नारी स्वभाव से एवं प्राकृतिक रूप से अत्यंत संवेदनशील होती हैं और अत्यधिक लज्जाशील होने के कारण अपने मन की बात खुल कर दूसरों से व्यक्त नहीं कर पातीं। यह उनके जीवन की सबसे गम्भीर स्थिति होती है, क्योंकि हमारे आर्य संस्कृति में नारी को पूजनीय व वन्दनीय माना गया है। उनके विचारों, इच्छाओं को सर्वोपरि समझा गया।
परन्तु आज स्थिति ऐसी नहीं है। कई कारणों से नारी को जीवन के अलग-अलग पडाव में अपमानित किया जाता है। उनकी इच्छाओं का दमन किया जाता है और ना ही वे अपने मन की इच्छा को खुल कर प्रकट ही कर पाती हैं जिससे मन ही मन उन्हें घुटन होती है। इन स्थितियों को भांप कर ही ऐसे पर्वों की संरचना हुई, जो स्त्रियों के जीवन में सम्बलता ला सकें।
कोई भी लड़की किसी इच्छित वर से विवाह करना चाहती है या किसी से उसका प्रेम है, तो वह जाहिर नहीं कर पाती और घर वाले उसकी सलाह लिये बिना उसका विवाह कहीं और तय कर देना चाहते हैं। विवाह के बाद पति किसी दूसरी स्त्री पर मोहित हो गया हो और उसके सास-ससुर बहू को ही दोषी ठहराते हों, इस प्रकार वह पूरे ससुराल के परिवार जनों की कटुता एवं तानों के बीच पिसती रहती है। और बहू का दर्जा तब तक प्राप्त नहीं होता जब तक वह पुत्र को जन्म न दे दे और एक वंश को बढ़ाने वाले को पैदा ना कर दे तब तक वह सब दुःख सहन करती है। साथ ही घर में कलह रहती हो, धन-धान्य, सम्पन्नता का अभाव हो, पति शराबी-जुआरी हो और पत्नी चाह कर भी कुछ नहीं बोल सकती हो, क्योंकि यदि वह साहस कर बोलती भी है, तो प्रताड़ना एवं अपमान या मार के सिवा उसे कुछ प्राप्त नहीं होता।
उक्त स्थितियों के समाधान के लिये हमारे ऋषियों ने करवा चतुर्थी पूजन का विधान बताया। जिसे करवा सुहाग चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिवस को अखण्ड सौभाग्य कल्प भी कहते हैं। हर साधिका, कन्या अपने जीवन में सभी स्वरूपों में अखण्ड सौभाग्य शक्ति चेतना से आपूरित होने की धारणा रखती है और यह दिवस ऐसे ही श्रेष्ठ चिंतनों को प्राप्त करने में बल देता है।
इस हेतु पूज्य सद्गुरूदेव करवा चतुर्थी सुहाग सौभाग्य दीक्षा प्रदान करेगें। विवाह के पूर्व भी यह दीक्षा प्राप्त कर गृहस्थ जीवन का मजबूत नींव का निर्माण होता है। साथ ही वैवाहिक जीवन में भी निश्चिन्त रूप से पति-पत्नी में सामंजस्य सहयोग सम्मोहन आकर्षण व सभी स्वरूपों में सौभाग्य की प्राप्ति होती ही है। और यह दीक्षा दुर्भाग्य, दीनता, न्यूनता और अनेक तरह के स्त्री-पुरूष के भेद-भाव को समाप्त करने में सहायक है।
इस दीक्षा को ग्रहण कर घर में सौभाग्य सुलक्ष्मी की स्थिति निर्मित हो सकेगी। तब ही आने वाला दीपावली महोत्सव जीवन के हर अंधकार को समाप्त करने में सहायक हो सकेगा। पति-पत्नी का फोटो प्राप्त होने पर करवा पूजन के समय शिव-गौरी अष्टक मंत्रों के साथ दीक्षा प्रदान करेंगे।
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