आकाश का कोई अन्त नहीं है, क्षितिज का कोई छोर नहीं है उसी प्रकार ज्ञान का अन्त नहीं है, ज्ञान से ही हम स्वयं सुकर्म कर के ही अपना व अपने परिवार की पूर्णता में वृद्धि कर सकते है, पर वह ज्ञान तभी उपयोगी होगा जब हम उसे सही स्थान पर क्रियान्वित कर सके। आप ज्ञानी हो सकते है परन्तु अगर सही समय पर ज्ञान का उपयोग न हो तो वह ज्ञान निरर्थक है। साथ ही हमे इसका भी ज्ञान होना चाहिये कि किस-किस क्षेत्र का ज्ञान-चेतना को अर्जित कर स्वयं का उद्धार करते हुये जीवन को श्रैष्ठमय बना सकते है।
अधिकतर लोगो की इच्छा किसी ओर क्षेत्र में होती है परन्तु इच्छा के विपरित मजबूरीवश कोई ओर रोजगार या काम करना पड़ता है। क्योंकि वे सही ज्ञान, मार्ग व दिशा व निर्देश प्राप्त नही करते है। कार्य रोजगार प्राप्त करने से पूर्व लक्ष्य नहीं बनाते और यदि लक्ष्य बना भी लेते है तो उक्त तरह की स्थितियो को पूर्णता से आत्मसात नहीं करते केवल अनुमान लगाते हुये विचार करते रहते है कि इस क्षेत्र में इतनी समृद्धि, सुख, सम्मान है। जबकि विश्लेषण अन्त में करते है। भाव चिन्तनमय उच्चता पूर्ण है परन्तु उसके लिये योग्यता व ज्ञान न्यून है अतः ऐसे ही जीवन के अनेक वर्ष बरबाद कर देते है और सामान्य स्वरूप में ही जीवन यापन करते रहते है।
इसी से जीवन में कुंठा, हताशा, निराशा, अवसाद की स्थितियॉ स्थायी रूप से बन जाती है क्योंकि हम निर्णय दूसरो की सोच और दूसरो की मर्जी से लेते है इसीलिये मन कई दिशाओ में भागने लगता है व अपने आप पर स्वयं विश्वास नही करते है। यह ज्ञान-चेतना तभी आ सकती है जब हम ध्यान करे, मन को एकाग्र कर साध्य करे, भगवान सदा शिव भी, ध्यान कर मन व चित को एकाग्र चित करते है, सद्गुरू देव ने भी ध्यान-साध्यता कर हमें कई कलिष्ट समस्याओ का समाधान व मार्ग प्रशस्त किया है वह तभी सम्भव होता है जब ध्यान साधना के भाव से कोई भी कार्म करते है तो ही उच्चता की प्राप्ति होती है।
इस सावन मास में हम सभी संकल्पबद्ध रूप से अवश्य ही नियमित स्वरूप में ध्यान साधना सम्पन्न् करेंगे। जिससे हमे यह ज्ञात अवश्य होगा कि क्या हमारे लिये उपयुक्त है? हमे क्या करने से हम अपने जीवन को उच्चतम स्वरूप में भोग सके। अतः ज्ञान का सही उपयोग तभी सम्भव है जब उसे सहीं रूप में साध्य यानी निरन्तर सुकर्म करने से ही शिव परिवारमय सुस्थितिया आ सकेगी।
सद्गुरूदेव कि ज्ञान चेतना प्राप्त कर हमारी सभी संशय की स्थितियॉ समाप्त होगी।
आपका अपना
विनीत श्रीमाली
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