महिषमर्दिनी दुर्गा- श्रेष्ठ जीवन मूल्यों के लिए बाह्य और अन्तः सभी बाधाओं, अवरोधों व विकृतियों का नष्ट होना आवश्यक है। आद्या शक्ति दुर्गा का विराट स्वरूप महिषमर्दिनी जो महिषासुर के संहार का द्योतक है, यह महिष बाह्य और अन्तः दोनों स्वरूपों में विद्यमान होता है। जो भीतर आलस्य, अज्ञान, जड़ता, अविवेक और बाहर शत्रु बाधा, कलह-क्लेश, रोग, असफलता आदि रूप में होता है।
जिसका संहार होने पर जीवन में सुस्थितियों का निर्माण होता है, इसीलिए उन्हें दुर्गतिनाशिनी भी कहा जाता है अर्थात जो सभी दुर्गतियों व दुर्गणों का शमन करने वाली हैं। महालक्ष्मी- दुर्गतियों व दुर्गणों के शमन के पश्चात् जीवन में सुस्थितियों का निर्माण निरन्तर होता रहे, साधक विवेकशील, प्रज्ञावान, समृद्ध बनकर अपने लक्ष्यों की प्राप्ति कर सके इसके लिए नवरात्रि के तीन दिवस पर महालक्ष्मी की साधना की जाती है। लक्ष्मी का तात्पर्य केवल सुख-समृद्धि, वैभव, सोना, चांदी आदि से करना लक्ष्मी की अपूर्ण धारणा है।
लक्ष्मी केवल भौतिक समृद्धि की ही देवी नहीं है, लक्ष्मी का तात्पर्य जीवन के लक्ष्यों की प्राप्ति से है, जो भौतिक अथवा आध्यात्मिक किसी भी रूप में हो सकता है और लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आत्म अनुशासन, संयम और चित्त शुद्धि होना अनिवार्य है तभी सु-लक्ष्यों की कामना जाग्रत होती है और ये कामनायें जीवन में कर्मशक्ति के उद्भव की क्रिया हैं, जिससे जीवन में निरन्तर कर्मशील चेतना की प्राप्ति होती हैं।
महासरस्वती- दुर्गा के द्वारा दुर्गतियों का नाश और लक्ष्मी द्वारा कर्मशक्ति के बाद सरस्वती की साधना की जाती है, जो ज्ञान की देवी हैं, पूर्णत्व की भावना से युक्त हैं। सरस्वती आत्मज्ञान के सर्वोत्तम रूप का प्रतिनिधत्व करती हैं, अर्थात् जब दुर्गति समाप्त हो जाए और कर्मशील चेतना भी जाग्रत हो लेकिन अज्ञानता का भाव बना रहे, तो कभी भी अनिष्ट घटित हो सकता है, इसलिए आत्मज्ञान का होना अति आवश्यक है। श्रीमद्भगवद् गीता में भगवान कृष्ण ने कहा- अपनी आत्मा का ज्ञान ही वास्तविक ज्ञान है। सरस्वती की शक्ति बुद्धि, ज्ञान रूप में हमारी मार्गदर्शिका होती है, जो हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करती है।
इस प्रकार ये नौ रात्रियां जीवन को सशक्त, सुदृढ़, धन-धान्य, सुख-समृद्धि, विवेक, ज्ञान, कर्मशक्ति से पूर्ण बनाने की क्रिया है, कैलाश सिद्धाश्रम-जोधपुर में प्राण- प्रतिष्ठित चैतन्य महिषमर्दिनी धनदा लक्ष्मी साधना पैकेट का आर्डर प्रारम्भ हो चुका है, यह साधना अक्टूबर माह में सम्पूर्ण विधान के साथ प्रकाशित होगी, असुविधा से बचने के लिए साधक पूर्व में ही साधना पैकेट बुक करवा लें।
सामग्री- त्रिशक्ति यंत्र, त्रिशक्ति सिद्धि माला, सिद्ध चक्र, महिषी।
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