मॉडर्न कहलाने वाले लोगों का आज एक ध्येय है, खाओ-पीओ और मौज करो कभी सोचते ही नहीं क्या खा रहे हैं और क्यों खा रहे हैं? इसका परिणाम है नये-नये अनेक जटिल रोगों की उत्पत्ति होती है, अतः हमारा आहार ऐसा होना चाहिए जिससे हम सदैव स्वस्थ रहें।
आज तरह-तरह के अनगिनत डिब्बा बंद खाद्य- पदार्थ उपलब्ध हैं, तरह-तरह के फास्ट फूड हर समय आप को तैयार मिलेंगे, उनको खाने से स्वास्थ्य ठीक रहेगा या नहीं रहेगा, यह कोई नहीं सोचता, केवल जीभ के स्वाद के लिए नाना प्रकार के व्यंजन खाते रहते हैं।
इन सब का परिणाम हमारे सामने है, विज्ञान की इतनी उन्नति होने पर भी और नये-नये उपचारों एवं औषधियों के आविष्कार होने पर भी रोग बढ़ते ही जा रहे हैं और वे नये-नये रोगों के रूप में सामने आ रहे हैं, उपचार के नये-नये तरीके खोजे जा रहे हैं।
हमारा आहार ऐसा होना चाहिए जिससे हम बीमार ही ना हों, बार-बार डॉक्टर के पास जाने की नौबत ही न आए, अस्पतालों में भी यह होना चाहिए कि रोगों के उपचार के साथ- साथ लोगों के स्वास्थ्य तथा खान-पान के बारे में भी शिक्षा देनी चाहिए जिससे सभी लोग स्वास्थ्य के प्रति जगरूक हो सकें। आहार की आवश्यकता क्यों?
प्रत्येक प्राणी को जीवन रक्षा के लिए आहार की आवश्यकता होती है, आहार से ही शरीर का निर्माण व विकास होता है, इसी से शरीर को ऊर्जा मिलती हैं, यह तभी संभव है, जब यह संतुलित हो, सुपाच्य हो और शरीर के लिए आवश्यक खनिज तत्व, प्रोटीन आदि उसमें विद्यमान हों।
सभी खनिज तत्वों से युक्त आहार को संतुलित मात्रा में लेने से शरीर में पाचन-यंत्रों द्वारा पाचन क्रिया ठीक से कार्य करती है और उससे रस, रक्त, मांस, मज्जा, हड्डी, ओज आदि आवश्यकतानुसार वृद्धि होती है। भोजन से बचे हुये अवशिष्ट पदार्थ बड़ी आंतों से होते हुये मलद्वार से मल बनकर बाहर निकल जाता हैं, यदि पाचन यंत्रों में से कोई यंत्र ठीक से काम न करे तो आप अनावश्यक भोजन छोटी-बड़ी आंतों से होता हुआ व्यर्थ चला जाएगा तो शरीर को शक्ति देने के बजाय शरीर की शक्ति को क्षीण करेगा।
अतः जो भी आहार आप खाएं, वह भली प्रकार से सुपाच्य हों, तभी शरीर के अंग पुष्ट होंगे, नया रक्त बनेगा, शरीर को शक्ति मिलेगी, शरीर के अंदर और बाहर के अंगों का कार्य व्यवस्थित रूप से होगा इसी के फलस्वरूप जीवन में स्वस्थ क्रियायें कर सकेंगे। इसके विपरीत जिस आहार को पाचन-यंत्र ठीक से पचा नहीं पाते उस अपच आहार को शरीर से बाहर निकालने के लिए अधिक शक्ति खर्च करनी पडे़गी और परेशानी भी होंगी, क्योंकि उससे कब्ज होगा, पेट में गैस, खट्टी, डकारें, मुंह से बदबू तथा कई रोग पैदा होंगे।
आज आदमी जितना भोजन करता है, उसका 60 प्रतिशत भाग पच नहीं पाता और व्यर्थ चला जाता है, केवल 30 प्रतिशत भाग ही हमारे शरीर के काम आता है, इसी कारण से लोग किसी न किसी रोग से ग्रसित रहते हैं, यदि मनुष्य उतना ही भोजन ले जितना पच जाए तो लोग निरोगमय रह सकते हैं।
शरीर के पाचन-यंत्र आसानी से भोजन का जितना सार निकाल लें, इसके लिए भोजन में विटामिन और खनिज लवण प्रचुर मात्रा में होना चाहिए, इन तत्वों के उचित मात्रा में होने से ही पाचन-संस्थान प्रोटीन, श्वेतसार, मधुर रस, वसा आदि को पूरी तरह पचा सकेंगे, तभी रक्त, मांस, मज्जा, हड्डियों में सुदृढ़ता आ सकेंगी, विटामिन और खनिज लवणों को अगर प्राकृतिक अवस्था में लिया जाये तो अति उत्तम है, ये पदार्थ ताजी हरी सब्जियों और उनके छिलकों में, ताजे फलों में, दूध, आटे के चोकर, दालों के छिलकों में बहुतायत से पाएं जाते हैं।
सात्विक भोजन में विटामिन और खनिज लवणों में असीम शक्ति होती है, इसी से प्रोटीन, श्वेतसार और वसा में परिवर्तित होकर शरीर को ऊर्जावान रखती है, साथ ही सात्विक भोजन के फलस्वरूप देह में रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है, इसी के फलस्वरूप शीघ्रता से कृषकाय, जर्जरता युक्त वृद्धा अवस्था नहीं आती।
मौसम के अनुसार जो साग-सब्जियां और फल मिलते हैं, उनमें विटामिन तथा खनिज लवण पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं, इन्हें अपनी सामर्थ्य के अनुसार अवश्य खाना चाहिए, थोड़ी कच्ची चीजें सलाद के रूप में प्रतिदिन अवश्य खानी चाहिए, दालें छिलके सहित खानी चाहिए, इस प्रकार के आहार पर थोड़ा ध्यान देकर हम सदैव स्वस्थ रह सकते है।
सदैव स्वस्थ जीवन बिताने के लिए हमें भोजन संबंधी कुछ खास बातों पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि भोजन यानी आहार ही स्वास्थ्य का आधार है, भोजन संबंधी गड़बड़ी से ही रोग उत्पन्न होते हैं, अतः भोजन संबंधित निम्न बातों पर ध्यान देकर अपने स्वास्थ्य की रक्षा करें, रोगों के उपचार से बेहतर है कि हम रोग होने ही न दें।
भोजन शरीर-रक्षा एवं स्वास्थ्य का साधन है, अच्छे, पौष्टिक और विटामिन व खनिज लवण युक्त, जल्दी पचने वाला आहार उचित मात्रा में खाने से ही शरीर स्वस्थ रह सकता है।
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