सनातन धर्म में कहा गया है कि सत्य से ही दया, दान, त्याग, तपस्या जैसे अनेक गुण स्वतः ही व्यक्ति में उदत्त हो जाते हैं। भगवान श्रीराम सत्यवादी थे इसी कारण इन सभी गुणों का उनमें समावेश है। वे सत्य के प्रतीक हैं।
श्रीराम सुख हो या दुःख दोनों भावों को समरस भाव से ग्रहण करते थे। राज्य पद प्राप्ति के सुखद समाचार से ना उनको कोई प्रसन्नता हुई ना वनवास की दुःखद बात से कोई मलिनता। राम चरित मानस में श्रीराम को आदर्श पुत्र, भ्राता, पति, मित्र एवं राजा के रूप में उन्होंने अपने सभी दायित्व का पूर्णता के साथ पालन किया।
श्रीराम के चरित्र को किसी भी दृष्टि से परखें, वह सर्वथा आदर्श, अनुकरणीय है। उनका सारा जीवन श्रेष्ठ मानव मूल्यों के लिये समर्पित रहा है। वे सदाचार पर ही आधारित रहें। जिस राम का जीवन हमारे जनतन्त्र के लिये आदर्श है, उसके लिये हमें उनकी पुरूषोत्तमय चेतना को अपने देह में स्थापित करना होगा।
श्रीराम हमारे सनातन धर्म में श्रद्धा रखने वाले लोगों के जीवन की धड़कन हैं। वे जन-जन में विद्यमान हैं। सामाजिक दृष्टि से देखें तो श्रीराम के जीवन में असत्य एवं सत्य, अन्धकार एवं प्रकाश का युद्ध चलता ही रहा। उनके समस्त जीवन में अनैतिकता एवं अधर्म के विरूद्ध प्रबल संघर्ष हुआ। अन्त में विजय सत्य एवं प्रकाश की ही होती है, यह भी सत्य है। श्रीराम ने रावण रूपी आसुरी प्रवृत्तियों का नाश किया।
असत्य, अधर्म, शत्रु, रोग, छल, विश्वासघात, आसुरी प्रवृत्ति, राजनीति, कूटनीति, धनहीनता, गरीबी का यह युद्ध हमारे वर्तमान जीवन में भी चल रहा है। आसुरी प्रवृत्तियां प्रबल हो रही हैं। अभाव से जीवन अस्त-व्यस्त हो रहा है। मर्यादा पुरूषोत्तम की भांति अपने जीवन में विजयश्री प्राप्त कर पुरूषोत्तमय होने की क्रिया सद्गुरूदेव के दिव्य सानिध्य में राम जानकी पुरूषोत्तम शक्ति प्राप्ति साधना महोत्सव 05-06 दिसम्बर को ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय राज मैदान, दरभंगा (बिहार) में सम्पन्न होगा। साथ ही गृहस्थ जीवन के सभी दायित्व को पूर्ण करने की ऊर्जा शक्ति से युक्त होने हेतु पुरूषोत्तम जानकी गौरी लक्ष्मी दीक्षा और सभी बाधाओं, शत्रु, झूठ, छल, विश्वासघात, षड़यंत्र से बचाव हेतु सद्गुरूदेव सभी साधकों को संकट मोचन महावीर क्रिया शक्ति लॅाकेट गुजांयमान बजंरग बाण, श्रीराम चौपाई के तेजमय ध्वनि में धारण करेंगे। जिससे गृहस्थ में, शिक्षा में, आर्थिक उन्नति में आ रही बाधाओं से जूझते हुये प्रगति को प्राप्त करने की समर्थता आप में आ सके। आपका गृहस्थ जीवन सभी श्रेष्ठता से युक्त हो सकेगा।
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