तुम व्यर्थ में चिन्ता कर रहे हो, तुम्हें तो निश्चिन्त हो कर थिरकना है, नाचना है, उत्सवयुक्त होना है, जिससे कि तुम तेजी के साथ मुझ में समा सको।
मैं तुम्हारे पास खड़ा हूं और तुम्हारी सारी चिन्ताएं मैं अपने ऊपर ले लेता हूं, आवश्यकता है, प्रेममय होने की, लययुक्त होने की, थिरकन से संबंधित होने की, तभी तुम झुक सकोगे और तभी तुम मेरे साथ नृत्य करते हुए थिरक सकोगे।
तुम्हें यह जीवन आसानी से मिल गया है, पर यह समय तुम व्यर्थ में काट रहे हो, तुम इसका सदुपयोग नहीं कर रहे हो, तुम्हें पता ही नहीं है, कि जीवन का उद्देश्य क्या है।
जब तुम्हें जीवन के किसी मोड़ पर कोई चेतना पुंज, कोई जाग्रत व्यक्तित्व मिल जाय, तो अपनी इस जिन्दगी की दौड़ में रूक कर उससे मिल लेना, डूब जाना उसके प्रवचनों में, समा जाना उसके व्यक्तित्व में।
तुम्हें मुस्कुराते हुए मुझमें समर्पित होना हैं, अपने जीवन का मेरे हाथों निर्माण करना है, मेरी श्वासों से अपने जीवन को संवारना है, मेरी धड़कनों से अपने जीवन का श्रृंगार करना है और मुझमें लीन हो कर जीवन को सौन्दर्य और सत्य से साक्षात्कार कराना है तभी तो तुम ‘‘शिष्य’’ कहला सकोगे।
मैं तुमसे अलग नहीं हूं, मैं तो हर क्षण तुम्हारे आस-पास ही हूं, जब तुम श्वास लेते हो, तो उसमें भी मेरा ही सुवास है, क्योंकि तुम्हारे चारों ओर मेरा अस्तित्व है।
कमी कुछ नहीं है, केवल इतनी ही है, कि मैं जो कुछ देना चाहता हूं, वह तुम पूरी तरह से लेने को तैयार नहीं हो, मैं तुम्हारी आत्मा की खिड़की खोलना चाहता हूं, तुम्हें तो चाहिए कि दो चार कदम और आगे बढ़ो और पूर्ण रूप से अपना अन्तर खोल कर मुझमें निमग्न हो जाओ।
तुम मुझे बुद्धि से जानने की कोशिश करते हो, पर यदि मैं कभी पहिचाना जाऊंगा तो हृदय की आंखों से ही, यदि मैं तुमसे मिल सकूंगा तो प्रीति की रीति से ही, तुम्हारे हृदय में मैं यदि समा सकूंगा तो दीवानगी भरे शिष्यत्व से ही।
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,