ऐसे गणपति प्रयोगों में सर्वश्रेष्ठ साधना ‘उच्छिष्ट गणपति साधना’ कहा जाता है क्योंकि यह तांत्रिक साधना है, तुरन्त प्रभाव युक्त है और अचूक सफ़लता देने में समर्थ है।
विश्वामित्र ने एक स्थान पर लिखा है कि जीवन का पूर्ण सौभाग्य फ़ल उच्छिष्ट गणपति साधना है। महर्जि वशिष्ठ ने उच्छिष्ट गणपति साधना को जीवन की पूर्ण साधना कहा है। भगवत्पाद शंकराचार्य ने कहा है कि बिना उच्छिष्ट गणपति साधना के जीवन में पूर्णता आ ही नहीं सकती।
गुरु गोरखनाथ ने इस साधना की प्रशंसा करते हुए कहा है कि मात्र इस साधना से जीवन में वह सब कुछ प्राप्त हो जाता है, जो कि हमारा अभीष्ट लक्ष्य हैं।
यह एक दिन की साधना है और यदि कोई साधक पूर्ण विधि विधान के साथ इस साधना को करता है, तो इससे उसे विश्वामित्र संहिता के अनुसार पांच लाभ हाथों हाथ प्राप्त हो जाते हैं। कई बार तो देखा गया है कि इधर साधना सम्पन्न होती है और उधर सफ़लता की प्राप्ति संभव होने लगती है।
वे पांच प्रकार के लाभ निम्न प्रकार से है-
1- जीवन के समस्त कर्जों की समाप्ति और दरिद्रता का निवारण।
2- निरंतर आर्थिक उन्नति
3- लक्ष्मी प्राप्ति और उसका पूर्ण उपयोग
4- भगवान गणपति के प्रत्यक्ष दर्शन
5- जो भी मन की प्रबल इच्छा हो उसकी तुरन्त पूर्णत होती है, जो हमारी इच्छाएं होती है, जो हमारी भावनाएं होती है और जो हमारे मनोरथ होते है।
वास्तव में यह जीवन की महत्वपूर्ण साधना है, क्योंकि इस प्रयोग की यह विशेषता है कि आपके मन में जो भी इच्छा हो, या जो इच्छा प्रयत्न करके भी पूरी नहीं हो पा रही हो, वह इच्छा संकल्प कर के इस साधना को सम्पन्न किया जाता है, तो वह निश्चय ही पूर्ण हो जाती है और जीवन के सारे मनोरथ पूर्णता प्राप्त कर लेते है।
यही नहीं अपितु दरिद्रता निवारण में यह आश्चर्यजनक प्रयोग है, कई बार हमारे पूर्ण प्रयत्न करने पर भी ऋण नहीं मिट पाता, दिनों दिन कर्जा बढ़ता ही जाता है, तो इस प्रकार की समस्या के निवारण के लिए उच्छिष्ट गणपति प्रयोग श्रेष्ठ और अद्वितीय है।
यहीं नहीं अपितु व्यापार वृद्धि के लिए जो अपने जीवन में व्यापार में उन्नति करना चाहते हैं जो अपने जीवन में आर्थिक दृष्टि से पूर्ण सफ़लता प्राप्त करना चाहते है, उसे किसी भी प्रकार से इस प्रयोग को सम्पन्न करना ही चाहिए।
उच्छिष्ट का तात्पर्य हमारे जीवन में जो भी न्यूनता जो भी कमिया है, या जो भी इच्छाएं है जो पूर्ण नही हो रही है उन इच्छाओं और कमियों की पूर्णता को उच्छिष्ट कहा जाता है।
साधक को चाहिए कि वे पहले से ही इससे संबंधित सामग्री प्राप्त कर लें और फि़र ठीक समय पर इस साधना को पूर्णता के साथ सम्पन्न कर हाथों हाथ इसका शुभ फ़ल प्राप्त करें।
शास्त्रों में कहा गया है कि यों तो यह साधना किसी भी बुधवार को सम्पन्न की जा सकती है। शास्त्रों के अनुसार यह साधना दिन या रात्रि को कभी भी सम्पन्न की जा सकती है।
इसके लिए साधक निम्न सामग्री को पहले से ही तैयार कर ले, जिसमें जल पात्र, केसर, कुमकुम, अक्षत, पुष्प, पुष्पमाला, नारियल, दूध का बना हुआ प्रसाद, फ़ल और घी का दीपक और अगरबत्ती आदि है।
इसके अलावा इस साधना में उच्छिष्ट गणपति सिद्धि यंत्र, तांत्रोक्त माला, गोमती चक्र व तांत्रोक्त नारियल तथा गणपति सिद्धि गुटिका की नितान्त आवश्यकता होती हैं।
सर्वप्रथम साधक स्नान कर पीली धोती पहन कर पूर्व की ओर मुंह करके बैठ जाये और उच्छिष्ट गणपति सिद्धि यंत्र को एक थाली में कुंकुंम से स्वास्तिक बना कर स्थापित कर दे और फि़र हाथ जोड़कर भगवान गणपति का ध्यान करें।
ध्यान
सिंदूर-वर्ण संकाशं योग-पट्ट समन्वितं
लम्बोदरं महा-कार्यं मुखं करि-करोपमं
अणिमादि-गुर्णर्युक्तं अष्ट बाहुं त्रिलोचनं
विजया-विद्युतं लिंगं मोक्ष कामाय पूजयते।
भगवान उच्छिष्ट गणपति आठ भुजाओं वाले है, ऐसा चिंतन मन में लाते हुए उनकी आठों भुजाओं को निम्न प्रकार से प्रणाम करें-
ऊँ अं अणिमायै नमः स्वाहा
ऊँ प्रं प्राप्त्यै नमः स्वाहा
ऊँ मं महिमायै नमः स्वाहा
ऊँ ई ईशितायै नमः स्वाहा
ऊँ वं वशितायै नमः स्वाहा
ऊँ कं कामावसायितायै नमः स्वाहा
ऊँ गं गरिमायै नमः स्वाहा
ऊँ सिं सिद्धियै नमः स्वाहा
इस प्रकार आठों भुजाओं का पूजन कर फि़र गणेश वाहन मूजक का निम्न मंत्र से पूजन करे।
इसके बाद भगवान गणपति पर केसर चढ़ावे, पुष्प समर्पित करें, अबीर, गुलाल आदि से पूजन करे और सामने लड्डू का प्रसाद चढ़ावे इसके बाद शुद्ध घी का दीपक और एक तेल को दीपक सामने रखें।
इसके बाद जो नारियल पूजा स्थान में रखा हुआ है, उसको तोड़ कर उसके अंदर की गिरी भगवान गणपति को समर्पित करे दे और फि़र मूल मंत्र की तांत्रोक्त माला से जप करे।
इस मंत्र की 21 माला मंत्र जप होनी चाहिए, जिससे की यह प्रयोग सिद्ध हो जाता है और इससे सम्बंधित जो लाभ पीछे बताए हुए है वे तुरंत फ़लप्रद हो कर लाभ देने लग जाते है।
इसके अलावा भी विश्वामित्र संहिता में इससे सम्बंधित कुछ विशेज प्रयोग दिये गए है जो कि पाठक या साधक चाहे तो साधना कर सकता है। ये साधना उच्छिष्ट गणपति यंत्र के सामने किसी भी बुधवार के दिन सम्पन्न कर सकते है।
1- स्वर्ण इच्छा – स्वर्ण की इच्छा रखने वाला साधक यह प्रयोग सिद्ध कर अगले किसी बुधवार को शहद से 108 आहूतियां उपरोक्त मंत्र से दे।
2- वशीकरण – वशीकरण की इच्छा रखने वाला साधक किसी भी बुधवार को खीर से 108 आहूतियां यज्ञ में दे और आहूतियां देने से पूर्व जिसको वश में करना है उसका नाम उच्चारण करें।
3- लक्ष्मी प्राप्ति – लक्ष्मी प्राप्ति के लिए उपरोक्त मंत्र से 108 आहूतियां मात्र शक्कर से दे।
4- दीर्घायु – दीर्घायु एवं स्वास्थ्य के लिए साधक दही से 108 आहूतियां दे।
5- ज़मीन में गढ़े हुए द्रव्य – इसके लिए चावल और घी मिला कर उसकी आहूतियां दे।
6- शत्रु मरण – शत्रुओं को समाप्त करने के लिए नींबू पर शत्रु का नाम लिख कर 108 नींबू उपरोक्त मंत्र से यज्ञ में समर्पित करे।
7- स्त्री वशीकरण – किसी भी स्त्री को वश में करने के लिए उसका नाम उच्चारण कर 108 शुद्ध घी की आहूतियां दे।
8- विवाह – विवाह के लिए पीले पुष्पों से 108 आहूतियां उपरोक्त मंत्र से दे।
साधक चाहे तो जिस दिन साधना को सम्पन्न करे, उसी दिन इन आहूतियों को भी दे सकता है, जिससे कि पूर्ण विधि सम्पन्न हो जाती है। अंत में शुद्ध घी से भगवान गणपति की आरती सम्पन्न करे और प्रसाद वितरित करे। इस प्रकार करने पर साधक की निश्चय ही मनोवांछित कामना पूर्ण होती है और कई बार तो यह प्रयोग सम्पन्न होते होते ही अनुकूल फ़ल प्राप्त हो जाता है। वस्तुतः यह साधना अपने आप में अत्यंत महत्वपूर्ण है और सौभाग्यशाली है, प्रत्येक साधक को यह प्रयोग सम्पन्न करना ही चाहिए।
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