हिमालय से निरन्तर बर्फ पिघलती रहती है और सहस्त्र नदियां बनती हैं, लेकिन उसके उपरान्त भी हिमालय उतना ही विशाल, उत्तंग और सिर उठाये खड़ा है, उसमें कोई कमी नहीं आती है क्यांकि प्रकृति पूरी प्रक्रिया के साथ नये हिम बिन्दुओं का निर्माण करती रहती है।
जीवन में क्षय हो सकता है अर्थात् जो भी हमारे पास है वह समाप्त हो सकता है, उसका व्यय हो सकता है, लेकिन क्या ऐसी स्थिति आ सकती है? कि जितना क्षय हो, व्यय हो, उससे अधिक निर्माण हो जाये, संग्रहित हो जाये और जीवन निरन्तर उच्चता की ओर गतिशील रहे, जब ऐसा घटित हो तो ही अक्षय स्थिति है।
अक्षय तृतीया ऐसा ही महान दिवस है, जिसे सिद्ध मुहूर्त कहा गया है और सबसे बड़ी बात यह है कि पूरे भारतवर्ष में अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है, इस दिन पूरे भारतवर्ष में सबसे अधिक भूमि-पूजन, गृह प्रवेश, विवाह, क्रय, मंगलमय कार्य लोग सम्पन्न करते हैं, क्योंकि इस दिवस में किया गया प्रत्येक कार्य शुभ माना गया है, अक्षय माना गया, सफल माना गया और सर्व सिद्धि प्रदायक भी माना गया है।
इस दिवस पर किसी विशेष योग-ज्योतिष आदि के संयोग को देखने की आवश्यकता नहीं होती है। चाहे कोई भी ग्रह किसी भी राशि में स्थित हो, अक्षय तृतीया का मुहूर्त उच्च मुहूर्त है।
इस दिवस को लक्ष्मी सिद्धि दिवस भी कहा जाता है, जिस दिन अधिकांश लक्ष्मी साधनायें सम्पन्न की जाती हैं। 18 अप्रैल अक्षय शक्ति दिवस पर अक्षय तारा धन लक्ष्मी शक्तिपात दीक्षा को आत्मसात कर आप सहस्त्र अक्षय शक्तियों से आप्लावित हो सकेंगे, भगवती तारा को सांसारिक जीवन की अधिष्ठात्री कहा जाता है, जो साधक के जीवन को सभी स्वरूपों में समृद्ध व सुख प्रदायक बनाती है। इस दीक्षा को प्राप्त करने हेतु आप अपना फोटो कैलाश सिद्धाश्रम जोधपुर भेंजे।
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