वैदिक संस्कृति के अनुसार स्त्री-पुरूष दोनों ही अपने अपने धर्म अर्थात् व्रत पालन एवं कर्तव्य निष्ठा के लिये ही पति-पत्नी के रूप में प्रेम की डोर से आबद्ध होते हैं। विवाह का लक्ष्य तो दो हृदयों का मधुर मिलन है। दो आत्माओं का शाश्वत सम्बन्ध है।
इस जीवन की गति अत्यन्त ही विचित्र है, व्यक्ति चाहे पुरूष हो अथवा स्त्री, सुखों की तलाश में निरन्तर भटकता ही रहता है। वह अपने छोटे से जीवन में सभी सुखों को प्राप्त करने के लिये प्रयत्नशील रहता है। प्रथमतः भौतिक पूर्णता प्राप्त करना चाहता है व उसके पश्चात् अध्यात्म को अपने जीवन में स्थान दे पाता है। जो पूर्ण रूप से अनुचित है। यदि व्यक्ति पूर्व में ही अध्यात्म को अपने जीवन में आत्मसात कर लें, तो वह पूर्ण भौतिक सुख प्राप्त करने और अनेक गृहस्थ बाधाओं से स्वयं को सुरक्षित कर सकते हैं।
जीवन यात्रा में महत्वपूर्ण पड़ाव विवाह होता है, इस विवाह प्रक्रिया के कारण व्यक्ति के जीवन में एक विशेष परिवर्तन आता है, जो कि उसके जीवन की दिशा ही मोड़ देता है, इस जीवन यात्रा में यदि योग्य, भावनानुकूल जीवन साथी मिल जाता है, तो जीवन में रस, आनन्द एवं जीने की चाह बढ़ जाती है, जीवन में कष्ट, जिम्मेदारियां एवं बाधायें तो आती हीं हैं, लेकिन योग्य जीवन साथी मिलने से कष्टों की पीड़ा निश्चय ही कम हो जाती है।
यह वैवाहिक जीवन यात्रा में अनेक बाधायें, मन-मुटाव, मतभेद, अनुकूल जीवन साथी का ना मिलना, विवाह में विलम्ब, पत्नी को प्रताडि़त करना, पति-पत्नी के बीच सामंजस्य ना होना, पति का कुमार्गी होना, पत्नी का सहयोगी ना होना अनेक ऐसे कारण हैं, जिससे गृहस्थ जीवन अभिशाप से कम नहीं होता। विवाह दो विभिन्न विचार धाराओं वाले, विभिन्न वातावरण में पले बढ़े, पुरूष-स्त्री के गृहस्थ जीवन में हर तरह से सामंजस्य स्थापित कर सुख और आनन्द के साथ पूर्णता प्राप्त करना है।
अपने गृहस्थ जीवन में आनन्द, हर्ष, प्रेम, करूणा व सुखमय 35 वीं वर्षगांठ पूज्य सद्गुरूदेव व वंदनीय माता जी अपने साधकों और शिष्य परिवार के साथ आनंदमय स्वरूप में सम्पन्न करने का भाव है। इस हेतु आप सपरिवार सद्गुरूदेव के गृहस्थ आश्रम की चेतना को आत्मसात कर निश्चित ही अपने वैवाहिक गृहस्थ जीवन को सुदृढ़, सफ़लता युक्त बना सकेंगे। 07 जुलाई को कैलाश नारायण धाम दिल्ली में सावित्री शक्ति सुहाग सौभाग्यवर्धक क्रिया शक्ति दीक्षा और शिव-गौरी लक्ष्मी दाम्पत्य सुख चेतना शक्ति दीक्षा से वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी का आत्मिक और मानसिक जुड़ाव परस्पर बन सकेगा। और शिव-गौरी परिवारमय स्थितियों से जीवन में अनुकूलता बनेगी, शीघ्र विवाह युक्त बन सुखद गृहस्थ जीवन प्राप्त करने में निश्चित ही आप सफ़ल हो सकेंगे।
महाप्रसाद की व्यवस्था सूर्यास्त से पूर्व प्रदान की जायेगी। आप सपरिवार आत्मीय भाव से आमंत्रित हैं।
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