सुन्दर, स्वच्छ, घने बाल सौन्दर्य के साथ-साथ व्यक्तित्व के भी परिचायक है। हर स्त्री-पुरुष की इच्छा होती है, उसके बाल घने व सुनहरे चमकीले हों, लेकिन आज के वातावरण में बालों को सुरक्षित रखना सभी के लिये चुनौतीपूर्ण है। इसी विषय को धयान में रखकर प्रस्तुत है यह लेख।
बालों के प्रकार और उनकी देखभाल
सौंदर्य से अटूट रिश्ता रखने वाले बालों का स्वस्थ बने रहना बेहद जरूरी है। उन सभी कारणों को दूर रखना परम आवश्यक है। जो बालों की स्वस्थता को प्रभावित करते हैं, यहां एक बात समझना लाजमी है, कि सभी के बाल को तीन प्रकार में बांटा जा सकता है। सामान्य, खुश्क और तैलीय। इस प्रकार हम समझ सकते हैं कि जिस तरह त्वचा सामान्य, खुश्क और तैलीय प्रकार की होती है, वैसे ही बाल की भी। त्वचा और बालों का आपसी सम्बन्ध भी कुछ इस प्रकार का देखने में आता है, कि जिसकी त्वचा तैलीय होगी, उसके बाल भी तैलीय होते हैं। प्रकृति के अनुसार बाल चार प्रकार के होते हैं-
1- रूखें बाल 2- तैलीय बाल
3- सामान्य बाल 4- मिश्रित बाल
रूखे बाल- तैलीय ग्रंथियों से बालों को आवश्यक चिकनाई प्राप्त होती है, ये ग्रंथियां बालों की जड़ों में स्थित होती हैं। जिन स्त्री-पुरुषों में ये ग्रंथियां ज्यादा सक्रिय होती हैं। रूखे बालों की ऊपरी सतह जिसे क्युटिकल्स कहते हैं, चिकनाई की कमी से क्षति ग्रस्त होने लगती है। सामान्यतः बालों में 97 प्रतिशत प्रोटीन और 3 प्रतिशत नमी होती है। यदि इस नमी में किन्हीं कारणों से कमी हो जाती है, तब बालों में भूरापन पैदा हो जाता है, वे सूखकर चटखने और फटने लगते हैं, जिसे दो मुंह बालों की समस्या के रूप में जाना जाता है। रूखे बालों को डापर से सुखाने, हेयर डाई व बैक कोंबिंग आदि के करने से यह समस्या जल्दी उभरने लगती है। ऐसे बालों का लचीलापन कम होने लगता है लिहाजा कंघी करते समय वे बीच से टूटने लगते हैं।
उपचार
जैतून या तिल के तेल में थोडा़ सा बादाम का तेल मिलाकर गर्म कर लें, इस गुनगुने तेल से अंगुलियों के पोरों से बालों की जडों में मालिश करें। रात में सोने से पूर्व सप्ताह में एक या दो बार तेल को बालों के सिरों तक अवश्य लगायें।
तेल की मालिश से पहले बालों को थोड़ा सा पानी लगाकर नम अवश्य करें। तेल लगाने के लिए गीली रूई का फाहा भी काम में ले सकते हैं।
सिर धोने से पहले या तेल मालिश से पहले बालों पर 5- 10 मिनट तक कंघी या ब्रश अवश्य करें। इससे रक्त संचार तेज होगा और ग्रंथियां भी सक्रिय होगी।
हर दूसरे-तीसरे दिन बालों में शैम्पू अवश्य करें। दरअसल सिर की त्वचा का साफ-सुथरा होना बहुत जरूरी है। अन्यथा गंदगी पनपने से बालों की जडें रोग ग्रस्त होकर कमजोर होने लगती हैं।
यदि बालों में रूखापन काफी अधिक है, तब शैम्पू करने के बाद एक जग पानी में एक या दो चम्मच ग्लिसरीन मिलाकर, बालों को इस पानी से धोकर सुखा लेना चाहिए।
बालों को सुखाने के लिए ड्रायर का प्रयोग कम से कम करें, जरूरी होने पर कम तापमान पर इसका प्रयोग करें।
ध्यान रखें
रूखे बालों को पोषण की ज्यादा जरूरत होती है, उनकी जड़ों को खुराक देने की जरूरत होती है। रूखे बालों में ऐसे शैम्पू का चयन करना चाहिए, जो बालों को ताकत देने के साथ-साथ उनको पोषण भी करें। ऐसे शैम्पू लैनोलिन या वैसलीन मिलाकर बनायें जाने चाहिए। गरम तेल की मालिश शामिल है, सूखे बालों के लिए बेहद मुफीद रहती हैं। क्याेंकि इससे जहां बालों को ताकत मिलती है, वही इनकी टुटन रूक जाती है। गरम तेल की जब भी मालिश करें उससे पहले तौलिये को गरम पानी में भिगोकर सिर पर लपेटने से खोपड़ी को भाप लगती है।
तैलीय बाल
जब तैलीय ग्रंथियां सामान्य से ज्यादा सक्रिय रहती हैं, तब बालों में चिकनाहट आवश्यकता से अधिक हो जाती है, ऐसे बाल तैलीय बाल कहलाते हैं। तेल की अधिकता बालों में चिपचिपाहट उत्पन्न कर देती है, यह चिकनाहट गंदगी को जल्दी पकड़ती हैं लिहाजा जिन लोगों के बाल तैलीय होते हैं, उनके बालों तथा खोपड़ी पर धूल-मिट्टी जमने लगती है। गंदगी की वजह से जीवाणुओं का संक्रमण भी जड़ों में शीघ्रता से फैलता हैं, जिससे बालों की जडें रोगग्रस्त हो जाती हैं और रूसी तथा बालों के झड़ने की समस्या उत्पन्न हो जाती है। जब बालों की जड़ों में संक्रमण पनपने लगता है तब इसके चेहरे की त्वचा पर भी फैलने की संभावना बन जाती है, ऐसे में कील, मुहांसे की समस्या बढ़ जाती हैं।
सप्ताह में 2 या 3 बार शैम्पू करना चाहिए ।
हर 15 दिन के अंतराल पर 3-4 चम्मच सरसों के तेल में एक या दो नींबू का रस मिलाकर लगायें, एक घंटा बाद सिर धो लें।
एक कप खट्टा दही, एक प्याला मेंहदी, दो नीबू का रस मिलाकर जड़ों व बालों में लगायें, घंटा भर बाद धोकर शैम्पू कर लें।
एक चम्मच सिरका या एक नींबू का रस शैम्पू के साथ मिलाकर बालों को धोयें।
शैम्पू करने के बाद एक जग पानी में दो नींबू का रस या सिरका मिलाकर बालों को इस पानी से धोकर सुखा लें ।
आधा कप आंवले का पाउडर, आधा कप मुल्तानी मिट्टी दोनों को एक कप दही में मिलाकर अच्छी तरह फेंट लें। इसको बालों की जड़ों में लगायें, 1 घंटे भर बाद धो दें।
मुल्तानी मिट्टी को गुनगुने पानी में भिगोकर पेस्ट बना लें और इसमें नींबू का रस मिला लें। बालों में इसे लगाकर आधा घंटे बाद धो दें, इस उपाय से तेल स्राव कम होता है।
एक मग पानी में एक चम्मच नींबू का रस मिला लें। बाल धोने के बाद इसे सिर पर डालकर हल्के हाथ से मालिश करें। दरअसल नींबू का रस तेल के ड्डाव को कम करता हैं। इसके बाद पानी नहीं डालें ।
सामान्य बाल
सामान्य बाल सबसे अच्छे बाल कहलाते हैं, इनमें न तो ज्यादा रूखापन होता है और ना ही ज्यादा तैलीयता रहती है। समय-समय पर धोते रहने से इनकी देखभाल सहज में ही होती रहती है। सामान्य बाल स्वभाविक रूप से चमकीले और मुलायम होते हैं। मौसम के अनुसार इनमें खुश्की या चिकनाहट में कमी-वृद्धि होती रहती है, लेकिन यह मामूली ही होती है।
जब सर्दियां आती हैं तब इनमें कुछ खुश्की आ जाती है, जबकि गर्मियों में थोड़ी सी चिकनाहट दिखाई देती है। जैसा कि ऊपर बताया सामान्य बालों की देखभाल मामूली ही करनी पड़ती है।
मेंहदी का लेप महीने में एक बार अवश्य करें।
मौसम के अनुसार बालों की प्रकृति बदलने पर उसी अनुसार बालों की देखभाल के उपाय अपनायें।
सर्दियों में हर सप्ताह बालों तथा उनकी जड़ों में गर्म तेल से मालिश करें। यदि शैम्पू से एक रात पूर्व मालिश की जाये तब उत्तम रहता है।
मिश्रित बाल
इस प्रकार के बाल कुछ अलग ही तरह के होते हैं।
ऐसे बालों में जड़ों वाला हिस्सा अधिक तैलीय जबकि सिर के ऊपर रूखे होते हैं। जड़ों में स्थित तैलीय ग्रंथियां अधिक स्राव करती हैं लिहाजा सिर की त्वचा और जड़ों के समीपवर्ती बाल अधिक चिकने और चिपचिपे हो जाते हैं। बालों का नीचे वाला भाग सिरों तक खुश्क होता है, जो खुरदरे से दिखाई पड़ते हैं।
ऐसे मिश्रित बालों की देखभाल में विशेष सावधानी बरतनी जरूरी है क्योंकि तैलीय उपचार जड़ों को नुकसान देगा वहीं रूखा उपचार सिरों के लिए हानिकारक रहेंगा।
सिर धोने के लिए सामान्य बालों के लिए बने कंडीशनर का प्रयोग करें या बालों के सिरों पर तेल से भली प्रकार मालिश करें।
नींबू का रस बालों की जड़ों में लगाएं तथा मेंहदी का पेस्ट बनाकर इसे बालों में लगायें, घंटा भर बाद धो दें।
इस तरह की उक्त क्रियायें करने से बाल लम्बी आयु तक घने बने रहते हैं।
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,