उन्हीं मार्ग दर्शक को, जीवन के मर्म से साक्षात्कार करने वाले को गुरु कहा गया है। जो हमारे कल्याण के लिये, हमें उच्चता तक पहुंचाने हेतु प्रयासरत रहते हैं, वे ही सही मायने में गुरु हो सकते हैं और उनके प्रयासों की छवि शिष्यों में स्पष्ट रूप से दृश्टिगोचर होती है। उनके ही तप, चेतना, ऊर्जा, शक्ति, साधना के ताप से अनेक जीवन दिव्य चेतना से विभूषित हुये हैं।
यह हमारे जीवन का सौभाग्य है कि इस युग में हमारे बीच निखिल ज्ञान ज्योति स्वरूप प्राचीन मंत्र यंत्र विज्ञान पत्रिका है, जिसका मंत्र, तंत्र, यंत्र, योग और ज्योतिष, आयुर्वेद, कर्मकण्ड आदि सभी क्षेत्रों में श्रेष्ठ चिंतन, विचार, लेख, साधना, दीक्षा आदि क्षेत्र में, समाज निर्माण में सर्वश्रेष्ठ योगदान है। प्राचीन मंत्र-यंत्र विज्ञान पत्रिका के संस्थापक सद्गुरुदेव कैलाश श्रीमाली जी के निर्देशन में हजारो साधक, शिष्य साधना, दीक्षा सम्पन्न कर जीवन कर्म क्षेत्र में सफल हुये हैं। साधनाओं में श्रेष्ठतम अनुभूति प्राप्त कर चुके हैं। उन्होंने साक्षी रूप से यह अनुभूति की है कि किसी भी बड़े संकट, घटना, दुर्घटना से, जहां उनका बचना बिल्कुल संभव नहीं था, वहां भी गुरु कृपा से उनका जीवन सुरक्षित हुआ है। कई शिष्यों ने सद्गुरुदेव निखिल की सूक्ष्म उपस्थिति भी अनुभव की, किसी को प्रेरणा स्वरूप कई श्रेष्ठ चिंतन, दर्शन, विचार प्राप्त होते हैं।
आप सोच रहे होंगे ये सब कहने का तात्पर्य क्या है, वास्तविक रूप से जब ऐसी किसी विषय पर चर्चा होती है, तो अपने सद्गुरु के प्रति, उनकी महत्ता के प्रति हमारा सर श्रद्धा, प्रेम से झुक जाता है और अनेक प्राथमिक शिष्यों को हमारे अनुभव के आधार पर नवीन चेतना, ज्ञान, साधना का महत्व, गुरु की महत्ता समझ में आती है, और उनकी साधनाओं के प्रति रूचि बढ़ती है। इन सब कार्यों के प्रति मात्र इतना ही चिंतन है, कि साधनाओं को पूर्ण रूप से साधक अपने जीवन में सम्मलित करें, अधिक नहीं तो कम से प्रारम्भिक स्तर की गुरु मंत्र की साधना दैनिक रूप से करें ही।
प्राचीन मंत्र-यंत्र विज्ञान की नीति प्रारम्भ से यही रही है कि इसमें जो भी मंत्र, तंत्र, साधना प्रकाशित हो वह पूर्ण प्रामाणिक हो, अनुभव पर आधारित हो।
अपने जीवन के इन सभी साधनात्मक अनुभव, गुरु कृपा अनुभूति, दीक्षा के माध्यम से जीवन में हुये परिवर्तन को, किसी घटना-दुर्घटना में सुरक्षित जीवन के बारे में हमें अवश्य लिखें, आपके अनुभव नवीन साधक, शिष्य, पाठक के लिये पथ-प्रदर्शक होगा। उन्हें साधना, दीक्षा और संघर्षं करने की प्रेरणा मिलेगी। मुझे आप सभी शिष्यों के पत्र का इतंजार है, आप निः संकोच किसी समस्या, अनुभव, सलाह हेतु हमें पत्र लिख सकते हैं, आपके विचार हमारे लिये सम्मानीय है।
आपका अपना
विनीत श्रीमाली
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