गुरु शक्तिपात दीक्षा प्राप्त करते समय मेरे आज्ञा चक्र में एक अग्नि तेज का प्रज्ज्वलन हुआ। साथ ही मेरे आज्ञा चक्र पर स्पंदन व दर्द की अनुभूति हुयी, यह क्रिया कई माह तक चलती रही, जब भी मैं शांत चित्त होकर बैठता तो मुझे स्पष्ट रूप से आज्ञा चक्र में स्पंदन अनुभूति होती।
इस घटना के बाद मैं पूरी तरह से गुरुमय होकर पूरी निष्ठा, श्रद्धा, विश्वास से गुरु मंत्र जप करने लगा। मैंने अपने जीवन में कई बार गुरु मंत्र जप का पुरश्चरण पूर्ण किया। मैं मानसिक गुरु मंत्र जप करता रहता था, जिसके परिणाम स्वरूप ऐसा लगा कि रोम-रोम से गुरु मंत्र का उच्चारण हो रहा है।
एक दिन साधना करते समय गुरु चित्र से एक अग्नि तेज पुंज गुरुदेव के ललाट से निकलकर मेरे हृदय में समाहित हुआ। जिसके उपरान्त पूजा स्थान में ऐसे दृश्य दिखता कि मेरे चारों ओर अग्नि प्रज्ज्वलित है और मैं अग्नि के मध्य बैठ कर साधना सम्पन्न कर रहा हूं। गुरु मंत्र जप करते समय मूलाधार चक्र पर भी स्पन्दन होता था। गुरु कृपा से मैंने पूरा ब्रह्माण्ड में विचरण किया, मैं हिमालय, सिद्धाश्रम, कल्पवृक्ष आदि के दर्शन प्राप्त हुये।
जीवन की अनेक घटनायें हैं, जिसे कुछ पन्नों पर अंकित नहीं कर सकता। ऐसा ही एक घटना सन 1999 की है। जब मैं वीर वैताल दीक्षा लेकर साधना प्रारम्भ किया। रात्रि 10 बजे के बाद 21 दिन तक प्रतिदिन 21 माला मंत्र जप वीरासन में बैठ कर सम्पन्न करना होता था। 18 वें दिन एक विशाल आकार का व्यक्ति पेड-पौधों को लेकर तूफान के साथ अट्टहास करते हुये मेरी ओर आया और निकट आते-आते लघु रूप में होकर शून्य में विलीन हो गया। यह सब क्रियायें आपकी ही कृपा से मेरे जीवन में घटित हुयी। मेरा जीवन धन्य-धन्य हो गया आपकी शिष्यता ग्रहण कर। आपने मुझे स्वीकार किया प्रभु बस यही मेरे जीवन की सिद्धि है।
आपका शिष्य
रामवृक्ष आजमगढ़ (उ-प्र)
मुझे गुरु पूर्णिमा शिविर रायपुर में गुरु दीक्षा प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। गुरु दीक्षा के पश्चात् मैं नियमित रूप से पूजन व मंत्र जप करता था। अनेक समस्याओं और परेशानियों से जीवन बोझिल हो गया था। जिस कारण पूजन करते-करते अनेक बार मैं गुरुदेव के सामने रोता रहता। एक दिन स्वप्न में मुझे गुरुदेव ने निखिल स्तवन का नित्य पाठ करने की आज्ञा प्रदान की।
उसके बाद मैं नित्य निखिल स्तवन का पाठ व गुरु मंत्र का जप करता रहा हूं। जिसके तीन माह पश्चात् मेरे प्रत्येक कार्य सफल होने लगे। मेरा जीवन सही रूप से चल रहा है। मैं और परिवार अब बहुत खुश रहता है। यह सब गुरुदेव की कृपा से ही संभव हो पाया।
नवरात्रि के प्रथम दिन जब मैं साधना के लिए पूजन कक्ष में बैठा, तो कुछ देर बाद ही अचानक मेरा देह झनझना गया, ऐसा लगा मानों मुझे जोर से करंट का झटका लगा हो। दूसरे दिन की साधना में ऐसा लगा कि कोई शक्ति मेरे चारों ओर घूम रही हो, साधना पूर्ण होने के पश्चात् मैं स्वयं काफी ऊर्जावान अनुभव कर रहा था।
आपका शिष्य
गौरव साहू, बरही म-प्र
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,