ब्राह्माण्ड का प्रतीक स्वरूप शिवलिंग है जिसका अभिषेक करने पर सम्पूर्ण ब्राह्मण्ड का अभिषेक सम्पन्न होता है। जिससे सभी प्रकार की बाधाओं का शमन होकर जीवन में सुफ़ल प्राप्त होता है।
शिव-शक्ति का प्रत्यक्ष स्वरूप शिवलिंग ही काम-कामेश्वरी विद्या है। जिसकी पूजन, आराधना, अभिषेक करने से मनोकामनाओं, इच्छाओं की पूर्ति होती है।
रूद्राभिषेक करने से पति-पत्नी के बीच में आत्मीय प्रेम की वृद्धि के साथ ही साथ गृहस्थ जीवन आनन्दमय, रसमय, उल्लासमय चेतना से युक्त होता है।
इसके द्वारा जीवन के समस्त दुर्गति-दुर्भाग्य का नाश होकर सौभाग्य का उदय होता है।
मांगलिक दोष, नवग्रह दोष, विवाह में आ रही बाधाओं का शमन होकर शीघ्र विवाह और मनोनुकूल पति-पत्नी की प्राप्ति होती है।
पति-पत्नी के संयुक्त अभिषेक करने से गुणवान, सुन्दर, सुसंस्कारी, आज्ञाकारी और कुल उद्धारक संतान की प्राप्ति होती है।
अलक्ष्मी का नाश होकर सौभाग्य लक्ष्मी के स्वरूप में आनन्द, हर्ष, उत्साह, पूर्णता के साथ धन वृद्धि, रोजगार, व्यापार वृद्धि, पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।
इसके माध्यम से पितृ दोष, पूर्व जन्मकृत पाप-दोष, भूमि दोष, भूत-प्रेत, पिशाच, इतरयोनियो और भीषण से भीषण तांत्रिक प्रयोगों का समूल रूप से नाश होता है।
शिवोऽहं, शंकरोऽह्म, सोऽह्म अहम् ब्रहास्मि आदि शिवत्व भाव की प्राप्ति केवल और केवल रूद्राभिषेक के माध्यम से शीघ्रता के साथ प्राप्त होती है।
जीवन में साधकीय भाव तथा साधना सफ़लता प्राप्ति के लिये बार-बार रूद्राभिषेक करना नितान्त आवश्यक है।
प्रत्येक साधक के अग्रणी आगमन पर प्रथम वरीयता मिलेगी।
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