होलिका दहन व होली का त्यौहार हमें हर वर्ष एक प्रकार का अवसर प्रदान करता है, हम इस दिन हमारी सारी बुराइयों, जो पाप रूपी गलतियां की है, उन सभी को भस्म करने का संकल्प दिवस है, इस दिन काम, क्रोध, मोह, लोभ, एवं अहंकार को हम होलिका दहन के साथ भस्म कर इन पुण्यरूपी सदाचारों, सत्यता, पवित्रता, प्रेम, कल्याण एवं उदारता को अपनाने से ही जीवन में नूतनता और श्रेष्ठता की ओर अग्रसर होते है। होली का त्यौहार हमें हमारी पूर्व में की गई गलतियों को त्याग कर अच्छाइयों की ओर प्रेरित करता है।
होलिका का महत्त्वः- होलिका दहन का कलियुग में सही अर्थों में तात्पर्य देखा जाये तो अपनी इच्छाओं, वासनाओं, क्रोध, बुरी आदतों, द्वेष को जलाने अर्थात् त्यागने का है। जब हम सांसारिक आडंबरों, लोभ की तरफ आकर्षित होकर स्वयं की Negative Thinking का शमन करते हैं, इस पर्व पर हमें अध्यात्म, योग, गुरु-सेवा की ओर बढना चाहिये, जो हमारे सांसारिक भौतिक मानसिक, शारीरिक विकास से युक्त जीवन निर्माण की क्रिया करते है। जब हम सांसारिक लोभ से अत्यधिक आकर्षित होते है व इसी बारे में विचार करते रहते है तो इससे अत्यधिक आश्रित होकर लोभ व भोगी हो जाते है जिसके स्वरूप हम अत्यधिक लोभमय बन जाते है, इससे हम अपने जीवन में सुस्थितियां निर्मित नहीं कर पाते और लक्ष्य से भ्रमित हो जाते है। यदि हमें यह सांसारिक लोभ प्राप्त न हो तो हम क्रोधी चिडचिड़े स्वभाव के हो जाते है, जिसके कारण हमारे सोचने समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है।
जीवन का लक्ष्य हैः- जीवन का प्रमुख लक्ष्य प्रसन्न होना है, जिसे हम नहीं समझ पा रहे हैं, उस होली को समझने की क्रिया है। होली के अवसर पर गुरु और शिष्य का हृदय जुड़ जाता है। जो मन में तरंग पैदा कर सके उसे होली कहते है। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को जला दिया, इसलिए होली नहीं है। होली तो उससे भी पहले की एक क्रिया है, जब मन में एक चैतन्यता पैदा की जा सकती है। जिससे आने वाला नूतन वर्ष का प्रत्येक दिवस जीवन में जोश, उंमग, चेतना और ओज से युक्त हो सके। जिससे प्रत्येक क्षण मन में एक आनंद की हिलोर बनी रहे, वही तो जीवन है। इसी को ध्यान में रखकर कैलाश सिद्धाश्रम जोधपुर में परम पूज्य सद्गुरुदेव परमहंस स्वामी श्री निखिलेश्वरानंद जी महाराज एवं पूज्य सद्गुरूदेव श्री कैलाश चन्द्र श्रीमालीजी की असीम कृपा एवं आशीर्वाद स्वरूप 21-22-23 मार्च को कामाख्या कामरूप होलिका महोत्सव कैलाश सिद्धाश्रम, जोधपुर में भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ। ऐसी ही भाव विचार व चेतना की क्रिया होली महोत्सव में सद्गुरुदेव जी ने सम्पन्न की।
व्यक्ति को संसार में आनन्द, सुख, भोग, विलास, सौन्दर्य, रस, आभूषण, वस्त्र, कीर्ति, यश, गौरव, सन्तान प्राप्ति, कामना, इच्छा इत्यादि दिखाई देती है और इनके सहारे और इनको प्राप्त करने के लिये वह अपना जीवन पूर्ण शक्ति से गतिमान रखता है। संसार में कोई किसी को उतना परेशान नहीं करता, जितना कि मनुष्य के अपने दुर्गुण और दुर्भावनायें। दुर्गुण रूपी शत्रु मनुष्य के साथ बने रहते हैं, वे हर समय उसे बेचैन रखते है और वह अपने दुर्गुणों को समाप्त करने का कोई प्रयास नहीं करता सुखी जीवन की आकांक्षा सभी को होती है, पर सुखी जीवन तभी संभव हो पाता है जब हमारा दृष्टिकोण, विचारों व दुर्गुणों की त्रुटियों को समझें और उन्हें सुधारने का प्रयत्न करें। अल्प साधन और परिस्थितियों में भी शांति और संतोष को कायम रखा जा सकता है। सद्गुणों के विकास का उचित मार्ग है कि विशेष रूप से विचार किया जाये, आध्यात्मिक ग्रंथ पढ़े, प्रवचन सुनें, अच्छे शब्दों का प्रयोग करें और अच्छा ही सोचें साथ ही क्रियान्वित करने की निरन्तरता रखें, जो सद्गुणों को बढ़ाने में सहायक हों।
उज्जैन में अत्यन्त पवित्र क्षिप्रा नदी को पापनाशिनी के नाम से जाना गया है। क्षिप्रा-स्नान से पाप नष्ट हो जाते है। इसमें स्नान करने का पुण्य सब नदियों से बढ़कर है। भू-मण्डल पर मनुष्य के पाप को दूर करना ही कुम्भ की उत्पत्ति का हेतु है। जो पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ क्षिप्रा नदी में स्नान करता है वह शिव स्वरूप हो जाता है। ‘जिस समय सूर्य मेष राशि पर हो और बृहस्पति सिंह राशि पर हो तो उस समय उज्जैन में कुम्भ-योग होता है। जो सब प्रकार के सुखों की वृद्धि करता है।’ कुम्भ का पर्व हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक-इन चार तीर्थ स्थानों में मनाया जाता है। ये चारों ही परम पवित्र तीर्थ हैं। बृहस्पति के सिंह राशि में होने पर क्षिप्रा स्नान का बहुत महत्त्व माना गया है। अक्षय तृतीया युक्त महाकुंभ के दिव्यतम दिवसों पर भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन में 7-8 मई को महाकाल अक्षय धन लक्ष्मी शक्ति प्राप्ति साधना महोत्सव सम्पन्न होगा। जहां भगवान शिव दक्षिण मुख किये विराजमान है। उत्तर वाहिनी क्षिप्रा नदी जो अमृत घट युक्त गंगा, यमुना, गौदावरी की भांति यह अमृतमयी है। ऐसी तेजमय शिवनगरी में सद्गुरुदेव कैलाश श्रीमाली जी अपने शिष्यों को महाकाल शिवगौरी युक्त जीवन को अमृतमय विशेष चेतना और साधनात्मक क्रियायें अक्षय तृतीया के दिव्यतम दिवस पर कुम्भ स्नान व दीक्षायें, अंकन से साधक सभी पाप, ताप, संताप, दुख, बाधा, धनहीनता से मुक्त होकर अक्षय धन लक्ष्मी, आरोग्यता, आयु वृद्धि और सुमंगलमय चेतना से आपूरित हो सकेगा। जिससे साधक का विक्रम सवंत् 2073 हर दृष्टि से अनुकूल होकर सफलता और श्रेष्ठता की प्राप्ति हो सकेगी।
पशुपति महादेव सबको ज्ञान देने वाले हैं और अज्ञान से बचाने वाले हैं, तथा पशुवत जीवन से मुक्ति दिलाने के कारण ही वे ‘पशुपति’ कहलाते हैं। जो भक्तों के समस्त पाप और त्रिताप को नाश करने में सदैव समर्थ है। इसी हेतु पूज्य सद्गुरुदेव के सानिध्य में ऐसे ही अलौकिक दिव्यतम ज्योतिर्लिंग में पाशुपति महादेवोहम् शिव लक्ष्मी साधना महोत्सव का आयोजन 28 मई को हंस मण्डप बनकाली, पाशुपति, काठमाण्डू नेपाल में सम्पन्न होगा। अपने जीवन को हर दृष्टि से श्रेष्ठतम बनाने हेतु पूज्य गुरुदेव महाकाल पाशुपतास्त्रेय शिवोहम् दीक्षा, महाकाल महामृत्युजंय शक्ति दीक्षा, शिवगौरी अखण्ड सौभाग्य वृद्धि दीक्षा प्रदान की जायेगी। जिससे साधक का जीवन हर दृष्टि से उन्नति और श्रेष्ठता की ओर अग्रसर हो सकेगा।
आपका अपना
विनीत श्रीमाली
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