भगवान राम ने समुद्र देवता की स्तुति तीन दिनों तक की परन्तु जब समुद्र देवता फिर भी प्रकट न हुए तो भगवान राम ने क्रोध में धनुष-बाण निकाला तब समुद्र देवता प्रकट हुए और उन्होंने भगवान राम से प्रार्थना की कि यदि वो समुद्र को सुखा देंगे तो उसमें रहने वाले सारे जीव जन्तु का जीवन समाप्त हो जाएगा तब श्रीराम ने भगवान महादेव की साधना हेतु मिट्टी का शिवलिंग बनाकर पूर्ण विधि-विधान से पूजन अर्चना कर महादेव से शक्ति मांगी कि वे समुंद्र को पार करने का सेतु रूपी मार्ग प्रदान करें। और भगवान राम की वानर सेना के नल और नील ने फिर सेतु कार्य पूर्ण किया जिसे आज हम राम सेतु के नाम से जानते हैं।
लंका विजय के बाद जब राम-सीता वापस आए तो ऋषियों ने कहा कि ब्राह्मण कुल रावण की हत्या करने पर राम को ब्रह्म हत्या का दोष लगा है, इसलिए इस दोष की मुक्ति के लिए श्रीराम को भगवान श्री महादेव से क्षमा प्रार्थना हेतु पूजन करना चाहिए। श्रीराम ने हनुमान को कैलाश पर्वत पर भेजा ताकि वो भगवान शिव से उनके ज्योतिर्लिंग स्वरूप का शिवलिंग यहां स्थापित कर सकें। हनुमान कैलाश पर्वत पहुंचे और तीन दिनों की स्तुति के उपरान्त भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने हनुमान को एक दिव्य ज्यार्तिलिंग स्वरूप शिवलिंग प्रदान किया। उसी शिवलिंग को रामेश्वरम् मंदिर में स्वयं श्रीराम ने स्थापित किया।
श्रीराम ने घोषणा की कि माता सीता के द्वारा स्थापित शिवलिंग के पूजन से प्रथम हनुमान द्वारा लाये गये शिवलिंग का पूजन करना अनिवार्य है। ऐसा करने पर ही वहां की गई पूजा-अर्चना फलीभूत होगी।
चार धामों में से सर्वश्रेष्ठ होने के कारण यह स्थान अपने आप में पूर्ण चैतन्य युक्त एवं सिद्धिप्रद है। रामेश्वरम् की रज को कोई मनुष्य अपने शरीर पर लगाता है तो जितने रेत के कण उसके शरीर को स्पर्श करते हैं, उसके फलस्वरूप कई-कई जन्मों के ब्रह्म हत्या के पापों का नाश होता है और भक्त शिव स्वरूप बनने की ओर अग्रसर होता है इसके प्रभाव से जीवन में सभी रूपों में धर्म, अर्थ, काम की पूर्णता के साथ साधनात्मक उच्चता भी आनी प्रारम्भ होती है। धनुष कोटि तक फैले हुये रामेश्वरम् का मुख्य मंदिर पूर्व में दस मंजिला है और पश्चिम में सात मंजिला है साथ ही विशाल स्फटिक लिंग युक्त श्रेष्ठ मंदिर भी है। मुख्य मंदिर प्रागण में सूर्य-चन्द्र, गंगा-यमुना, गया रूपी आदि 21 पवित्र नदियों के कुण्ड है जिनमें अविरल रूप से जल आता है इन सभी कुण्डों में स्नान करने की व्यवस्था है तथा 22वें कुण्ड में सभी इक्कीस सरोवरों का एक साथ जल से स्नान कराया जाता है।
सद्गुरुदेव स्वामी सच्चिदानन्द जी महाराज की आज्ञा से दिव्यतम ज्योतिर्लिंग के पवित्र स्थान पर चैत्रीय दशमी 14, 15 मार्च सत्संग भवन, गोस्वामी मठ-2, सीता तीर्थ के पास, रामेश्वरम्। में शिविर सम्पन्न होगा। आप सभी यहां के पावनतम भूमि पर सद्गुरुदेव का सानिध्य प्राप्त कर अपने जीवन को सत् प्रकाश और ज्योतिर्मय युक्त बना सकेंगे।
इस पंजीकृत साधना शिविर में साक्षी विनायक गणपति दीक्षा और कालभैरव शक्तिपात दीक्षा साथ ही जीवन में सद् स्थितियों के निर्मित हेतु रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग पूजन, अभिषेक, हवन और 22 कुण्डों के साथ समुद्र स्नान की व्यवस्था की गई है।
विस्तृत जानकारी हेतु देखे पृष्ठ संख्या 74 RAMESHWARAM Dhanpradata Shiv-Gouri
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,