कोटि कोटि प्रणाम,
गुरुदेव मैं वर्षा पटेल अपनी माँ को लेकर गुरु पूर्णिमा रायपुर में आई थी। मेरी माँ की मानसिक स्थित कुछ वर्षों से ठीक नहीं थी, बहुत डाक्टरों से इलाज करवाये पर कुछ फर्क नहीं पड़ा। जिसके पास लेकर गये बस यही बोले कि ये जीवन भर ऐसी ही रहेंगी लेकिन मैं आपके रहते हार कैसे मान सकती हूँ। यही सोच के आपके पास गुरु पूर्णिमा में अपनी माँ को लेकर आई आपसे मिलने पर आपने ‘मानसिक रोग मुक्ति’ दीक्षा का आदेश दिया और मैंने अपनी माँ को उसी दिन दीक्षा दिलवायी और फिर दूसरे दिन घर आ गये तब से माँ का व्यवहार बहुत कुछ सामान्य सा हो गया है और मुझे आशा है, आपकी कृपा से बहुत जल्द पूर्ण स्वस्थ हो जायेगी बस मेरी माँ पूर्ण रूप से ठीक हो जाये आपकी असीम कृपा मेरी माँ, मुझ पर तथा मेरे परिवार पर जीवन भर बरसती रहे, गुरुदेव मैं आपसे यही कामना करती हूं।
आपकी
वर्षा पटेल (छत्तीसगढ़)
गुरु मे समाहित सभी देवी देवता
गुरुदेव मैं लगभग तीन महीनों से दाद, खाज से बहुत व्यथित था। अनेकों दवाइयां लगाने व खाने के पश्चात् भी कोई प्रभाव नहीं हो रहा था। मैं कैलाश सिद्धाश्रम, जोधपुर आया तो उस दिन गुरुजी नहीं मिले, गुरुजी तीन दिन बाद आश्रम आने वाले थे। मेरा रोग और अधिक बढ़ गया था, मैंने आश्रम में ही दो दिन और रहकर गुरुजी से मिलकर ही जाने का निश्चय किया। रात्रि में मुझे एक मित्र ने फोन पर बताया कि हमारे गांव के पास दूसरा गांव में लोक देवी शीतला माता बीवी रानी का मंदिर है तथा वहां जा कर माता के दरबार में रोग शांति हेतु बुहारी (झाडू) तथा कच्चे बैंगन चढ़ाकर माता से प्रार्थना की जाती है तथा वहां पर एक तालाब से जरा-जरा सी मिट्टी सात बार उठाकर अपनी झोली में डालकर कहीं दूसरी जगह वह मिट्टी फेंक दी जाती है, यह क्रिया करने से किसी भी प्रकार का चर्म रोग ठीक हो जाता है। उस रात खुजली के कारण मैं सो नहीं सका तथा मेरे मन में विचार आया कि गुरु में सभी देवी-देवता समाहित होते है और मैंने सुबह उठ कर बाजार जाकर बुहारी और बेंगन खरीद लाया तथा सद्गुरुदेव निखिल विग्रह के समक्ष उन वस्तुओं को अर्पण कर प्रार्थना की कि हे गुरुदेव! आपके अंदर ही माता बीवी रानी भी विद्यमान है। आप मेरे द्वारा अर्पण की गई वस्तुओं को स्वीकार करो, मेरा रोग ठीक करने की कृपा करो। ऐसा करके मैं आराम से आश्रम में ही लेट गया तथा मुझे नींद आ गई तो मुझे स्वप्न में सद्गुरुदेव व माता बीवी रानी के दर्शन हुये तथा उन्होंने मुझे आशीर्वाद भी प्रदान किया। मैंने कोई दवाई या क्रीम आदि नहीं लगाई ना ही खाई और मेरा सभी रोग दो दिन के अंदर समाप्त हो गया। तीसरे दिन गुरुदेव कैलाश जी आये तो मैं उनसे मिला तो उन्होंने मेरा हाल चाल पूछा कि बेटा! अब कैसा है? तो मैंने कहा गुरुदेव मैं तो अपने रोग के बारे में आपसे मिलने आया था वो तो यहां आकर एक दम से ठीक ही हो गया और मैंने उन्हें सभी बात बताई और वे मुझे देखकर मुस्कुराने लगे और आशीर्वाद प्रदान किया।
आपका शिष्य
ओंकार दीमापुर (अरूणाचल प्रदेश)
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,