उड़ीसा प्रान्त नुआपड़ा जिले के हम तीन गुरु भाई मिलकर दिनांक 9 मई 2016 को नरसिंह जयंती पर गुरु साधना करने का मानस बना कर उस दिन शाम 4 बजे से हम लोग गन्धमार्दन पहाड़ पर चढ़ने लगे और पडाड़ी के शिखर पर पहुंचते-पहुंचते रात को डेढ़ बज गया था। भीम मंड़प तक तो लोगों की भीड़ लगी थी क्योंकि यह समय नरसिंह नाथ भगवान के मेले का था और इसी पगडंडी के रास्ते से होकर नरसिंह नाथ से हरी शंकर आने-जाने जाने वालों की कतार लगी रहती है। जब हम भीम मंडप से लोगों के कोलाहल से दूर साधना के लिये उपयुक्त स्थान चयन करने के लिये निकले तो पहाड़ के शिखर पर साधना के लिये अनुकूल जगह नहीं मिली। क्यों कि वहां तेज हवा चल रही थी और वहां पेड़ कहीं-कहीं पर ही था। देर रात करीब 2 बजे तक उपयुक्त स्थान न मिलने के कारण मन निराशा से भर गया था।
फिर हमने सोचा कि क्यों ना पहाड़ी के ढ़लान पर उतरा जाये यह विचार कर हम लोग ढलान पर उतरने लगे। वह स्थान जंगल से भरपूर था। उस ढलान के बीच में एक जगह बाँस पेड के नीचे साधना के लिये उपयुक्त स्थान कर चयन कर हम लोग साधना प्रारम्भ करने की ओर बढ़ने लगे। परन्तु पहाड़ी क्षेत्र और घना जंगल होने के कारण मन में कुछ भय भी लग रहा था, लेकिन सद्गुरुदेव का स्मरण कर हम लोग तकरीबन 3 बजे गुरु पूजन सम्पन्न कर गुरु मंत्र प्रारम्भ कर दिये। जब आखिरी माला चल रहा था, तभी ऐसे लगा जैसे कोई भारी चीज जमीन पर गिरी हो, उसकी आवाज हमें सुनायी दी। कुछ देर के बाद सूखी पत्तीयों के उपर कोई चलकर आ रहा है, ऐसा प्रतीत हुआ। फिर भी हम लोग धैर्य के साथ बैठ रहें। फिर लगभग 5 बजे हमारे पीछे भौंरो का गुंजरण सुनाई दिया। फिर 5-6 मिनट के बाद वे भौंरे एक-एक करके हमारे सामने मंडराने लगे। तब हमने पूज्य गुरुदेव से विनती करने लग गये, फिर तीनों भौंरे वहां से चले गये। उस के बाद हम लोग प्रसन्न मन से गुरु आरती और समर्पण स्तुति करके वापस अपनी घर की और निकल पड़े।
इस क्रिया के दो-तीन दिन बाद एक गुरु भाई को सपने में कोई व्यक्ति कुल्हाड़ी से वार कर रहा है, तो जवाब में गुरु भाई ने भी राड़ से उस व्यक्ति पर वार किया। जिससे उस व्यक्ति का एक टांग टूट गया और वह जमीन पर गिर पड़ा। तभी पूज्यपाद दादा गुरुदेव ने आकर कहा कि बेटे हमेशा गुरु मंत्र का जाप करते रहना, कह कर अर्न्तध्यान हो गये। अवश्य ही प्रभु जीवन में कोई मुसीबत आने वाली थी जिससे आपने हमें सुरक्षित बचा लिया और स्वप्न के माध्यम से संकेत दे रहें हैं कि आगे बढ़ने और सुरक्षित रहने के लिये निरंतर गुरु मंत्र जप करते रहना। गुरुदेव ऐसी ही कृपा मुझ पर बनायें रखना।
आपका राधेश्याम
नुआपड़ा (उड़ीशा)
सविनय नम्र निवेदन है आज 10/05/2017 को पारद चरण पादुका वी-पी से प्राप्त हुई। 11/05/2017 गुरुवार को संक्षिप्त पूजन व मंत्र जाप के पश्चात मन में व्याप्त रोष, सन्ताप, भय धीरे-धीरे शान्त होने लगे। एक शान्ति सन्तोष की अनुभूति हुई है। सूक्ष्म रूप से रात्रि को दर्शन लाभ भी प्राप्त हुआ है।
सन् 1994 से फरवरी पत्रिका मंत्र-तंत्र-यंत्र विज्ञान से मुझे श्री गुरुदेव से सम्पर्क में आने का अवसर मिला। गुरु दीक्षा के पश्चात् साधनायें व शिविर में आने का विशेष अवसर भी मिला 1997 में तांत्रोक्त गुरु साधना, कुण्डलिनी साधना यंत्र प्राप्त हुआ अनेक-अनेक अनुभूतियों के साथ ही विशेष चेतना जागरण हुआ। दुर्भाग्यवश एक चूक हो जाने के कारण तंत्र दोष व्याप्त हो गया था। गुरुदेव जी की कृपा से जोधपुर में श्री कैलाश गुरुदेव जी से तंत्र दोष निवारण दीक्षा प्राप्त हुई। एक माह के भीतर स्वास्थ्य में सुधार होने लगा। एक माह के बाद पितृदोष निवारण दीक्षा प्राप्त हुई। इस प्रकार धीर- धीरे मुझे शारीरिक दृष्टि कोण से भी स्वास्थ्य मिला। कई बार साधनायें सम्पन्न किया व दीक्षा प्राप्त करने का अवसर भी मिला। विषय को अधिक न बढ़ाते हुये संक्षिप्त में यही प्रार्थना है। आपके अनुग्रह आशीर्वाद का आकांक्षी हूं।
रामफल
जहांगीरचापा (छ-ग-)
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