महेश्वरी, जगदीश्वरी, परमेश्वरी, सरस्वती, दुर्गा, पार्वती, सीता, गौरी, महामाया, मूल प्रकृति, विद्या, अविद्या आदि सभी इसी के रूप हैं। इस महाशक्ति स्वरूपा जगजननी की उपासना भिन्न-भिन्न क्षेत्रे में विभिन्न स्वरूपों में लोग करते हैं। यही महामाया मनुष्य के तमोगुण, रजोगुण भाव को शुद्ध सात्विक भाव में परिवर्तित कर इतना स्वच्छ, निर्मल, शुद्ध कर देती हैं, जिससे मनुष्य को ब्रह्म के दिव्य गुण, सामर्थ्य, ऐश्वर्य, विभूति आदि जो प्रत्येक जीवत्मा में बीज रूप में निहित या गुप्त है, उसका पराशक्ति महामाया के आश्रय से विकास हो और उसके द्वारा जीव और ब्रह्म में सम्बन्ध स्थापित हो सकें और वह जीवन में उच्चता की ओर, पूर्णता की ओर अग्रसर हो सके, यही क्रिया आद्या शक्ति महामाया विभिन्न स्वरूपों में पूर्ण करती हैं।
आज-कल साधना, पूजा, उपासना, दीक्षा को लोग अपनी कामनाओं की पूर्ति के लिये ही आवश्यक मानते हैं। लोग भोगात्मक विषयों में अनुरक्त और लिप्त रहते हैं। आज के मनुष्य में हिंसा, काम, क्रोध, लोभ, मोह, भोग-लिप्सा, मत्सर, तृष्णा, आलस्य आदि अत्यधिक है। इसीलिये जीवन में निरन्तर महामाया शक्ति के उपासना के पीछे यही भाव-चिंतन रहता है कि व्यक्ति त्रिगुणामयी शक्ति के सद्गुण- दया (परोपकार), क्षान्ति (क्षमा), धृति (धैर्य) शान्ति (मन की ममता), तुष्टि (सर्वदा प्रसन्नता), पुष्टि (शरीर और मन से स्वस्थ रहना) श्रद्धा, विद्या, सद्बुद्धि आदि को आत्मसात कर जीवन में अभिवृद्धि कर सके, सद्मार्ग पर गतिशील हो सके।
जीवन में उच्च गति के लिये निरन्तर एक ही शक्ति की उपासना करना शास्त्र सम्मत है, और ऐसा करना सांसारिक जीवन के लिये अत्यन्त आवश्यक भी है, क्योंकि सांसारिक जीवन में जिन मूलभूत चिन्तन और गुणो की आवश्यकता है, वे सभी इन्हीं महामाया शक्ति के द्वारा ही उपलब्ध हो सकती हैं। साथ ही शक्ति ही जीवन में गति-अगति अर्थात विद्या-अविद्या स्वरूपिणी हैं, जिस दिन विद्या अविद्या पर विजय प्राप्त कर लेगी, उसी दिन से जीवन में सद्चेतना का प्रवाह पूर्णता से व्याप्त हो जायेगा।
इसलिये इन्हीं पराशक्ति की उपासना, पूजा, स्तुति, से जीवन में विद्या (ज्ञान) की ज्योति प्रज्ज्वलित करने का दृढ़ निश्चय कर निरन्तर भगवती महामाया का स्मरण करें, जिससे ज्ञान रूपी ज्योति में जीवन के अभाव- धन हीनता, दुर्बलता, रूग्णता, भय, क्रोध, आलस्य, अज्ञानता का शमन हो सके।
होलाष्टक पर्व में फाल्गुन मास के चेतनामय शक्ति दिवसों पर जीवन को सुखद रंगो से युक्त करने हेतु साधनात्मक क्रियाओं के द्वारा साधक जीवन की दुखद पूर्ण स्थितियों, धनहीनता, शत्रु बाधा, तांत्रोक्त पीड़ा, पितृ दोष जैसे विषम न्यूनताओं को नारायण भगवतीमय चेतना से भस्म कर सकेंगे। कांकेश्वरी महामाया शक्ति साधना से जीवन में सौभाग्य शक्ति, धन लक्ष्मी, कार्य व्यापार वृद्धि, संतान सुख, सर्व मनोकामनाओं की पूर्ति हो सकेगी। जिससे जीवन श्रेष्ठ रंगों व रसों से युक्त बन सकेगा।
शिविर स्थल- गोंडवाना समाज सामुदायिक भवन, भीरावाही घड़ी चौक, कांकेर (छ-ग-)
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,