धन्य हैं सद्गुरुदेव निखिल, धन्य हैं माता बगलामुखी और धन्य हैं आप जो आज के इस युग में भी इतनी दिव्य शक्तियों का हमारे जैसे साधारण मानव को सहजता से प्रदान कर रहें है। साथ ही विशेष बात यह है कि मुझे इतने सालों में पहली बार शिविर स्थल में चंदन की महक (सुगंध) महसूस हुयी, मुझे लगा शायद किसी ने इत्र लगाया होगा, लेकिन मै निर्जन स्थान पर भी गया जहां पेड-पौधे थे, लेकिन वहां पर भी मुझे वैसे ही सुगंध महसूस हुयी, यह मेरे जीवन की एक विशेष अनुभूति है। अभी-अभी दिनांक 30/06/2016 की रात्रि में आप मेरे स्वप्न में आये, मैं सपत्नी आपके पास बैठा था और आप मुझे वशीकरण विद्या सिखा रहे थे। मैं समझ नहीं पा रहा हूँ, वह कौन सी साधना है कृपया मार्गदर्शन करें, आपके आशीर्वाद की प्रतीक्षा में।
आपका शिष्य
मनोज शिव प्रसाद पाण्डे
नागपुर, महाराष्ट्र
गुरुदेव आपका पत्र मुझे मिला जानकर बहुत खुशी हुयी कि आपने मेरा पत्र पढ़ा, जब आपका पत्र मेरे हाथों में था तो मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि आपने मुझे पत्र लिखा है। गुरुदेव मैं व्यक्त नहीं कर सकती कि ये पत्र पाकर मुझे कितनी खुशी हुयी। पत्र पढ़कर मेरे पांव जमीन में नहीं टिक रहे हैं, ऐसा लग रहा है कि मैं दूसरी दुनिया में खड़ी हूं, वो पत्र अभी भी रोज एक बार अवश्य पढ़ती हूं। आपका पत्र मुझे 08 मार्च को सांय 07 बजे मिला और दूसरे दिन सुबह सूर्य ग्रहण के शुभ अवसर पर आप द्वारा उपहार स्वरूप दिया गया लॉकेट का पूजन कर धारण की। आपका यह स्नेह, प्रेम मैं कभी नहीं भूल सकती, अपनी बेटी पर ऐसी ही कृपा हमेशा बनाये रखना गुरुदेव यही विनती आपसे बारम्बार है।
आपकी पुत्री
आरती निखिल
अनूपपुर, मध्य प्रदेश
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