सभी भारतीय घरों में आमतौर पर मसाले के रूप में प्रयोग किया जानेवाला मेथीदाना किसी भी परचुन की दूकान में बहुत आसानी से मिल जाता है, मेथीदाने की विशेषता है कि यह मधुमेह के रोगियों के रक्त और पेशाब में चीनी की मात्रा कम करता है तथा बहुमूत्रमेह एवं हृदयरोगों को भी दूर करता है, इसके परिणाम केवल दस दिन में ही दिखाई पड़ने लगते है, इसे भिगोकर और चूर्ण बनाकर दोनों ही तरह से प्रयोग किया जाता है।
ईश्वर निर्मित इस सृष्टि में मेथी दाना जैसी श्रेष्ठ एवं कारगर वनस्पति जन्य औषधि शायद ही कोई खोजी जा सके, यह रोगों को मिटाती है, और रोगों को होने से भी रोकती है। मेथीदाने के सेवन से रक्त में चीनी की मात्रा मधुमेह रोगियों में काफी कम हो जाती है, तथा कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लीसेराइड्स और लिपोप्रोटीन की मात्रा भी रक्त में काफी कम हो जाती है।
आचार्य सुश्रुत ने मेथी दाने के लिए कहा था कि यह पित्त, वायु और कफ का शमन करता है, यह शक्तिदायिनी, पौष्टिक और चेतनावर्द्धक है, अंकुरित मेथीदाने में कैंसर को निंयत्रित करने वाली, विशेष विटामिन बी-अच्छी मात्रा में पायी जाती है, यह मधुमेह, बहुमूत्रमेह और हृदय रोगों को दूर करती है।
मेथीदाना का दैनिक सेवन मधुकोशीय व्यक्तियों में सीरम, कोलेस्ट्राल और ट्राइग्लिसीसाइड्स को भी कम करता है, इन दोनों की उपस्थिति से दिल के दौरे पड़ सकतें हैं। मेथीदाना का स्वादा कड़वा है, मेथीदाना चावल, दाल, सब्जी और चटनी में मिलाकर भी खाया जा सकता है या इसका चूर्ण बनाकर दिन में दो बार भोजन से पन्द्रह मिनट पूर्व जल अथवा दूध के साथ लिया जा सकता है।
मधुमेह जैसा दीर्घकाल पीडादायक रोग किसी भी उम्र के व्यक्ति को नहीं छोड़ता। आज 100 में से हर 8 व्यक्ति मधुमेह से पीडि़त हैं, नवजात शिशु से लेकर 60-70 वर्ष तक का स्त्री या पुरूष कोई भी उसका रोगी हो सकता है, इस रोग की वृद्धि दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है।
प्रख्यात आयुर्वेदाचार्य चरक के अनुसार, सुख-सम्पन्न आरामदायक बिस्तर पर दिन में सोनेवाले दही और मांसाहार का अति सेवन करनेवाले, व्यायाम न करनेवाले, मधुर पदाथों का अति सेवन करनेवाले तथा परिश्रम बिलकुल न करनेवाले मधुमेह से ग्रस्त हो जाते है, आज मधुमेह के अधिकतर रोगी तनाव ग्रस्त है, आज की तनावपूर्ण जिंदगी भी इस रोग की तीव्र वृद्धि कि लिए उत्तरदायी है।
यदि जनसाधारण को मधुमेह (डाइबिटीज या शुगर) के प्रारंभिक लक्षणों की जानकारी हो तो रोग को शीघ्र पहचाना जा सकता है, और मेथीदाना से उसका समुचित उपचार शीघ्रातिशीघ्र कर लेने पर रोगी बहुत समय तक जटिलताओं से बचकर आरोग्यमय जीवन जी सकता है, क्योंकि मेथीदाना मधुमेह को नियंत्रण में रखने के लिये प्रभावकारी है।
मेथीदाना जीवनदायिनी औषधि है, हमारे आर्युवेद शास्त्रों में मात्र दस दिनों के मेथीदाना सेवन से ही खून में ग्लूकोज (शर्करा) का स्तर उल्लेखनीय रूप से घट जाता है, एवं पेशाब में इसकी मात्रा 68 प्रतिशत कम हो जाती है, इसका प्रयोग तब तक करते रहना चाहिये, जब तक कि खून में शर्करा का स्तर बढ़ा हुआ रहता है।
विविध रोगों के उपचार में मेथीदाना का प्रयोग मेथी के दाने अल्सर, पसलियों के दर्द, हृदयरोग, रक्तचाप, कमरदर्द, आफरा आदि रोगों के लिए लाभप्रद है, आइये जाने मेथीदाने में पाये जानेवाले औषधीय गुणों के बारे में-
अल्सर- मेथी का काढ़ा प्रतिदिन पीने से अल्सर से मुक्ति मिलती है।
गठिया व कमरदर्द- जिन स्त्रियों के पैरों व कमर में दर्द रहता हो उनके लिए मेथीदाने का लड्डू सर्वोत्तम है, मेथीदाने को घी में भुनकर कूटकर उसमें गुड़ मिलाकर लड्डू बनायें।
छह ग्राम मेथीदाना तथा 20 ग्राम गुड़ पानी में उबालकर पीने से कब्ज, गठिया और कमरदर्द की शिकायत दूर हो जाती है।
पसलियों का दर्द- पसलियों में दर्द उठने पर 100 ग्राम मेथीदाना हल्का-सा भून लें इसे कूटकर चूर्ण बनाकर इसमें चौथाई भाग काला नमक मिलाकर सुबह-शाम दो-दो चम्मच गरम जल के साथ सेवन करें, कैसा भी असह्य दर्द जल्दी समाप्त हो जाता है।
वात रोग- रोज 20 ग्राम मेथीदाना का चूर्ण सुबह-शाम लेने से वात रोग दूर हो जाता है।
बहुमूत्र- जिन्हें बारंबार पेशाब होता हो, उन्हें एक कप मेथी की पत्तियों का रस, आधा चम्मच कत्था और एक चम्मच शक्कर मिलाकर चार-पांच दिन रोज लेना चाहिए, बहुमूत्र रोग से निवृति प्राप्त होती है।
घुटनों का दर्द- प्रातः काल 10 ग्राम मेथीचूर्ण को पानी के साथ सेवन करने से घुटनों का दर्द नहीं होता, मेथीदाने को एक गिलास पानी में एक चम्मच भर डालकर धीमी आंच पर दस-पन्द्रह मिनट उबालने के बाद इस मेथी के काढे़ को सुबह चाय के स्थान पर तथा रात को भोजन के एक घंटे बाद रोज सेवन करें।
हृदयरोग- छह ग्राम मेथीदाने के काढ़े में 20 शुद्ध शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें, इससे पुराना से पुराना हृदय रोग दमा और कफ वाली खांसी की शिकायत दूर हो जाती है।
रक्तचाप- मेथीदाना और सोयाबीन के दाने समान मात्रा में पीसकर रोज सुबह-शाम जल के साथ सेवन से रक्तचाप घटता है।
चोट व सुजन– मेथी की पत्तियों की पुल्टिस बांधने से चोट की सूजन कम हो जाती है।
खासीः- 6 ग्राम मेथीदाना को पानी में उबालकर छान लें और उसमें 20 ग्राम शहद मिलाकर रोज सुबह-शाम सेवन करें, इससे कफ वाली खांसी तथा अस्थमा की शिकायत दूर होती है।
गरमी के दिनों मे धूप लगने पर- मेथी की पत्तियों को पानी में भिगोकर रखें और अच्छी तरह भीगने पर मसलकर छान लें, पी लें यह पानी गरमी की भीषणता से बचाता है।
तैलीय त्वचा हेतु- मेथी की पतियां, तुलसी, नीम और पुदीना की पत्ती समान भाग लेकर पीस लें और इसमें दोगुनी मुलतानी मिटृी मिलाकर रोज चेहरे पर लगाये, जिससे त्वचा में निखार आयेगा एवं कील-मुंहासों से निवृति प्राप्त होती है।
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