जब जीवन में सद्गुरु का प्रवेश होता है तो बहुत उथल-पुथल होती ही है। एक सड़े हुए नाले पर अगर ऊपर-ऊपर गुलाब बिखेर दें तो ऊपर से भले ही वह सुन्दर दिखे मगर अन्दर की गंदगी तो समाप्त नहीं होती। मगर जब उस नाले को साफ़ किया जाए तो सड़ांधा तो उठेगी ही। उसी प्रकार जब सद्गुरु जीवन में परिवर्तन करता है तो सभी कुछ अस्त-व्यस्त होता दिखाई देता है। उससे घबराने की आवश्यकता नहीं। एक बार सद्गुरु जीवन में व्याप्त गंदगी को दूर कर देता है उसके पश्चात मधुरता ही रहती है।
जीवन कोई सांस लेने, खाने-पीने, सोने, जागने का नाम नहीं है। जीवन का अर्थ है निरन्तर नवीन होना, हर पल कुछ नयापन व्याप्त हो। ऐसा हो तभी जीवन है, तभी एक बहती निर्मल धारा है। अन्यथा तो केवल एक सड़े पानी से भरा ताल है।
सद्गुरु का अर्थ कोई आचार्य या पंडित नहीं। सद्गुरु का अर्थ है वह जो कि व्यक्ति के जीवन में जो भी रूढि़यां या पुरानापन है उसे समाप्त करके उसमें एक नवीनता का संचार कर दे।
सद्गुरु के अवतरित होने का उद्देश्य कोई स्वयं का प्रचार करना नहीं होता। उनकी अष्ट गंध से तो लोग स्वयं खींचे चले आते हैं। सद्गुरु के अवतरण का उद्देश्य तो होता है सैकड़ों सूर्यों को जन्म देना, जो कि संसार से अंधकार को मिटा सकें।
सद्गुरु से कुछ प्राप्त करने के लिए यह कोई आवश्यक नहीं कि उनकी पूजा की जाए, आवश्यक है कि उनके हृदय से अपने हृदय के तारों को जोड़ दिया जाए, यह आवश्यक है कि गुरु की आत्मा से एकाकार हो जाया जाए।
ऐसा होने पर व्यक्ति के जीवन में एक अद्भुत परिवर्तन होने लग जाता है। जीवन फि़र साधारण नहीं रहता। उसमें एक ऐसा तत्व समाहित हो जाता है जो निरन्तर व्यक्ति को पूर्णता की ओर अग्रसर करता रहता है।
जीवन में स्वयं के प्रयत्नों से साधना में सफ़लता प्राप्त नहीं हो सकती। उसके लिए तो एक सही मार्गदर्शक, एक सद्गुरु की आवश्यकता होती ही है।
आपके भाग्य में अनेकों कष्ट, दुःख, दारिद्रय लिखा हो सकता है और उन सबका कारण है आपके पूर्वजन्म कृत दोष। उस भाग्य लिपि को बदलने का एक मात्र साधन है मंत्र साधना।
साधना के माध्यम से गरीबी को अमीरी में परिवर्तित किया जा सकता है। साधना द्वारा बीमारी को दूर कर सकते हैं तथा साधना के माध्यम से जीवन के भोग, सुख, ऐश्वर्य, सम्पन्नता, वैभव, प्रभुदर्शन सभी कुछ प्राप्त किया जा सकता है।
अगर भाग्य में नहीं भी हो तो भी मंत्र साधना द्वारा लिखा जा सकता है कि आपके भाग्य में ऐसा हो। साधना द्वारा तो असंभव भी संभव किया जा सकता है।
सभी देवी देवता सद्गुरु के अधीन होते हैं तथा सद्गुरु की कृपा अगर प्राप्त हो तो किसी भी देवी देवता को पल भर में सिद्ध किया जा सकता है।
साधना में सफ़लता सुनिश्चित करने के लिए साधक या शिष्य को चाहिए कि वह साधना प्रारम्भ करने से पूर्व सद्गुरु का पूजन अवश्य करे तथा गुरु मंत्र का जप साधना से पूर्व एवं साधना के उपरांत अवश्य करे।
परन्तु पोथी पढ़कर आप साधना नहीं कर सकते। पुस्तक से प्राप्त किया गया मंत्र आपको सफ़लता प्रदान कर दे, कोई गारंटी नहीं है। परन्तु सद्गुरु द्वारा प्रदत मंत्र पूर्ण सफ़लतादायक होता ही है क्योंकि सद्गुरु पहले स्वयं उस मंत्र को, साधना को टेस्ट करता है और तभी शिष्यों को वह साधना प्रदान करता है।
मैं तुम्हें आध्यात्मिक धरातल पर उच्चता एवं श्रेष्ठता की स्थिति तक पहुंचाना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि फि़र तुम जैसा दूसरा कोई अन्य न हो, तुम हो तो केवल तुम हो।
परन्तु वह स्थिति तभी प्राप्त हो पाएगी जब तुम पूर्ण समर्पण कर दोगे, मुझमें पूर्ण रूप से एकाकार हो सकोगे, जब तुम्हारे कण-कण में गुरु का वास होगा।
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,