16 जनवरी 2015 के दिन सुबह गुरु पूजन करने के पश्चात् मैंने गुरु चरणों में अपने सभी कष्टों से मुक्ति के लिये प्रार्थना की और शिविर के लिये प्रस्थान किया। जन्मोत्सव शिविर प्रथम दिवस पर पूजन तथा प्रवचन समाप्ति के पश्चात् पता चला कि जो शक्तिपात दीक्षा ग्रहण करेंगे गुरुदेव से सिर्फ वही लोग मिलेंगे, क्योंकि मैं तंत्र बाधा से ग्रस्त था और अति तीव्र मानसिक कष्ट से पीडित था। अतः निश्चय किया चाहे कुछ भी हो मैं गुरुदेव से जरूर मिलूंगा। गुरु भाई से विनम्र निवेदन किया, याचना करने पर मुझे गुरुदेव से मिलवा दिया गया। जैसे ही मैं गुरु चरणों में झुका और गुरुदेव के अंगुष्ठ का स्पर्श प्राप्त किया मुझे विद्युत का तीव्र झटका लगा और मैं गुरुदेव के तीव्र पाद प्रहार से करीब दस फीट दूर जा गिरा, गिरते ही मेरी चेतना लुप्त हो गई और मैं अपने पंचभौतिक काया से निकल कर आकाश में विचरण करने लगा मैंने सुना गुरुदेव जोर से कह रहे थे इसे उठाकर बाहर फेंक दों यह सुन कर मैं पुनः अपनी पंचभौतिक काया में वापस प्रवेश किया और लोगों को जो मुझे पकडने के लिये आ रहे थे झटक कर खड़ा हो गया। घटना के पश्चात् मैं व्यथित हो कर इधर-उधर खिन्न अवस्था में भटकने लगा।
रात्रि में प्रसाद वितरण के पश्चात् गुरु मंत्र जप के बाद सो गया। रात्रि के अंतिम पहर में सद्गुरुदेव निखिल स्वप्न में आये और बोले बेटा मैंने तुझे नहीं मारा है तू चिंता क्यों कर रहा है? तेरे साथ जो निकृष्ट तंत्र शक्ति थी उस पर प्रहार करना अत्यंत आवश्यक था। आज मैंने तेरी समस्त तंत्र बाधा का अंत कर दिया है, बहुत जल्द ही तेरी शादी हो जायेगी और मैं शादी में अवश्य आऊंगा। शिविर से लौटने के कुछ दिन पश्चात् मेरा विवाह एक अत्यंत ही सुशील युवती के साथ हुआ जो वर्तमान समय में सरकारी अध्यापिका है। सच ही है गुरु की प्रत्येक क्रिया के द्वारा शिष्य का कल्याण होता ही है।
आपके चरणों में बारम्बारप्रणाम्।
मेरे आग्रह करने पर गुरुदेव द्वारा माँ स्वप्नेश्वरी की साधना दी गई व फोटो के माध्यम से शक्तिपात भी किया गया, जिस दिन गुरुदेव ने शक्तिपात किया उस दिन मुझे शारीरिक रूप से उस शक्तिपात का अनुभव भी हुआ जब गुरुदेव के आश्रम द्वारा भेजी गई साधना सामग्री मुझे प्राप्त हुई लगभग 15 दिन बाद मेरे द्वारा साधना की गई साधना काल के दौरान मैने यथा शक्ति सभी नियमों का पालन किया। साधना काल के दौरान शरीर में कुछ कंपन हुआ उसके पश्चात् साधना पूर्ण होने पर आश्रम के गुरुभाई द्वारा बताये जाने पर साधना का प्रयोग अपनी समस्या के समाधान के लिये किया लेकिन मुझे कोई उत्तर प्राप्त नहीं हुआ। इसी प्रकार दूसरी और तीसरी बार भी उत्तर प्राप्त नहीं हुआ लेकिन मेरी धर्मपत्नी जो कि इस साधना से अंजान थी, उन्होने मुझे बताया कि उसे कुछ दिनों से एक जैसे स्वप्न आ रहे हैं। तब मुझे महसूस हुआ कि मेरा साधना का प्रसाद मुझे नहीं मेरी पत्नी को मिल रहा है। मैंने फिर आश्रम सम्पर्क किया। गुरुभाई द्वारा मुझे गुरुजी का प्रसंग स्मरण कराया गया कि शक्ति किसी भी रूप में आपके साथ हो सकती है। गुरुदेव के आशीर्वाद से मुझ पर कृपा बढ़ गई कभी मेरी धर्मपत्नी को और कभी मुझे स्वप्न के माध्यम से उत्तर मिल रहे है। गुरुदेव आपसे मेरी प्रार्थना है कि मझे उत्तर सटीक और स्पष्ट प्राप्त हों। गुरुदेव मेरे अज्ञानता से भरे हुये नेत्रें को खोलें, यही विनय है।
आपका शिष्य
पंकज गौड़ (इन्दौर)
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