिक- डायबिटीज एक अनुवांशिक रोग है यानी अगर किसी के माता-पिता को डायबिटीज है तो उनके बच्चों को भी मधुमेह होने की सम्भावना ज्यादा होती है।
खान-पान और मोटापा– जंक फूड या फास्ट फूड खाने वाले लोगों में मधुमेह की सम्भावना ज्यादा पायी जाती है, क्योंकि इस तरह के खाने में वसा ज्यादा पाया जाता है, जिससे शरीर में कैलोरीज की मात्र जरूरत से ज्यादा बढ़ जाती है और मोटापा बढ़ता है। इसके कारण इन्सुलिन उस मात्रा में नहीं बन पाता जिससे शरीर में शुगर लेवल में बढ़ोत्तरी हो सके। निम्न कारण से भी मधुमेह हो सकता है-
ज्यादा शारीरिक श्रम न करना।
मानसिक तनाव और डिप्रेशन के कारण।
गर्भावस्था में ज्यादा दवाइयों के सेवन से।
धूम्रपान और तम्बाकू का सेवन।
मधुमेह का उपचार कैसे करें-
मधुमेह रोगी में आंखे कमजोर होने की आशंका अधिक होती है। मधुमेह के दौरान आपकी आँखों पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े इस हेतु आपको गाजर-पालक का मिश्रित रस पीना चाहिये।
मधुमेह के रोगी को तरोई, लौकी, परवल, पालक, पपीता आदि का सेवन अधिक से अधिक मात्र में करना चाहिये।
मधुमेह के दौरान शलजम के सेवन से रक्त में स्थित शर्करा की मात्रा कम हो जाती है। शलजम को न सिर्फ आप सलाद के जरिये बल्कि शलजम को सब्जी, परांठे आदि चीजों के रूप में भी ले सकते हैं।
जामुन मधुमेह रोगियों के लिये रामबाण है। जामुन की छाल, रस और गूदा सभी मधुमेह के दौरान बेहद लाभदायक है।
जामुन की गुठली को बारीक चूर्ण बनाकर रख लेना चाहिये। दिन में दो-तीन बार, तीन ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से मूत्र में शुगर की मात्रा कम होती है।
करेले का रस मधुमेह रोगियों को प्रतिदिन पीना चाहिये। यह शोध सिद्ध है कि उबले करेले का पानी मधुमेह को जल्दी ही दूर करने की क्षमता रखता है
मैथी का चूर्ण बनाकर प्रतिदिन खाली पेट चूर्ण पानी के साथ लेना चाहिये। ये मधुमेह में बहुत लाभकारी है।
त्रिफला चूर्ण एक चम्मच गरम पानी के साथ सेवन करें।
मधुमेह के लिये योगासन
कपालभातिः अगर मधुमेह रोगी कपालभाति को नियमित रूप से करता है तो उसे काफी लाभ होता है। इसको करने के लिये जमीन पर सीधे बैठ जायें और नाक से सांस को तेजी से बाहर की ओर छोड़े। यह करते समय पेट को भी अंदर की ओर संकुचित करें। फिर तुरंत ही नाक से सांस को अंदर खींचे और पेट को बाहर निकालें। इस क्रिया को रोजाना 50 से 500 बार तक अपनी क्षमता अनुसार ही करें।
अनुलोम-विलोम प्राणायामः इसे करने के लिये जमीन पर आराम से बैठ जायें, दाहिने हाथ के अंगूठे से नाक के दायें छेद को बंद कर लें और नाक के बायें छेद से 4 तक की गिनती में सांस को भरे, पुनः यही प्रक्रिया दूसरी नाक से करें।
मंडूक आसनः मंडूक आसन पेट के लिये अत्यंत ही लाभदायक है। इस आसन से अग्न्याशय सक्रिय होता है, जिसके कारण डायबिटीज के रोगियों को इससे लाभ मिलता है। यह आसन उदर और हृदय के लिये भी अत्यंत लाभदायक माना गया है।
सर्वांगासनः यह आसन मूल रूप से थायराइड ग्रंथि के संचालन को सही करने के लिये जाना जाता है। ये ग्रन्थियां पूरे शरीर के सही संचालन के लिये जिम्मेदार होती हैं, जिसमें पाचन तंत्र, नर्वस सिस्टम, उत्पादन सिस्टम, पाचय संचालन और श्वास तंत्र शामिल है।
मधुमेह में खान-पान
डायबिटीज होने पर व्यक्ति को अपने खान-पान पर सबसे अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है, क्योंकि आहार से ही ब्लड शुगर की मात्र को संतुलित रखा जाता है। डायबिटीज का सीधा-सरल उपाय है आपका खान-पान इसलिये रोगी डायट चार्ट का पूर्णतः पालन करें।
मधुमह के लिये चना या फिर बेसन बहुत लाभदायक है, क्योंकि इसमें फाइबर के साथ शरीर के लिये जरूरी विटामिन भी पाये जाते हैं। डायबिटीज के रोगी अपने डायट चार्ट में दाल को शामिल करें, इसमें फाइबर, प्रोटीन और विटामिन होता है, जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है। इसके अलावा करेला, मैथी, भिंडी, लौकी का सेवन करना मधुमेह रोगियों के लिये लाभदयक है।
उपरोक्त सभी उपाय से पूर्व अपने चिकित्सक अथवा योग्य विशेषज्ञ के परामर्श द्वारा ही अपना डायट चार्ट बनायें तथा नियमित जाँच आदि क्रियाओं का गंभीरता से पालन करें। अपने स्वास्थ्य के प्रति आपकी स्वयं की गंभीरता ही आपको स्वस्थ बनायें रखने में सहायक सिद्ध होगी।
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