संगठन एक शक्ति है, समाज को असंभव और दुरुह लगने वाले कार्य को भी सरलता से संभव करने की शक्ति संगठन में होती है। एक छोटी सी चींटी जब संगठित होकर झुंड का रूप लेती है तो एक विशाल सांप का स्थान परिवर्तित कर देती है। जिस प्रकार से किसी वस्तु को उठाने के लिये पांचो उगंलिया इकठ्ठी हो जाती हैं, उसी तरह समाज में परिवर्तन लाने के लिये सभी वर्ग के लोगो को एकत्रित होना पड़ता है। किसी भी संगठन की शक्ति उसके सिद्धांतो का मौलिक रूप से कार्यकर्ताओं द्वारा समाज को अवगत कराना है। विचारो में मतभेद होना स्वाभाविक है, पंरतु यह हमें सदैव धयान रखना चाहिये कि हमारे विचारों के कारण कहीं हम निखिल ज्ञान का विस्तार करने में बाधाक ना बन जाये। क्योंकि ज्ञान तो एक ही है, सभी को चेतना उसी महाशक्ति से ही प्राप्त होती है। फि़र वह किसी भी मत अथवा किसी को भी मानने वाला ही क्यों ना हो।
अनेक प्रांत के विभिन्न मतों को मानने वाले, अलग-अलग जाति, धार्म के लोग एक समान जब संगठित होकर निर्धारित लक्ष्य पर कार्य करें, तो उसे ही मूल रूप से संगठन कहा जाता है। परमात्मा ने सभी को अलग-अलग विचार शक्ति प्रदान की है। सबकी अपनी-अपनी योग्यता है, उसी के अनुरुप उनके कार्य का विभाजन होता है। किसी भी लक्ष्य का संतोषप्रद परिणाम तब तक मिलना मुश्किल होता है, जब तक संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं के आपसी मतभेद दूर ना हो जाये। बड़े-छोटे, स्त्री-पुरुष, नये-पुराने साधक का भेद-भाव भूलकर गुरुदेव के शिष्य के रूप में कार्य करना ही शिष्य का सर्वोत्तम गुण होना चाहिये।
सद्गुरुदेव ने जो ज्ञान, चिंतन, विचार-भाव मुझे दिया है, उसके आधार पर मैं निरंतर यही चिंतन कर रहा हूं कि किस प्रकार उनके विचारों को क्रियान्वित कर संकू, इसीलिये आज आपसे कहना आवश्यक समझता हूं, कि आज जब सामाजिक और भौगोलिक परिवर्तन अपने प्रचण्डता पर है। ऐसे समय में कैलाश सिद्धाश्रम साधक परिवार सनातन धर्म की रक्षा के लिये स्तम्भ स्वरूप है। जिसकी छांव में हम समाज को एक नयी दिशा दे सकते हैं, इससे भी अधिक महत्वपूर्ण सद्गुरुदेव निखिल के विचारों को क्रियान्वित कर सकते हैं। लेकिन उनके ज्ञान को क्रियान्वित करने की क्षमता संगठित होकर ही की जा सकती है।
हमारी पहचान एक संगठन से अधिक परिवार के रूप में है। हम सबने एक परिवार के रूप में अपनी-अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह किया है। लेकिन आज हमें और अधिक जोश, उत्साह से अत्यधिक परिश्रम करने की आवश्यकता है। समाज को ऊर्जावान और चेतनावान बनाने की जिम्मेदारी सद्गुरुदेव निखिल ने हम सभी के कंधो पर समान रूप से दिया है, किसी पर अधिक अथवा कम जिम्मेदारी नहीं है। संगठन का एक छोटा सा कार्य करने वाला व्यक्ति भी महत्वपूर्ण कार्यो को करने वाले व्यक्ति के समान ही संगठन के लिये महत्वपूर्ण है। बल्कि मैं तो यह कहूंगा कि वह उनसे भी अधिक महत्वपूर्ण, संघर्षशील, परिश्रमी और प्रगाढ़ श्रद्धा का धनी होता है। क्योंकि वह जमीन से जुड़ा और प्रत्येक अवस्था में कार्य करने के लिये प्रयत्नशील रहता है।
सद्गुरुदेव निखिल ने अपने एक प्रवचन में कहा था कि मेरी दृष्टि शिविरो में उस शिष्य को ढूढ़ती है जो बिना लाग-लपेट के क्रियारत रहता है, जिसका स्वाभिमान अड़चन नही बनता, मुझे ऐसे शिष्यों से विशेष स्नेह रहता है। जिस तरह से ये शिष्य चुप-चाप गुरु कार्य करते हैं, उसी तरह मैं भी शांत भाव से अपनी दृष्टि उन पर बनाये रखता हूं।
आप सभी कैलाश सिद्धाश्रम साधक परिवार के जिम्मेदार सदस्य हैं, आपको अपने संगठन के सभी सदस्यों को एकत्रित कर समान भाव से संगठन के कार्य की रूप रेखा सुनियोजित करनी चाहिये। आपके इस कार्य में सदैव मैं एक सहयोगी के रूप में आपके साथ खड़ा हूं, जब भी आपको आवश्यकता हो, मुझसे व्यक्तिगत, दूरसंचार अथवा पत्र के माध्यम से सम्पर्क स्थापित करें, यथा संभव आपका सहयोग किया जायेगा।
आपका अपना
विनीत श्रीमाली
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,