इस संस्कार का उद्देश्य गर्भवती स्त्री को मानसिक बल प्रदान करते हुये सकारात्मक विचारों से पूर्ण रखना है। गर्भ में चौथे माह के बाद शिशु के अंग-प्रत्यंग, हृदय आदि बन जाते हैं और उनमें चेतना आने लगती है, जिससे बच्चे में जाग्रत इच्छायें माता के हृदय में प्रकट होने लगती हैं। इस समय गर्भस्थ शिशु शिक्षणयोग्य बनने लगता है। उसके मन और बुद्धि में नई चेतना शक्ति जाग्रत होने लगती है।
ऐसे में जो प्रभावशाली अच्छे संस्कार डाले जाते है, उनका शिशु के मन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। कई बार होता है कि माता को किसी विशेष वस्तु आदि खाने की इच्छा होने लगती है। यह सब गर्भस्थ शिशु के हृदय व चेतना के कारण ही होता है। शिशु की शारीरिक जरूरतों की पूर्ति माता के शरीर के जरिये ही होती है। इसलिये गर्भस्थ शिशु के मानसिक और आध्यात्मिक उत्थान के लिये गर्भ में शिक्षा दीक्षा के लिये सिद्ध गुरू का होना बेहद आवश्यक होता है जो सीमन्तोन्नयन संस्कार प्रदान कर सके। इसमें गर्भस्थ शिशु को नवग्रह मंत्रों से संस्कारित किया जाता है, जिससे उसे सभी ग्रहों की अनुकूलता प्राप्त हो। साथ ही विभिन्न देवी-देवताओं के मंत्रोंच्चारण द्वारा शिशु को चैतन्य किया जाता है।
सीमन्तोन्नयन संस्कार की विधि
पूजन क्रिया में गुलर की टहनी या कुशा का प्रयोग होता है। सर्वप्रथम पति इस मंत्र को उच्चारित कर ईष्टदेव व अन्य सभी देवी-देवताओं से अपनी पत्नि व गर्भस्थ शिशु की रक्षा की प्रार्थना करता है-
इसके पश्चात् चमेली का तेल या अन्य कोई सुगन्धित तेल गर्भवती स्त्री के केशों में डाला जाता है और गूलर की टहनी या कुशा से तीन बार मांग निकाली जाती है और तीनों बार ऊँ भूर्विनयामि, ऊँ भूर्विनयामि, ऊँ भूर्विनयामि मंत्र उच्चारित किया जाता है।
यह क्रिया पति द्वारा की जाती है। इसके साथ ही ऋग्वेद के निम्नलिखित श्लोक का उच्चारण पति द्वारा किया जाता है।
चेनादिते सीमातं नयति प्रजापतिर्मठते सौभाग्य।
तेनाहमस्यौ सीमानं नयामि प्रजामस्यै जरदृष्टिं कृणोमि।।
अर्थात्-देवताओं की माता अदिति का सीमंतोन्नयन जिस प्रकार उनके पति प्रजापति ने किया था उसी प्रकार अपनी संतान के जरावस्था के पश्चात् तक दीर्घजीवी होने की कामना करते हुये अपनी गर्भिणी पत्नी का सीमंतोन्नयन संस्कार करता हूँ । इसके पश्चात् निम्न नवग्रह मंत्र का संयुक्त रूप में पति-पत्नी 9 माला जप करे-
इस दिन गर्भिणी को खिचड़ी खिलाने का भी चलन है। पूजन समाप्त होने पर परिवार के सभी बड़े-बुजर्गो का आशीर्वाद लिया जाता है।
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