अर्थात् उत्साह हीन, दीन मनुष्य जो हमेशा स्वयं को निर्बल भाव से देखता है, हर समय शोकाकुल रहता है, ऐसा मनुष्य सफल होने की क्षमता से युक्त होने के बाद भी असफल हो जाता है और उसके सभी कार्य बाधित होते रहते हैं। जीवन में उत्साह की कमी के कारण व्यक्ति निराशावादी हो जाता है, कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व ही उसमें असफलता का भय बना रहता है और वह स्वयं को निर्बल, अयोग्य, असहाय समझता है, उसकी मानसिक-शारीरिक क्षमता व ऊर्जा कार्य प्रारम्भ से पूर्व ही शक्तिहीन हो जाती है और कई बार उसके आस-पास का वातावरण, कुटुम्ब सम्बन्धी व ईष्ट मित्रगण भी हतोत्साहित कर देते हैं। यदि आपको अपने जीवन में उत्तम सफलतायें प्राप्त करनी हैं, तो श्रेष्ठ बनना होगा और यदि जीवन को श्रेष्ठमय बनाना है, तो उत्कृष्ट (Excellent) कार्य सम्पन्न करने होगें। अपनी योग्यता, क्षमता परखनी होगी और सत्य को स्वीकार करना होगा। भगवान श्रीराम जो स्वयं सर्व ज्ञानी, सम्पन्न, राज्य कुल क्षत्रिय थे, उन्होंने भी सत्य को स्वीकारा और तप, पूजन, अनुष्ठान आदि क्रियाओं के साथ-साथ श्रम, संघर्ष में पूर्ण भागीदार बनें। इसीलिए उनका स्मरण मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में किया जाता है, उनकी पूजा-अर्चना की जाती है एवं उनके प्रजा पालन की गुणवत्ता राम-राज्य के सम्बोधन से विभूषित है और आज का समाज उसी राम-राज्य के स्थापना की कल्पना करता है।
व्यक्ति कितना भी सक्षम क्यों न हो? सफल होने के लिए परिश्रम करना ही पड़ेगा अन्यथा वह कभी भी सफल नहीं हो सकेगा। ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो अपनी असफलता का दोष अपने कर्म, भाग्य, समाज, अपनी शिक्षा को देते हैं, लेकिन यह स्मरण रखें सफलता प्राप्त करने के लिए केवल सकारात्मक ऊर्जा, उचित दिशा और श्रेष्ठ मार्गदर्शक की आवश्यकता होती है। सफलता के लिए एक दिन ही नहीं निरन्तर प्रयत्नशील रहना पड़ता है। कोई भी मेडल धारक व्यक्ति एक दिन में ही मेडल योग्य नहीं बन जाता, इसके योग्य बनने में वह अपने जीवन का अधिकांश समय लगाता है, निरन्तर अभ्यास द्वारा अपने मानसिक-शारीरिक ऊर्जा को एकजुट कर वह जीवन में अद्वितीय सफलता प्राप्त कर पाता है और तब उसे मेडल जैसी स्थिति प्राप्त होती है।
सफलता प्राप्ति के लिए क्रियाशील होने से पूर्व यह समझें कि आप संघर्ष के लिए किस सीमा तक तैयार हैं? आप अपने लक्ष्य के प्रति कितने प्रतिबद्ध हैं? आपमें अपने लक्ष्य के प्रति कितना समर्पण है और इन सभी क्रियाओं में उत्साह का स्तर क्या है? इन तथ्यों पर विचार-विमर्श व मंथन कर अपना कार्य प्रारम्भ करें, पूरे जोश और उत्साह के साथ करें, सद्गुरुदेव की शक्ति, उनका आशीर्वाद् आपको अवश्य ही सफलता के पथ पर श्रेष्ठ पथिक बनाने में सहयोगी होंगे। कुबेर धन लक्ष्मी साधना पैकेट जो दीपावली की चैतन्य महारात्रि में कुबेरमय सुस्थितियों की प्राप्ति हेतु आप सभी सम्पन्न कर सकेंगे, इस साधना पैकेट की प्राण-प्रतिष्ठा का क्रम प्रारम्भ हो चुका है, इस साधना को विस्तार से समझने के लिए पृष्ठ संख्या 24 पढ़ें।
आपका अपना
विनीत श्रीमाली
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