भगवान विष्णु कृष्ण अवतार के रूप में सबसे लोकप्रिय हैं। श्रीकृष्ण 64 कलाओं के ज्ञानी थे, इन्होंने बाल्यकाल से ही अपने नटखट अंदाज में कई बड़े-बड़े दैत्यों का अंत कर दिया। भगवान श्रीकृष्ण की हर लीला एक सीख है। बाल्यकाल में गाये चराते ग्वाले के रूप में प्रकृति प्रेम का संदेश दिया, वहीं सुदामा से सदा सच्ची मित्रता निभाई और समाज में ऊँच-नीच, भेदभाव, अमीरी-गरीबी को समाप्त करने का उदाहरण प्रस्तुत किया। उसके पश्चात् राधा के साथ परिशुद्ध प्रेम किया और सच्चे प्रेम की परिभाषा प्रस्तुत की।
कुरूक्षेत्र में दो सेनाओं के बीच खड़े होकर भारी तनाव के समय श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो ज्ञान दिया, वो दुनिया का श्रेष्ठतम ज्ञान है। गीता का जन्म युद्ध के मैदान में दो सेनाओं के बीच हुआ। श्रीकृष्ण के उपदेश गीता के रूप में आज भी हर उम्र, ओहदे के व्यक्ति के लिये पथ प्रदर्शक का कार्य करते आये हैं। कृष्ण को मैनेजमेंट गुरू व जगत्गुरू कहा जाता है क्योंकि जीवन जीने का और इसमें आने वाली कठिनाइयों को हल करने का सलीका जिन्होंने परिभाषित किया है वे एकमात्र कृष्ण ही हैं।
श्रीकृष्ण महाभारत के युद्ध में पाण्डवों की विजय से हमें यह शिक्षा देते हैं कि किसी भी काम को करने के लिये सही योजना बनाना जरूरी है। योजना के बल पर हम किसी भी काम को सफल बना सकते हैं। नीति और कूटनीति के ज्ञान में श्रीकृष्ण से अच्छा कोई सलाहकार नहीं है। किसी भी कार्य की सफलता उसकी रूपरेखा में होती है। राजनीति में जब सामने वाला शक्तिशाली हो तो कूटनीति से काम लेना चाहिये। महाभारत युद्ध पूरा कूटनीति से लड़ा, श्रीकृष्ण ने स्वयं ने हथियार बिल्कुल नहीं उठाया। पाण्डवों के सलाहकार बने और जीत का श्रेय भी भीम और अर्जुन को दिया।
भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से हमें एक और महत्वपूर्ण शिक्षा मिलती है वह यह कि हमारा खान-पान सदा ठीक हो। कृष्ण का बचपन माखन-मिश्री खाते हुये गुजरा। जो हमें सिखाता है कि आहार हमेशा अच्छा हो, शुद्ध हो, बल देने वाला हो। बचपन में शरीर को अच्छा आहार मिलेगा तो ही इंसान युवा होकर वीर व हष्ट-पुष्ट बनेगा। शरीर को स्वस्थ रखना है तो बचपन से ही ध्यान देने की जरूरत है। सिर्फ स्वाद के लिये ही ना खाये, शुद्ध, सात्विक व प्राकृतिक खायें।
श्रीकृष्ण ने नारी के सम्मान को सर्वोपरि बताया। चाहे द्रोपदी चिरहरण के समय उनकी रक्षा की बात हो चाहे राक्षस नरकासुर द्वारा 16,100 महिलाओं के अपहरण की बात हो। उन्होंने सदा नारी सम्मान की रक्षा की। नरकासुर का अंत करके उन 16,100 महिलाओं को जिन्हें समाज यहां तक कि उनके स्वयं घरवालों ने अपनाने से मना कर दिया था उनसे विवाह कर सभी को सम्मान दिलाया।
कुछ महत्वपूर्ण बातें जो हम श्रीकृष्ण से सीखते हैं-
कर्म सदा अच्छे करो, व्यर्थ की बातों में समय नष्ट न करो।
मुसीबत में या सफलता न मिलने पर हिम्मत नहीं हारें, समस्याओं का पुनः डटकर सामना करें।
हर परिस्थिति में खुश रहने का प्रयास करना है। मुस्कुराहट में बड़ी शक्ति होती है, इससे विपरीत परिस्थितियों में भी विजय हासिल की जा सकती है।
जीवन के प्रत्येक दिन को उत्सव के रूप में मनाना चाहिये, कोई भी कार्य हो उसे पूरे उत्साह के साथ करना चाहिये, इससे सफलता निश्चित होती है।
क्रोध से सदा बचना चाहिये। व्यक्ति का स्वयं पर नियंत्रण होना बहुत जरूरी है। नियंत्रण के बिना विनाश निश्चित है। क्रोध में व्यक्ति नियंत्रण खो देता है।
कोई भी कार्य योजना बनाकर आरंभ करें, स्वयं पर भरोसा रखें, प्रत्येक व्यक्ति अपने आप में सक्षम है।
सदा अनुशासन में जीना चाहिये, व्यर्थ की चिंता नहीं करनी चाहिये। भविष्य के बजाय वर्तमान पर अपना सम्पूर्ण ध्यान केन्द्रित करना चाहिये।
इस प्रकार भगवान विष्णु के कृष्ण के रूप में अवतार लेने के कई कारण थे। इसमें से कुछ ये समाज में व्याप्त अन्याय को समाप्त करना, दुराचारियों का उन्हीं के भांति अंत करना। समाज को, लोगों को नई दिशा दिखाना, अंधकार में डूबे हुओं को ज्ञान का प्रकाश देना।
निधि श्रीमाली
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,